हवाई यात्रियों ने उठाए संस्थागत क्वारंटाइन व्यवस्था पर सवाल, जानिए क्या कहा
हवाई यात्रियों को स्वयं के खर्च पर संस्थागत क्वारंटाइन किए जाने का फैसला रास नहीं आ रहा है। उन्होंने सरकार के इस निर्णय का विरोध करते हुए इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
ऋषिकेश, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण दौर में जहां सरकार सभी प्रवासियों को हर तरह की राहत देने की का दावा कर रही है। वहीं, हवाई यात्रियों को उनके स्वयं के खर्च पर संस्थागत क्वारंटाइन किए जाने का फैसला रास नहीं आ रहा है। उन्होंने सरकार के इस निर्णय का विरोध करते हुए इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
लॉकडाउन के चलते पिछले दो माह से घरेलू उड़ाने बंद थी, जिन्हें सोमवार को खोल दिया गया है। हवाई सुविधा से आने वाले यात्रियों के लिए सरकार ने सात दिन संस्थागत क्वारंटाइन तथा सात दिन होम क्वारंटाइन में रहने की व्यवस्था की है। सात दिन के संस्थागत क्वारंटाइन की अवधि में यात्रियों को स्वयं ही खर्चा उठाना पड़ेगा। इस निर्णय पर यात्रियों को रास नहीं आ रहा है। सोमवार को घरेलू उड़ानें शुरू तो हुई मगर, इस नियम की वजह से तमाम लोगों ने अपने टिकट कैंसिल करा दिए। जिन लोगों ने यात्रा की वह भी इस फैसले से हैरान और परेशान हैं।कई यात्री तो एयरपोर्ट पर अधिकारियों से बहस करते नजर आए। जिन यात्रियों को संस्थागत क्वारंटाइन सेंटरों में भेजा गया है, वह भी खासे नाराज हैं। उनका कहना है कि जब सरकार उन्हें क्वारंटाइन कर रही है तो उनके रहने और खाने का खर्च भी सरकार को ही वहन करना चाहिए। यात्रियों का कहना था कि वह विषम परिस्थितियों में हवाई यात्रा कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें सात दिन की क्वारंटाइन अवधि में अपने खर्च पर रखा जाना न्यायोचित नहीं है। ऋषिकेश में गढ़वाल मंडल विकास निगम के अतिथि गृह में 16 लोगों को क्वारंटाइन किया गया है, जिनसे 450 रुपये भोजन और साढ़े नौ सौ रुपये कमरे का लिया जा रहा है।