कोरोना वायरस को लेकर उत्तराखंड में भी अलर्ट, जानिए इसके लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने सभी राज्यों को कोरोना वायरस को लेकर सर्तकता बरतने को कहा है।
देहरादून, जेएनएन। कोरोना वायरस चीन से निकलकर अन्य एशियाई देशों में भी पांव पसार रहा है। जापान, थाइलैंड और दक्षिण कोरिया में भी इससे जुड़े मरीज सामने आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने सभी राज्यों को इसको लेकर सर्तकता बरतने को कहा है। जिस पर सूबे के स्वास्थ्य विभाग ने भी अलर्ट जारी कर दिया है।
एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आइडीएसपी) के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. पंकज सिंह ने बताया कि अभी तक इस बीमारी का कोई मरीज नहीं मिला है। पर जनपदों को इस बावत एडवाइजरी जारी कर दी गई है। सभी अधिकारियों को खास एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, सरकारी के साथ ही निजी अस्पतालों को भी चौकन्ना रहने को कहा गया है। उन्हें निर्देशित किया गया है कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अपनी तैयारी पूरी रखें। मरीजों को आइसोलेट करने के लिए अलग वार्ड बनाने समेत अन्य इंतजाम करने को उन्हें कहा गया है। किसी भी मरीज में बीमारी के लक्षण मिलने, उसकी ट्रैवल हिस्ट्री के अनुसार तुरंत इसकी सूचना स्वास्थ्य महकमे को देनी होगी। प्रभावित देशों से आने वालों पर भी विशेष निगाह रखी जाएगी।
नहीं है वैक्सीन
अभी तक इस वायरस से निजात पाने के लिए कोई वैक्सीन नहीं बनी है। लेकिन इसके लक्षणों के आधार पर चिकित्सक इसके इलाज में दूसरी जरूरी दवाओं का उपयोग कर रहे हैं। साथ ही साथ इसकी वैक्सीन तैयार करने पर भी काम चल रहा है।
क्या हैं लक्षण
कोरोना वायरस के मरीजों में आमतौर पर जुखाम, खांसी, गले में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, बुखार जैसे शुरुआती लक्षण देखे जाते हैं। इसके बाद ये लक्षण न्यूमोनिया में बदल जाते हैं और किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं। इसमें फेफड़े में गंभीर किस्म का संक्रमण होता है। मरीज को वेंटिलेटर पर लेना पड़ता है।
क्या है कोरोना वायरस
कोरोना वायरस विषाणुओं के परिवार का है। यह वायरस ऊंट, बिल्ली और चमगादड़ सहित कई पशुओं में भी प्रवेश कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोरोना वायरस सी-फूड से जुड़ा है।
कई जांच भी बाहर से करवा रहे मरीज
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत इलाज कराने वाले मरीजों को कई जांच बाहर से करवानी पड़ रही हैं। मसलन सीटी स्कैन मशीन ग्यारह माह से ठप पड़ी है। इसके अलावा कई ऐसी पैथोलॉजी जांच भी हैं, जिसकी सुविधा अस्पताल में नहीं है। या मशीन खराब, रीजेंट खत्म होने के कारण जांच प्रभावित होती हैं।
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत रोजाना करीब 20-25 मरीज भर्ती हो रहे हैं। जिन्हें योजना के तहत पांच लाख तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है। लेकिन यहां पर सीटी स्कैन, इको समेत कई जांच नहीं हो रही हैं। इसके अलावा कई पैथोलॉजी जांच भी नहीं होती।
कई बार कोई मशीन खराब होना या रीजेंट खत्म हो जाने से भी मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्हें मजबूरन महंगी दरों पर बाहर ही जांच करानी पड़ती है। योजना को शुरू हुए एक साल से ज्यादा हो गया है। लेकिन अभी इस समस्या का हल नहीं निकल सका है। जिससे मरीज परेशान हैं। उधर, प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना का कहना है कि योजना के आला अधिकारियों के सामने कई बार ये समस्या रखी गई है।
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ऐसी ही समस्या पहले भी थी, पर मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत एक निजी लैब से सीजीएचएस रेट पर अनुबंध किया गया था, जिससे मरीजों को दिक्कत नहीं होती थी। अस्पताल में कोई जांच न होने पाने पर उनकी जांच इस लैब से करा ली जाती थी। क्लेम की राशि मिलने पर लैब का भुगतान कर दिया जाता था। अब अफसरों को प्रस्ताव भेजकर इस समस्या के समाधान के लिए ऐसा ही कोई रास्ता निकालने का अनुरोध किया गया है।