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धर्म संसद में शामिल संतों में मुकदमे वापस न होने पर राज्‍य सरकार के खिलाफ आक्रोश

हरिद्वार में हुई धर्म संसद मामले में संतों के खिलाफ मुकदमे को लेकर धर्म संसद में शामिल संतों में राज्‍य सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है। संतों ने मुकदमा वापस न होने पर सरकार को सबक सिखाने की चेतावनी दी है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 03:34 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 03:34 PM (IST)
धर्म संसद में शामिल संतों में मुकदमे वापस न होने पर राज्‍य सरकार के खिलाफ आक्रोश
संतों के खिलाफ मुकदमे को लेकर धर्म संसद में शामिल संतों में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। हरिद्वार में हुई धर्म संसद मामले में संतों के खिलाफ हुए मुकदमें को लेकर धर्म संसद में शामिल संतों के साथ संत समाज का एक धड़े में राज्य सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने मुकदमा निरस्त न करने, वापस न लेने पर सरकार को सबक सिखाने, विरोध करने की चेतावनी दी है। संत इसके विरोध में 16 जनवरी को हरिद्वार के कुंभ क्षेत्र बैरागी कैंप प्रतिकार सभा का आयोजन कर रहे हैं, इस सभा में मामले को लेकर आर-पार की लड़ाई की घोषणा की जाएगी। यह जानकारी सोमवार को हरिद्वार के शांभवी धाम में धर्म संसद कोर कमेटी की बैठक के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने दी। बताया कि 16 जनवरी रविवार को कुंभ क्षेत्र बैरागी कैंप में होने वाली प्रतिकार सभा में सतचंडी यज्ञ का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें देश को कोरोना से मुक्त करने की प्रार्थना की जाएगी। दावा किया कि यज्ञ में हरिद्वार के समस्त संत और सभी अखाड़े शामिल होंगे और उत्तराखंड के सभी राष्टप्रेमी, हिंदू प्रेमी इसमें भाग लेंगे।

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सोमवार को शांभवी धाम में पत्रकार वार्ता में संतों के खिलाफ दर्ज मुकदमे की वापसी न होने पर 16 जनवरी को होने वाली प्रतिकार सभा के बारे में जानकारी देते हुए श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद ने कहा कि प्रतिकार सभा में संत एकजुट होकर इस मामले में शासन-प्रशासन और सरकार के विरोध की रणनीति तय की जाएगी, सड़कों पर उतर कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। शांभवी धाम के पीठाधीश्वर और शंकराचार्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने भी सरकार को चेताया है कि अगर ऐसा न हुआ तो धर्म संसद से जुड़े संत और उनका साथ दे रहे अन्य धार्मिक संगठन, मठ-मंदिर, आश्रम-अखाड़ों के संत खुले तौर पर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार के विरोध में आ जाएंगे। पूरे देश में इसे लेकर जन-जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। कहाकि सनातन धर्म जिहादियों और इस्लामिक आतंकवाद से हो रही हानि की जानकारी सनातन धर्मावालंबियों को देना संत समाज और संतों का अधिकारी, उद्देश्य और काम है। ऐसा करना कौन सा अपराध है, जिसके आधार उन पर अपराधियों जैसे मुकदमें दर्ज कर उन्हें कार्रवाई के नाम पर डराया-धमकाया जा रहा है।

पत्रकावार्ता में मौजूद महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद , स्वामी आंनद स्वरूप, स्वामी अमृतानंद और श्रीअखंड परशुराम अखाड़ा संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने एक स्वर में सरकार को चेताते हुए कहाकि सरकार को तुरंत संतों पर हुए मुकदमें वापस लेना चाहिए, अगर सरकार ऐसा नही करती तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। सवाल किया कि जब देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ तो मुस्लिम इस देश में क्यों और कैसे रह रहे, उन्हें इतनी तव्वजों क्यों मिल रही। स्वामी आंनद स्वरूप ने मांग की कि जिस तरह से संतों पर मुकदमे दर्ज हुए वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इसके लिए मुकदमा निरस्त करने का आदेश देते हुए संतों से तत्काल माफी मांगनी चाहिए।

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