बिना सुरक्षा उपकरण सर्वे कराने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता हुए नाराज, कही ये बात
वर्तमान में जहां हर विभाग कोरोना योद्धाओं को कोरोना संक्रमण को लेकर सुरक्षा उपलब्ध करवा रहा है वहीं कोरोना और संदिग्ध मरीजों के सर्वे कराने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं को बिना सुरक्षा उपकरण के मैदान में ही उतार दिया गया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। वर्तमान में जहां हर विभाग कोरोना योद्धाओं को कोरोना संक्रमण को लेकर सुरक्षा उपलब्ध करवा रहा है, वहीं कोरोना और संदिग्ध मरीजों के सर्वे कराने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं को बिना सुरक्षा उपकरण के मैदान में ही उतार दिया गया है। ऐसे में उनमें सक्रमण का खतरा बना हुआ है। सुरक्षा के इंतजाम न होने पर आंगनबाड़ी संगठनों ने नारजगी जताई है। वहीं, विभाग आंगनबाड़ी कार्यकत्ता्रओं की ओर से लगाए गए आरोप को निराधार बता रहा है।
देहरादून जिले की बात करें तो यहां पर तकरीबन 1907 आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़ी 3800 आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता हैं। वर्तमान में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच कोरोना और संदिग्ध मरीजों के सर्वे कराने के लिए कार्यकर्त्ता घर-घर जाकर जानकारी जुटा रहे हैं, लेकिन कार्यकर्त्ता विभाग पर कोविड 19 में सेवाएं देने के बाद भी सुरक्षा उपलब्ध न कराने से नाराज हैं। उनका कहना है कि फेस शील्ड, मास्क, सैनिटाइजर, ग्लब्स आदि खुद ही खरीदकर (कम्युनिटी सर्विलेंस) घर घर जाकर मरीजों के स्वास्थ्य, प्रवासियों की जानकारी लेकर सूचनाएं जुटा रही हैं।
उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की प्रदेश महामंत्री सुशीला खत्री का कहना है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता और सहायिका कोविड-19 जैसी आपदा मे अपनी जान जोखिम मे डालकर सेवाएं पूर्ण ईमानदारी और मेहनत से कर रही हैं। सुरक्षा उपलब्ध न होने से संक्रमण का खतरा बना है। बीते दिनों मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस संबंध में पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेश मिश्र ने बताया कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। विभाग की ओर बीते वर्ष से हर माह सेवा में लगी प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं को मास्क, सैनिटाइजर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। विभाग कार्यकर्त्ताओं के हित के लिए कार्य कर रहा है।
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