अभिनेत्री दिव्या दत्ता बोलीं, सिनेमा में लौटा अच्छी कहानी और अभिनय का दौर
अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में यह वक्त अच्छे अभिनेताओं और अच्छी कहानियों का है। ऐसे लगता है मानो सिनेमा का एक अच्छा दौर लौटकर आ गया है।
देहरादून, सतेंद्र डंडरियाल। फिल्म इंडस्ट्री में यह वक्त अच्छे अभिनेताओं और अच्छी कहानियों का है। ऐसे लगता है मानो सिनेमा का एक अच्छा दौर लौटकर आ गया है। कम बजट में बनी बेहतरीन फिल्मों को दर्शक पसंद कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह हमारी अपनी ही कहानी हैं। हां, यह जरूर है कि एक अच्छी फिल्म उसके डायरेक्टर, कहानी और फिर एक्टर पर निर्भर होती है।
दसवें जागरण फिल्म फेस्टिवल में शिरकत करने दून पहुंचीं अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने दैनिक जागरण से बातचीत में अपने फिल्मी सफर पर अनुभव साझा किए। अब तक लगभग 150 फिल्मों में दमदार अभिनय कर चुकीं दिव्या को फिल्म भाग मिल्खा भाग में बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए आइफा अवार्ड मिल चुका है। इसके अलावा पिछले साल ही उन्हें नेशनल अवार्ड भी मिला।
दिव्या दत्ता हिंदी सिनेमा के साथ ही वह पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में भी सक्रिय हैं। उन्होंने बताया कि चार साल की उम्र से उन्होंने अभिनय की शुरुआत कर दी थी। एक लंबे सफर के बाद नॉन फिल्मी लड़की ने मुंबई में अपनी जगह बनाई।
दैनिक जागरण से खुद को जोड़ते हुए दिव्या बताती हैं कि हमारी दोस्ती बहुत पुरानी है। पिछले दस सालों में जागरण फिल्म फेस्टिवल काफी विस्तृत हुआ है। यह देखकर काफी खुशी हो रही है। नए लोगों के लिए फेस्टिवल एक खूबसूरत प्लेटफॉर्म हैं, जहां देश-दुनिया की बेहतरीन फिल्में देखने का मौका मिलता है।
बताया कि उनकी आने वाली फिल्मों में 'सीर-कोरमा' बेहद खास है, जिसमें वह शबाना आजमी व स्वरा भास्कर के साथ होंगी। इसके अलावा मलाला युसुफजई पर बनने वाली एक अन्य फिल्म और अनुभव सिन्हा निर्देशित फिल्म 'अभी तो पार्टी शुरू हुई है' में भी वह नए अंदाज में नजर आएंगी।
समय लगेगा लेकिन लिंगभेद से पार ही लेंगे हम
बॉलीवुड भी लिंगभेद का शिकार रहा है, लेकिन अब समय बदल रहा है। अब इंडस्ट्री में अभिनेत्री का कद भी अभिनेता जितना हो गया है। समय लगेगा लेकिन एक दिन हम लिंगभेद से पार पा ही लेंगे। जागरण फिल्म फेस्टिवल के दूसरे सत्र में दूनवासियों से सीधे संवाद में अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने यह बात कही।
दूसरे सत्र में दर्शकों ने अभिनेत्री दिव्या दत्ता से जहां खुलकर सवाल किए, वहीं दिव्या ने बेबाकी से उनका जवाब दिया। दिव्या दत्ता से नए और पुराने हर दौर की फिल्मों पर चर्चा हुई। किस तरह से पिछले आठ दशकों की फिल्मों में बदलाव आया, इसे लोगों ने दिव्या की जुबानी समझा।
फिल्मों में अपना कैरियर बनाने का सपना देख रही युवतियों से उन्होंने कहा कि वे केवल ग्लैमर के लिए फिल्मों में न आएं। उन्होंने कहा कि केवल चर्चाओं के लिए आपको फिल्में देने वाले डायरेक्टर से बचकर रहना चाहिए। विषय को महत्ता देने वाली फिल्मों और निदेशक को चुनें, तभी आप एक बेहतर अदाकार बन सकेंगी।
इंडस्ट्री में वंशवाद पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हो सकता है पहचान नहीं होने की वजह से आपको फिल्में मिलने में समय लगे, लेकिन आप लगातार प्रयास करेंगे तो सफलता मिलना तय है।
दिव्या से बातचीत
निशा शर्मा-दून आपको कैसा लगा, क्या आप यहां पहले आई हैं।
दिव्या- दून मेरे घर जैसे ही है। मेरी बहन यहीं पर रहती है। अक्सर मेरा यहां आना-जाना लगा रहता है। दून के नजारे और लोग दोनों ही मुझे पसंद हैं। अगर मुझे उत्तराखंड की फिल्मों में काम करने का मौका मिलेगा तो मैं इसके लिए तैयार हूं।
आशा रानी पैन्यूली-क्या आप इससे सहमत हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में लिंगभेद है।
दिव्या- इंडस्ट्री में हीरो का वर्चस्व रहता है, लेकिन अब स्थिति बदल रही है। उन्होंने शाहरूख खान का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी कई फिल्में ऐसी हैं, जहां हीरोइन का नाम उनसे पहले आया है। उम्मीद करती हूं कि एक दिन यह भेद भी खत्म हो जाएगा।
बद्रीश छाबड़ा-फिल्म इंडस्ट्री में रिजेक्शन का सामना करने वाले नये कलाकारों को क्या करना चाहिए।
दिव्या- इतिहास रहा है कि फिल्म इंडस्ट्री ने अच्छे अभिनेताओं को अपनाया है। भले ही उन्हें शुरुआती दौर में संघर्ष करना पड़ा हो या फिर रिजेक्शन का सामना करना पड़ा हो। लेकिन, यदि आप में प्रतिभा है तो देर सबेर आपको सफलता मिलेगी।
सुषमा नेगी-मैं, फिल्मों में काम करना चाहती हूं, लेकिन बोल्ड सीन करने में झिझक होती है।
दिव्या-पहले तो आप अपनी झिझक दूर करें, क्योंकि यह आप नहीं, बल्कि उस किरदार की मांग है, जो आप निभा रहे हैं। उन डायरेक्टरों के साथ काम न करें जो आपको केवल सुर्खियां दें। कोई भी सीन किरदार के जीवन का हिस्सा होता है, न कि आपके जीवन का। आप बस अपना काम बिना झिझक के करें।
सुभाष बोहरा-कई बार फिल्मों की शूटिंग करने के बाद, सीन कट जाते हैं। ऐसा होना कैसा लगता है।
दिव्या- यह फिल्मों का एक हिस्सा है। आप अपने काम पर भरोसा रखें। कई दफा जमे हुए कलाकारों के सीन भी फिल्मों से काट दिए जाते हैं। इसमें आप कुछ नहीं कर सकते। जो है उसे स्वीकार कर आगे बढ़े।
जितेश धवन-अपनी आने वाली फिल्म 'सीर कोरमा' के बारे में बताएं।
दिव्या- फिल्म देश में ट्रासजेंडर समाज के लिए लागू हुए नए कानून और इनके प्रति समाज के नजरिये पर आधारित है।
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डॉ. स्वाती मिश्रा-क्या आप भविष्य में मनोवैज्ञानिक चरित्रों पर आधारित फिल्में करना पसंद करेंगी।
दिव्या- हां, मुझे ऐसे किरदार पसंद हैं। मुझे अगर किसी मनोवैज्ञानिक किरदार पर अच्छी कहानी मिली तो जरूर फिल्म करूंगी।
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रमा गोयल-इंडस्ट्री में पहचान के बिना एंट्री का रास्ता क्या है।
दिव्या- हर एक की जिंदगी और रास्ता अलग होता है। आप किसी के कहने पर कोई काम न करें। हो सकता है मेरे लिए जो रास्ता सही है, वह आपके लिए गलत हो। इंडस्ट्री में काम करना है, तो बस खुद में सुधार लाएं और लगातार कोशिश करते रहें।
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