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हवाई यात्रियों ने उठाए संस्थागत क्वारंटाइन व्यवस्था पर सवाल, जानिए क्या कहा

हवाई यात्रियों को स्वयं के खर्च पर संस्थागत क्वारंटाइन किए जाने का फैसला रास नहीं आ रहा है। उन्होंने सरकार के इस निर्णय का विरोध करते हुए इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है।

By Edited By: Published: Tue, 26 May 2020 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 11:48 AM (IST)
हवाई यात्रियों ने उठाए संस्थागत क्वारंटाइन व्यवस्था पर सवाल, जानिए क्या कहा
हवाई यात्रियों ने उठाए संस्थागत क्वारंटाइन व्यवस्था पर सवाल, जानिए क्या कहा

ऋषिकेश, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण दौर में जहां सरकार सभी प्रवासियों को हर तरह की राहत देने की का दावा कर रही है। वहीं, हवाई यात्रियों को उनके स्वयं के खर्च पर संस्थागत क्वारंटाइन किए जाने का फैसला रास नहीं आ रहा है। उन्होंने सरकार के इस निर्णय का विरोध करते हुए इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है। 

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लॉकडाउन के चलते पिछले दो माह से घरेलू उड़ाने बंद थी, जिन्हें सोमवार को खोल दिया गया है। हवाई सुविधा से आने वाले यात्रियों के लिए सरकार ने सात दिन संस्थागत क्वारंटाइन तथा सात दिन होम क्वारंटाइन में रहने की व्यवस्था की है। सात दिन के संस्थागत क्वारंटाइन की अवधि में यात्रियों को स्वयं ही खर्चा उठाना पड़ेगा। इस निर्णय पर यात्रियों को रास नहीं आ रहा है। सोमवार को घरेलू उड़ानें शुरू तो हुई मगर, इस नियम की वजह से तमाम लोगों ने अपने टिकट कैंसिल करा दिए। जिन लोगों ने यात्रा की वह भी इस फैसले से हैरान और परेशान हैं।कई यात्री तो एयरपोर्ट पर अधिकारियों से बहस करते नजर आए। जिन यात्रियों को संस्थागत क्वारंटाइन सेंटरों में भेजा गया है, वह भी खासे नाराज हैं। उनका कहना है कि जब सरकार उन्हें क्वारंटाइन कर रही है तो उनके रहने और खाने का खर्च भी सरकार को ही वहन करना चाहिए। यात्रियों का कहना था कि वह विषम परिस्थितियों में हवाई यात्रा कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें सात दिन की क्वारंटाइन अवधि में अपने खर्च पर रखा जाना न्यायोचित नहीं है। ऋषिकेश में गढ़वाल मंडल विकास निगम के अतिथि गृह में 16 लोगों को क्वारंटाइन किया गया है, जिनसे 450 रुपये भोजन और साढ़े नौ सौ रुपये कमरे का लिया जा रहा है। 

सरकार को वापस लेना चाहिए फैसला
मुनीकीरेती निवासी सत्येंद्र सिंह नेगी कहते हैं कि मैं बिहार में प्राइवेट स्कूल में पढ़ाता हूं, लॉक डाउन में कई दिन फंसे रहने के बाद मैंने दिल्ली से हवाई टिकट बुक कराया था। मगर, यहां आकर पता चला कि सरकार द्वारा निर्धारित संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर में रहना पड़ेगा। मेरा घर ऋषिकेश में है। मैं प्रतिदिन डेढ़ हजार रुपए क्वारंटाइन सेंटर में व्यय नहीं कर सकता। सरकार को यह फैसला वापस लेना चाहिए। 
किसी तरह पैसे जोड़कर किया टिकट 
टिहरी के धार मंडल निवासी सोहन सिंह नेगी का कहना है कि मैं बेंगलुरु में एक घर में नौकरी करता हूं। लॉकडाउन में किसी तरह पैसे जोड़कर मैंने हवाई जहाज से घर पहुंचने की कोशिश की। मगर, यहां आकर पता चला कि सरकारी संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर में सात दिन रहना पड़ेगा। मेरे लिए यह खर्च उठाना संभव नहीं है। सरकार का यह निर्णय पूरी तरह से गलत है। इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। 
रहने और खाने की व्यवस्था करे सरकार 
ऋषिकेश के गुमानीवाला निवासी बलविंदर सिंह कंडारी ने बताया कि वो दिल्ली में प्राइवेट बैंक में काम करता हैं। लॉकडाउन के चलते पहले ही नौकरी पर संकट है। किसी तरह पैसा जमाकर हवाई जहाज से घर आए थे। मगर, यहां संस्थागत क्वारंटाइन कर दिया गया। उनका कहना है कि मेरा घर गुमानीवाला में है जहां ग्राम प्रधान ने क्वारंटाइन की व्यवस्था की है, मैं वहां रहने को तैयार हूं। मगर सरकार जबरन हमारा शोषण कर रही है। इधर, रुड़की निवासी जीत पाल सिंह का कहना है कि मैं बेंगलुरु में होटल में काम करता हूं। अपने परिवार के साथ किसी तरह पैसों का प्रबंध करके हवाई यात्रा कर यहां पहुंचे हैं। यहां तीन लोगों के साथ सात दिन तक क्वारंटाइन सेंटर में रह पाना मेरे हैसियत से बाहर है। यदि सरकार हमें क्वारंटाइन ही करना चाहती है तो कम से कम हमारे रहने और खाने की व्यवस्था करें।

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