शरीर की विपरीत बनावट वाले व्यक्ति का एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने किया सफल ऑपरेशन
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के जनरल सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने एक ऐसे व्यक्ति की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है जिसके शरीर की बनावट सामान्य से एकदम विपरीत थी। अधिकांश चिकित्सक उनके ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं हुए।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के जनरल सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने एक ऐसे व्यक्ति की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है, जिसके शरीर की बनावट सामान्य से एकदम विपरीत थी। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि टिहरी निवासी 44 वर्षीय मरीज काफी समय से पित्त की थैली (गाल ब्लेडर) की पथरी से पीड़ित थे। अधिकांश चिकित्सक उनके ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं हुए। इसकी वजह उनकी शारीरिक बनावट में शरीर के अंगों का एकदम वितरीत स्थानों पर होना बताया गया।
बताया गया कि करीब 10 से 20 हजार लोगों में से एक इंसान की शरीर की बनावट में इस तरह का अंतर मिलता है।जिसमें व्यक्ति के अंग उल्टी दिशा में होता है। चिकित्सकों के अनुसार इस केस में भी यही था। मरीज का पित्त की थैली व कलेजा बांयी ओर था, जबकि वह सामान्यत: दायीं ओर होता है। ऑपरेशन को अंजाम देने वाले शल्य चिकित्सक डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि मरीज की पित्त की थैली में पथरी व इन्फैक्शन की समस्या थी। जिसका पता उन्हें एक साल पहले चला था। जिसमें सामान्य मरीज में इस केस में दूरबीन विधि लैप्रोस्कोपी सर्जरी की जाती है। मगर मरीज के अंगों के निर्धारित स्थान की बजाए वितरीत दिशा में होने के चलते संभवत: चिकित्सकों ने सर्जरी के समय आने वाले दिक्कतों के मद्देनजर केस को नहीं लिया।
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दौरान मरीज की पित्त की थैली पर आसपास के अंग आंतें, चर्बी आदि चिपके हुए मिले। जटिलता के बावजूद इस सर्जरी को लैप्रोस्कोपी के माध्यम से सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। चिकित्सक के अनुसार मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं, उन्हें गुरुवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। टीम में डॉ. आषीकेश कुंडल, डॉ. श्रुति श्रीधरन, डॉ. मनोज जोशवा, डॉ. सिंधुजा, डॉ . भार्गव, डॉ. श्रीकांत, डॉ. दिवाकर आदि शामिल थे।
यह थी इस सर्जरी में जटिलता
चिकित्सकों के अनुसार नॉर्मल व्यक्ति में पित्त की थैली के दायीं ओर होने से चिकित्सक मरीज के बायीं ओर खड़े होकर सर्जरी का कार्य करते हैं, मगर इस केस में दायीं ओर खड़े होकर बायीं ओर बनी पित्त की थैली का ऑपरेशन करना पड़ा। जो कि तकनीकिरूप से अधिक चुनौतिपूर्ण व जटिल होता है। इससे ऑपरेशन के दैरान हैंड आई कॉर्डिनेशन को मेंटेन करना कठिन कार्य था।
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