आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता मांग पूरी न होने पर करेंगी बीएलओ का कार्यबहिष्कार
कैबिनेट में लंबित मानदेय का मामला न उठाए जाने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं में आक्रोश है। आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं का कहना है कि यदि मांग पूरी नही होती है तो वे बीएलओ का कार्यबहिष्कार करेंगे। साथ ही मुख्यमंत्री आवास घेराव करेंगे।
जागरण संवाददाता, देहरादून। कैबिनेट में लंबित मानदेय का मामला न उठाए जाने पर भोजनमाताओं के साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं में रोष है। आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता मांग पूरी न होने पर बीएलओ का कार्यबहिष्कार करेंगे। आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं ने अगले सप्ताह से विभागीय मंत्री आवास घेराव और मुख्यमंत्री आवास घेराव की रणनीति बनाई है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं की अन्य प्रमुख मांगें
आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं के लिए 21 हजार, सहायिका को 18 हजार रुपये मानदेय बढ़ोतरी की जाए। इसके अलावा महाराष्ट्र की तरह ग्रेच्युटी और ईएसआइ सुविधा, सहायिका को पदोन्नति दी जाए, आंगनबाड़ी केंद्रों में तीन से छह वर्ष के बच्चों के लिए प्री प्राइमरी लागू हो। वर्ष 2019 में धरने के दौरान रुका मानदेय दिया जाए। कार्यकर्त्ताओं को नंदा गौरा कन्या धन का लाभ मिले।
इनका कहना है
सुशीला खत्री (प्रांतीय महामंत्री, उत्तरांचल राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ) का कहना है कि पूर्व में सरकार ने मानदेय बढ़ोतरी का वादा किया था, लेकिन अब उनकी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट में मानदेय बढ़ोतरी का मामला न उठाए जाने से कार्यकर्त्ताओं में आक्रोश है। कार्यकर्त्ता खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
जानकी चौहान (प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता, सेविका कर्मचारी यूनियन) का कहना है कि मांगों पर कार्रवाई नहीं होने से कार्यकत्र्ताओं में रोष है। यदि इस मसले पर सरकार संज्ञान नहीं लेगी तो पूर्ण कार्य बहिष्कार किया जाएगा। बीएलओ ड्यूटी लगाए जाने का भी विरोध होगा।
मोनिका महामंत्री (उत्तराखंड भोजन माता कामगार यूनियन) का कहना है कि पांच हजार रुपये मानदेय के प्रस्ताव पर कैबिनेट में चर्चा नहीं हुई है। इससे नाराज भोजन माता जल्द ही सड़कों पर उतरेंगी। जरूरत पड़ी तो विभागीय कार्यालय के बाहर धरना देंगे।
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