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अगर एंबुलेंस होती तो बच जाती संवासिनी की जान, पढ़िए पूरी खबर

नए साल के पहले दिन हुई संवासिनी की मौत के मामले में महिला आयोग की अध्यक्ष ने निरीक्षण कर नारी निकेतन का जायजा लिया।

By Edited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 02:59 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 04:49 PM (IST)
अगर एंबुलेंस होती तो बच जाती संवासिनी की जान, पढ़िए पूरी खबर
अगर एंबुलेंस होती तो बच जाती संवासिनी की जान, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। नारी निकेतन की एक और संवासिनी की मौत से कई सवाल खड़े हो गए हैं। अक्सर सुर्खियों में रहने वाले नारी निकेतन में लाख दावों के बावजूद व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ रही हैं। नए साल के पहले दिन हुई संवासिनी की मौत के मामले में महिला आयोग की अध्यक्ष ने निरीक्षण कर नारी निकेतन का जायजा लिया, जिसमें फिर एक बार सिस्टम की खामी उजागर हुई। निरीक्षण में पाया गया कि एंबुलेंस समय पर न मिल पाने के कारण सवांसिनी की मौत हुई, जिससे एक बार फिर नारी निकेतन की व्यवस्थाएं कटघरे में आ गई हैं।

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दरअसल, शुक्रवार को महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल संवासिनी की मौत के मामले में राजकीय नारी निकेतन का निरीक्षण करने पहुंचीं। यहां उन्होंने पूरे परिसर का निरीक्षण किया और कर्मचारियों से पूछताछ कर संवासिनी के बारे में जानकारी ली। निकेतन की कर्मचारियों ने बताया कि बुधवार सुबह खाना खाने के दौरान संवासिनी मोनिका की अचानक तबीयत बिगड़ गई। इसपर एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन एंबुलेंस को आने में आधा घंटे का समय लग गया। इसके बाद संवासिनी को दून अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। 
दून अस्पताल के चिकित्सकों ने भी इस बात से इनकार नहीं किया कि समय पर अस्पताल पहुंचने पर संवासिनी को बचाया जा सकता था। डॉक्टरों के अनुसार मोनिका की श्वास नली में खाना अटक जाने के कारण वह सांस नहीं ले पाई और उसके मस्तिष्क और हृदय तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच सकी, जिससे उसका पूरा शरीर सुन्न और नीला पड़ गया। निरीक्षण के दौरान महिला आयोग की सदस्य सचिव कामिनी गुप्ता भी मौजूद रहीं।
एंबुलेंस के लिए शासन को लिखेंगे पत्र 
महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल ने निरीक्षण के बाद नारी निकेतन में एंबुलेंस की व्यवस्था पर जोर दिया। जिस पर नारी निकेतन के अधिकारियों ने बताया कि यहां स्थायी रूप से एंबुलेंस की आवश्यकता है, लेकिन बजट की कमी के चलते यह व्यवस्था नहीं हो पा रही है। जिस पर महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल ने एंबुलेंस के लिए शासन को पत्र लिखने की बात कही। 
2014 में नारी निकेतन आई थी मूक-बधिर संवासिनी 
सितंबर 2014 में टिहरी के परगना मजिस्ट्रेट ने मोनिका नाम की मूक-बधिर संवासिनी को नारी निकेतन में भर्ती कराया था। उसकी मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। लेकिन, पिछले कुछ समय से वह सामान्य व्यवहार कर रही थी। बुधवार सुबह अचानक मोनिका की तबीयत बिगड़ गई। नारी निकेतन की प्रभारी ज्योति पटवाल ने बताया कि उसे दून अस्पताल ले जाया गया, जहा चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद लक्खीबाग में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उधर, मोनिका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह साफ हो गया है कि उसकी मौत श्वास नली में खाना अटकने से हुई। 
आयोग की अध्यक्ष को अंदर जाने से रोका 
शुक्रवार को जब महिला आयोग की अध्यक्ष नारी निकेतन का निरीक्षण करने पहुंचीं तो गार्ड ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया। गार्ड ने उनसे भीतर जाने के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति मांगी। जिसके बाद आयोग की अध्यक्ष ने अपना परिचय दिया तो उन्हें अंदर प्रवेश दिया गया।

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