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अपर मुख्य सचिव ने सौंपी एनएच-74 घोटाले की जांच रिपोर्ट

एनएच 74 चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में आरोपित पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ चल रही जांच तकरीबन ढाई साल बाद पूरी हो गई है। जांच अधिकारी अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने अपनी रिपोर्ट कार्मिक विभाग को सौंप दी है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 07:30 AM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 07:30 AM (IST)
अपर मुख्य सचिव ने सौंपी एनएच-74 घोटाले की जांच रिपोर्ट
अपर मुख्य सचिव ने सौंपी एनएच-74 घोटाले की जांच रिपोर्ट।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। एनएच 74 (हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग) चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में आरोपित पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ चल रही जांच तकरीबन ढाई साल बाद पूरी हो गई है। जांच अधिकारी अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने अपनी रिपोर्ट कार्मिक विभाग को सौंप दी है। सूत्रों की मानें तो जांच में सेवारत सात पीसीएस अधिकारियों में से पांच के खिलाफ आरोपों की पुष्टि हुई है, जबकि दो के खिलाफ आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है।

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एनएच 74 मुआवजा घोटाले में आयुक्त कुमाऊं की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश सरकार ने मार्च 2017 में आठ पीसीएस अधिकारियों को प्रथम दृष्ट्या दोषी माना था। इनमें से सात पीसीएस अधिकारियों तीरथ पाल सिंह, अनिल शुक्ला, डीपी सिंह, नंदन सिंह नगन्याल, भगत सिंह फोनिया, सुरेंद्र सिंह जंगपांगी और जगदीश लाल को निलंबित कर दिया गया था। एक सेवानिवृत्त पीसीएस अधिकारी के खिलाफ भी जांच की संस्तुति की गई थी। इन सभी पीसीएस अधिकारियों को चार्जशीट सौंपने के बाद मामले की जांच अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार को दी गई। तकरीबन ढाई साल बाद उन्होंने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट कार्मिक विभाग को सौंप दी है। सूत्रों की मानें तो जांच रिपोर्ट में अधिकारियों को दी गई चार्जशीट के जवाबों के साथ ही एसआइटी जांच में मिले सबूतों को शामिल करते हुए आरोपितों पर विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की गई है।

जांच रिपोर्ट मिलने के बाद अब पीसीएस अधिकारियों का नियोक्ता विभाग, यानी कार्मिक विभाग इसका अध्ययन करेगा। वह जांच रिपोर्ट से सहमत होगा तो फिर आरोपित अधिकारियों से उनका पक्ष लेने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। यदि विभाग जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होगा तो फिर वह रिपोर्ट फिर से जांच अधिकारी को भेज सकता है।

क्या है एनएच-72 घोटाला

एनएच-74 मुआवजा घोटाला उत्तराखंड का सबसे बड़ा घोटाला है। यह घोटाला वर्ष 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार बनने के तत्काल बाद सामने आया था। हाईवे के चौड़ीकरण में मुआवजा राशि आवंटन में तकरीबन 250 करोड़ के घोटाले की आशंका है। आरोप है कि मिलीभगत से अपात्र व्यक्तियों को मुआवजा राशि वितरित की गई। इसकी जांच एसआइटी भी कर रही है। अब तक जांच में एसआइटी घोटाले की पुष्टि कर अधिकारियों व किसानों समेत 30 से अधिक लोगों को जेल भेज चुकी है। इस प्रकरण में दो आइएएस अधिकारी भी निलंबित हुए थे।

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