अभिनेता रजा मुराद ने पाकिस्तान की अभिनेत्री को दिया था ऐसा करारा जबाव, जानिए
प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता रजा मुराद का कहना है कि लाइव शायरी करना बड़ी स्क्रीन और एक्टिंग से भी अधिक मुश्किल है। उन्होंने पाकिस्तानी अभिनेत्री को करारा जवाब देने का भी किस्सा सुनाया।
देहरादून, जेएनएन। प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता रजा मुराद का कहना है कि लाइव शायरी करना बड़ी स्क्रीन और एक्टिंग से भी अधिक मुश्किल है। क्योंकि मंच में किसी भी गलती की कोई गुंजाइश नहीं रहती। अपने अनुभव बांटने के दौरान उन्होंने पाकिस्तानी अभिनेत्री को करारा जवाब देने का भी किस्सा सुनाया।
अभिनेता रजा मुराद विरासत में अपनी प्रस्तुति देने दून आए हुए हैं। रजा मुराद ने बताया कि शायरी लिखने वाला और सुनने वाला दोनों ही उनके लिए खास हैं। उन्होंने बताया कि उनके वालिद को भी शायरी की काफी समझ थी। उनसे उन्हें यह विद्या विरासत में मिली है। वह अपने पिता के साथ गजल कार्यक्रमों में जाए करते थे।
बताया कि उनकी पढ़ाई भी उर्दू में हुई जिससे उनकी शायरी में परिपक्कता आई। उन्होंने बताया कि इसका फायदा उन्हें नमकहराम फिल्म में हुआ। उसमें उनके द्वारा पढ़े गए एक शेर जीने की आरजू में मरे जा रहे है और मरने की आरजू में जीए जा रहे हैं... को सुनाने के लिए लोग आज भी डिमांड करते हैं।
हीना फिल्म की शूटिंग का यह किस्सा हमेशा रहेगा याद
उन्होंने बताया कि जब वह हिना फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तो पाकिस्तानी अभिनेत्री रेवा ने उन्हें कहा था कि उनके वहां शादी पर खुशी व्यक्त करने के लिए हवा में फायर किए जाते हैं। इसके जबाव में उन्होंने रेवा से कहा था कि आपके जवान खुशी में तो फायरिंग करते हैं, लेकिन जब फायरिंग करने की बारी आती है तो वह आत्मसमर्पण कर देते हैं।
पहला लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड की खुशी ही अलग
रजा मुराद अब तक 19 भाषाओं में नेशनल और इंटरनेशनल फिल्मों में काम कर चुके है। उन्होंने बताया कि उर्दू में पढ़ाई पूरी करने के बाद पंजाबी सीखना उनके लिए बहुत मुश्किल था। जिसके लिए उन्होंने जी जान लगाकर पंजाबी सीखी। खुशी की बात यह है कि उन्हें पीटीसी अवार्ड शो में पहला लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला।
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लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना जरूरी
राजनीति से दूर रहने की बात पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हर नेता अभिनेता नहीं होता और हर अभिनेता नेता नहीं होता। वोट हासिल करके चुनाव जीतना बड़ी बात नहीं, लेकिन लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना मुश्किल है। उनका कहना है कि राजनीति में आने के बाद इंसान को केवल उसी पर फोक्स करना चाहिए। यहीं कारण है कि उन्होंने साफ शब्दों में राजनीति में जाने से इन्कार कर दिया।
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