दून में 219 अतिक्रमण तोड़े, प्रेमनगर में ठिठक गए कदम
देहरादून की सड़कों पर पसरे अतिक्रमण को प्रशासन ने हटाना शुरू कर दिया है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सुबह 10 बजे से शुरू की गई। अतिक्रमण का सर्वे किया गया पूर्व में ध्वस्त किए गए अतिक्रमण की स्थिति देखी गई और फिर ध्वस्तीकरण किया गया।
देहरादून, जेएनएन। हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में प्रशासन की टीम अतिक्रमण हटाने के लिए एक बार फिर सड़क पर उतरी। सुबह से शाम तक चले अभियान में 219 अतिक्रमण ध्वस्त किए गए। हालांकि, हर बार की तरह प्रेमनगर के अतिक्रमण पर प्रशासन के कदम ठिठक गए। दिनभर चली तनातनी के बाद अधिकारियों को उच्च स्तर से फोन आया और टीम आगे बढ़ गई। प्रेमनगर के व्यापारियों को दुकानें खाली करने के लिए गुरुवार शाम पांच बजे तक का समय दिया गया है।
मंगलवार सुबह प्रशासन की टीमें शहर के अलग-अलग हिस्सों में तैनात हो गई थीं। पुलिस बल व जेसीबी के साथ टीमें आगे बढ़ती रहीं और अतिक्रमण पर प्रहार किया जाता रहा। इस दौरान पूर्व में तोड़े गए अतिक्रमण का सर्वे भी किया गया। कुछ जगह दोबारा भी अतिक्रमण पाए गए। इन्हें तत्काल हटा दिया गया। कुछ जगह अतिक्रमण हटाने को लेकर अधिकारियों व संबंधित व्यक्तियों के बीच नोकझोंक भी हुई।
हालांकि, हालात काबू में रहे। सिर्फ प्रेमनगर में आशंका के अनुरूप मामला तूल पकड़ गया। केहरी गांव से अतिक्रमण हटाते हुए प्रशासन की टीम जैसे ही प्रेमनगर बाजार पहुंची, वहां तमाम व्यापारी विरोध में उतर पड़े। उन्होंने कहा कि दुकानों में सामान पड़ा है और इससे नुकसान होगा। सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान ने पेशकश की कि श्रमिक सामान को सुरक्षा के साथ बाहर निकाल लेंगे, मगर व्यापारी विरोध पर अड़े रहे।
हंगामा बढ़ता देख अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अरविंद कुमार पांडेय और एसपी सिटी श्वेता चौबे भी मौके पर पहुंच गईं। उन्होंने व्यापारियों को समझाने का प्रयास किया। एक बार तो अपर जिलाधिकारी ने प्रेमनगर को जीरो जोन में तब्दील करने की तैयारी कर ली थी। उन्होंने माइक से सभी अतिक्रमणकारियों को आधे घंटे में दुकान खाली करने की चेतावनी भी दे दी थी। लेकिन, तभी उच्च स्तर से फोन आ गया और अभियान को स्थगित कर टीम को आगे बढ़ना पड़ा।
प्रेमनगर पर मेहरबानी से उठ रहे सवाल
जिन कारोबारियों ने खामोश होकर अपने अतिक्रमण तोड़ने दिए, वह शासन और प्रशासन से सवाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रेमनगर पर बार-बार मेहरबानी क्यों दिखाई जा रही है। यह पहली दफा नहीं है, जब प्रेमनगर के अतिक्रमण पर मशीनरी के कदम ठिठके हैं। वर्ष 2018 में पहले चरण के अभियान में भी अधिकारी विरोध के चलते प्रेमनगर से बैरंग लौट आए थे।
सितंबर 2019 में भी बामुश्किल यहां के अतिक्रमण ध्वस्त किए गए थे। हालांकि, प्रेमनगर पर खास मेहरबानी के चलते कुछ ही समय बाद यहां हालात पहले जैसे हो गए। मंगलवार को भी यही मेहरबानी अभियान में रोड़ा बन गई।
हटाए जाने हैं 1379 अतिक्रमण
दून में 1379 अतिक्रमण हटाए जाने हैं। पहले दिन बेहद कम अतिक्रमण हटाए गए। वजह यह रही कि प्रेमनगर में अभियान रोकना पड़ा तो गांधी रोड व सहारनपुर रोड के मुख्य भाग को छेड़ा ही नहीं गया। ऐसे में कोर्ट के स्टे के बाद अतिक्रमण किस तरह हटाए जाएंगे, यह सवाल भी बाकी है। कहीं न कहीं अधिकारियों को भी ऊपर से कार्रवाई तेज करने के स्पष्ट आदेश नहीं मिल रहे। ऐसे में आने वाले दिन अतिक्रमण हटाओ अभियान पर भारी पड़ सकते हैं।
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