कृषि मंत्री सुबोध उनियाल बोले, जड़ी-बूटियों पर अधिकाधिक शोध की जरूरत
यूनिवर्सिटीज जर्नल एंड फाइटो केमिस्ट्री एंड आयुर्वेदिक हाइट्स (उजपाह) ने ‘फाइटो केमिस्ट्री एंड आयुर्वेद पोटेंशियल एंड प्रोस्पेक्टस’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया। जिसमें विभिन्न महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों के शिक्षकों व शोधकर्ताओं ने भाग लिया। इस अवसर पर स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
जागरण संवाददाता, देहरादून। यूनिवर्सिटीज जर्नल एंड फाइटो केमिस्ट्री एंड आयुर्वेदिक हाइट्स (उजपाह) ने ‘फाइटो केमिस्ट्री एंड आयुर्वेद: पोटेंशियल एंड प्रोस्पेक्टस’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया। जिसमें विभिन्न महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों के शिक्षकों व शोधकर्ताओं ने भाग लिया। इस अवसर पर स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने अपने वर्चुअल संबोधन में कहा कि उत्तराखंड अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए देश में एक विशिष्ट पहचान रखता है। अपनी प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए जड़ी-बूटियों और हर्बल उत्पाद पर अधिक शोध की आवश्यकता है। उन्होंने अस्पष्टीकृत जड़ी-बूटियों की अधिकाधिक खोज की जरूरत बताई। साथ ही यह उम्मीद जताई कि राज्य के विकास के लिए इस तरह की चर्चा भविष्य में भी होती रहेगी। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को उनके प्रयास के लिए बधाई दी।
विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनील जोशी ने कहा कि कोरोना का इलाज आयुर्वेद से ही संभव है। एसबीएस विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आके सिंह ने कहा कि वर्तमान में देश में कोरोना वायरस के दस प्रकार हैं। उन्होंने फाइटो केमिस्ट्री के आधार पर आयुर्वेद के अध्ययन पर बल दिया। इससे पहले चीफ एडिटर डॉ. एस फारुख ने जड़ी-बूटियों के अनुसंधान पर जोर दिया। कहा कि अनुसंधान से ही तरक्की संभव है। डॉ. हिम्मत सिंह ने उजपाह के विषय में जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि किस तरह ये संगठन फाइटो केमिस्ट्री, फार्माकोडायनामिक्स को आगे लेकर आया और शोधकर्ताओं को मंच प्रदान किया। डॉ. आइपी सक्सेना ने उजपाह जर्नल के बारे में जानकारी दी। वहीं, डॉ. संजय नैथानी ने पोस्टर प्रतियोगिता व डॉ. वर्षा ने मौखिक प्रस्तुति के परिणाम घोषित किए। डॉ. आइपी पांडे ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया।
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