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अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी वर्गों ने किया स्‍वागत, बताया एतिहासिक

अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को राज्‍य में सभी वर्गों ने स्‍वागत किया है। वहीं संतों ने सत्‍य की विजय करार दिया जबकि उलेमाओं ने भी फैसले का स्वागत किया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 12:14 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 08:25 PM (IST)
अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी वर्गों ने किया स्‍वागत, बताया एतिहासिक
अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी वर्गों ने किया स्‍वागत, बताया एतिहासिक

देहरादून, जेएनएन। अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राज्‍य में सभी वर्गों ने स्‍वागत किया है। वहीं, संतों ने सत्‍य की विजय करार दिया, जबकि उलेमाओं ने भी फैसले का स्वागत किया है। उधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी रामजन्म भूमि पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह न किसी की हार है और न किसी की जीत। यह निर्णय राष्ट्रीय एकता को और मजबूत करने वाला है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे समय से चल रहे इस मामले का आज उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों ने एकमत से निर्णय दिया है। यह निर्णय कानूनी आधार पर दिया गया है। यह निर्णय जिस रूप में आया है अब हमें उसी रूप में समाज में एकता व परस्पर सौहार्द को बनाए रखना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान राम मर्यादा के प्रतीक हैं। हमें भी उसी मर्यादा का पालन करना है। भारत की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है जो विविधता में एकता का संदेश देती है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय में भी यही ध्वनि है। हमें भी इसी भावना को आगे बढ़ाना है। 

इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद दोनों कौमों को संयम से काम लेना होगा। पूरे भारत वर्ष को एकता की मिसाल देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है उस पर पूरे भारत वासियों को गर्व है। 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद अजय भट्ट ने कहा कि यह निर्णय सभी न्यायाधीशों द्वारा सर्व सम्मति से लिया गया जिसका आधार कानून है। न्यायालय ने भूमि का अधिकार रामलला को दिया है। साथ ही मस्जिद बनाने के लिए अलग से पांच एकड़ भूमि भी दी गई है। इस निर्णय से देश को और मजबूती मिलेगी व 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की दिशा में हम और तेजी से बढ़ेंगे। इस निर्णय से सैंकड़ों वर्षों का मामला निस्तारित हो गया है। उन्होंने कहा कि इसमें न किसी की जीत और न किसी की हार हुई है। हमें देश में परस्पर सौहार्द व शांति बना कर रखनी है तथा किसी भी समाज विरोधी तत्व के षड्यंत्र को सफल नहीं होने देना है।

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संतों ने सत्‍य की विजय करार दिया

हरिद्वार में अयोध्‍या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संतों ने सत्‍य की विजय करार दिया। साथ ही इसे एतिहासिक फैसला बताया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष  श्री महंत नरेंद्र गिरि, महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी, भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सही को सही और गलत को गलत साबित किया है। संतों ने सभी पक्षों से सांप्रदायिक सौहार्द और शांति बनाए रखने की अपील भी की। संत सुबह से ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे।

उलेमाओं ने भी किया स्‍वागत

हरिद्वार में अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उलेमाओं ने भी स्वागत किया है। जमीयत उलेमा ए हिंद के उत्तराखंड सदर मौलाना आरिफ कासमी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वमान्य है। इसमें किसी की जीत या हार नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मसले पर सुप्रीम फैसला सुनाया है। हम सब इसका सम्मान करते हैं और लोगों से अपील करते हैं कि आप से प्यार व सद्भाव बनाए रखें।

अखाड़ा परिषद ने कहा, ट्रस्ट में मिले स्थान 

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतों में उत्साह है। संतों ने फैसले का स्वागत करते हुए सभी वर्गों से शांत और सद्भाव बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि न्यायालय ने अयोध्या मामले में सर्वोपरि समाधान निकाला है। यह न्याय की जीत है। दूसरी ओर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने केंद्र सरकार से मांग की है कि सुप्र्रीम कोर्ट के आदेश में मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने को कहा गया है। इस ट्रस्ट में परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री को पदेन सदस्य बनाया जाए।

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शनिवार को हरिद्वार में मीडिया से बातचीत में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि यह किसी पक्ष की नहीं, बल्कि न्याय की जीत है। उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को फैसले का सम्मान करना चाहिए। श्रीमहंत ने कहा कि जल्द ही संतों का एक दल अखाड़ा परिषद के नेतृत्व में अयोध्या जाएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष को चाहिए कि वे काशी और मथुरा में चल रहे विवादों का हल करे और हिंदुओं की आस्था का मान रखते हुए दोनों जगह की भूमि हिंदू पक्ष को सौंप दे।

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