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चार सप्ताह में पूरी होने वाली कार्रवाई डेढ़ साल बाद भी अधूरी Dehradun News

राजधानी में अतिक्रमण पर हाईकोर्ट ने जो कार्रवाई चार सप्ताह में पूरी करने के आदेश दिए थे उसमें डेढ़ वर्ष का वक्त भी कम पड़ गया है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 01:27 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 01:27 PM (IST)
चार सप्ताह में पूरी होने वाली कार्रवाई डेढ़ साल बाद भी अधूरी Dehradun News
चार सप्ताह में पूरी होने वाली कार्रवाई डेढ़ साल बाद भी अधूरी Dehradun News

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। राजधानी के अतिक्रमण पर हाईकोर्ट के कड़े आदेश भी अधिकारियों पर बेअसर साबित हुए हैं। यही कारण है कि हाईकोर्ट ने जो कार्रवाई चार सप्ताह में पूरी करने के आदेश दिए थे, उसमें डेढ़ वर्ष का वक्त भी कम पड़ गया है। स्थिति यह है कि शहर में अभी भी साठ फीसद से ज्यादा अतिक्रमण जस की तस हाल में है। इसमें चिह्नित किए नौ हजार अतिक्रमण में से साढ़े चार हजार को महज लाल निशान लगा कर छोड़ दिया गया, जबकि हटाए गए अतिक्रमण को वैसे ही छोड़ देने से दोबारा अतिक्रमण हो गया। इससे पूरी कार्रवाई पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं।

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हाईकोर्ट ने जनहित याचिका का संज्ञान लेते हुए 18 जून 2018 को दून अतिक्रमण हटाने पर कड़े आदेश जारी किए थे। इसमें सड़कों, नाली, फुटपॉथ, सरकारी जमीनों व कॉलोनी आदि हिस्सों से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश पर 27 जून से प्रशासन ने शहर को चार जोन में बांटकर चिह्निकरण शुरू किया। 

शुरुआत में हाईकोर्ट के डर से शासन व प्रशासन के अधिकारियों ने दिलचस्पी दिखा अभियान को गंभीरता से संचालित किया। मगर, इस बीच बारिश, विधानसभा सत्र, इन्वेस्टर्स मीट आदि का आयोजन होने पर पुलिस फोर्स की कमी बताते हुए अभियान से मुंह मुडऩा शुरू कर दिया। 14 सितंबर-2018 को प्रेमनगर में अतिक्रमण पर बड़ी कार्रवाई हुई तो अतिक्रमण को संरक्षण देने वाले भी परेशान दिखे। 

प्रेमनगर की कार्रवाई के बाद प्रशासन ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली। इसके बाद जिलाधिकारी तो दूर कोई पटवारी तक शहर की सड़क पर अतिक्रमण देखने नहीं गया। अतिक्रमण पर लगाए गए लाल निशान को लोगों ने मिटा दिए। जहां अतिक्रमण हटाया गया था, उन स्थानों पर दोबारा अतिक्रमण हो गया। इसका उदाहरण प्रेमनगर बाजार है। जहां दोबारा अतिक्रमण का बाजार सज गया है। 

एक वर्ष बाद फिर प्रशासन ने सितंबर-2019 में अतिक्रमण पर डंडा चलाने की तैयारी की और पांच तारीख से चला अभियान 22 तारीख को बीच रस्ते में बंद कर दिया गया। इस डेढ़ साल में जो ढुलमुल नीति प्रशासन ने अपनाई, वह छुपी नहीं है। इसमें न केवल जिले के जिम्मेदारों बल्कि शासन के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। 

अब कार्रवाई दोबारा शुरू करने के दावे किए जा रहे मगर पिछले हश्र को देखते हुए अभियान कितना चलेगा, यह संशय बरकरार है। हाईकोर्ट ने जिस उद्देश्य के लिए अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे, अधिकारियों की मनमानी ने उस पर पूरी तरह पानी फेर दिया है।

अफसरों ने की दोहरी कार्रवाई

अतिक्रमण पर अफसरों ने दोहरी कार्रवाई की है। लाल निशान लगाने के बाद धर्मपुर, रिस्पना, रायपुर रोड, सहस्रधारा, हरिद्वार रोड आदि इलाकों में लोगों ने खुद अपने मकान तोड़े हैं। लेकिन, प्रिंस चौक, रेसकोर्स चौक, ईसी रोड समेत कई जगह पर लाल निशान लगाने के बावजूद लोगों ने अतिक्रमण नहीं हटाए हैं। इससे अतिक्रमण हटा चुके लोगों ने अधिकारियों पर सवाल खड़े किए हैं कि दबंग व ऊंची पकड़ रखने वालों पर आदेश का कोई असर नहीं हुआ है। गरीबों पर ही इसकी मार पड़ी।

सड़क चौड़ीकरण को लेकर होगी कार्रवाई 

दून के जिलाधिकारी सी. रविशंकर के अनुसार, हाईकोर्ट के आदेश के बाद शहर में बड़ी संख्या में अतिक्रमण हटाया जा चुका है। अब सड़क चौड़ीकरण के दौरान शहर में जो भी अतिक्रमण सामने आएगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी। 

यहां हटाया गया था अतिक्रमण

-रिस्पना से चंचल स्वीट शॉप तक सड़क के दोनों तरफ।

-नेहरू कॉलोनी चौक से धर्मपुर चौक तक।

-आराघर चौक से ईसी रोड पर सर्वे चौक तक।

-सर्वे चौक से रायपुर रोड।

-सहस्रधारा क्रासिंग से सहस्रधारा तक।

-जोगीवाला से रिंग रोड डोभालवाला तक।

-बिंदाल पुल से चकराता रोड किशननगर चौक तक।

-सहारनपुर चौक से बल्लीवाला तक कांवली रोड।

-चकराता रोड पर प्रेमनगर बाजार और मिठ्ठीबेहड़ी। 

यहां नहीं हुई कोई कार्रवाई

-राजपुर रोड के कैनाल रोड से घंटाघर के बीच।

-सुभाष रोड पर सीएमआइ से क्रास मॉल तक।

-घंटाघर से पलटन बाजार की सभी सड़कों पर।

-प्रिंस चौक से सहारनपुर चौक तक आढ़त बाजार।

-प्रिंस चौक से त्यागी रोड रेसकोर्स तक।

-प्रिंस चौक से मोहकमपुर हरिद्वार हाईवे पर।

हाईकोर्ट ने ये दिए थे आदेश

-चार सप्ताह में दून की सड़कों से हटाएं अतिक्रमण।

-अतिक्रमण के दौरान दून में तैनात रहे अधिकारियों पर कार्रवाई करें सीएस।

-निर्धारित समय में अतिक्रमण न हटाने पर सीएस होंगे व्यक्तिगत जिम्मेदार।

-अतिक्रमण हटाने के लिए पूरी ताकत झोंक देें और जरूरत पडऩे पर धारा 144 लागू करें। 

प्रेमनगर में नेताओं की शह पर फिर सज गया अतिक्रमण

प्रेमनगर बाजार में हटाए गए अतिक्रमण की जगह दोबारा पक्की और कच्ची दुकानें तैयार हो गई हैं। अफसरों की अनेदखी और नेताओं की शह मिलने से यहां बाजार अतिक्रमण हटाने के कुछ समय बाद ही धीरे-धीरे पुराने स्वरूप में आने लगा था और अब काफी हद तक वापसी ली गई सरकारी भूमि पर बाजार सज गया है। 

हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू अतिक्रमण हटाओ अभियान में प्रेमनगर बाजार में 14 सितंबर 2018 को अतिक्रमण पर कार्रवाई की गई थी। यहां 155 छोटे-बड़े अतिक्रमण ध्वस्त किए गए थे और इससे प्रेमनगर का स्वरूप बदल गया था। बाजार व राजमार्ग तक बेहद खुले रूप में आ गए थे। इसको लेकर स्थानीय लोगों ने अभियान की खूब प्रशंसा भी की थी। 

मगर, समय बीतने के साथ ही अफसरों ने आंखें मूंद लीं, फायदा नेताओं ने उठाया और चोरी-छिपे यहां फिर अतिक्रमण कराने की दबी जुबान में मंजूरी दे दी। इसके बाद तो बाजार के हर कोने में स्थायी-अस्थायी अतिक्रमण ने पांव पसार लिया। खासकर ठाकुरपुर रोड पर बड़े स्तर पर अतिक्रमण कर लिया गया। 

इसी तरह नंदा की चौकी से प्रेमनगर थाने के बीच में भी कई जगह सड़क के हिस्से पर कब्जा कर लिया गया। सितंबर-2019 में प्रशासन ने यहां दोबारा कार्रवाई की लेकिन राजनेता आड़े आ गए व अभियान रुक गया। यहां दोबारा अतिक्रमण किए जाने की जितनी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है, उतनी ही कैंट बोर्ड की भी है। दोनों में समन्वय न होने का फायदा अतिक्रमणकारियों ने लिया। इसकी बड़ी वजह यह भी रही कि जिन हिस्सों से अतिक्रमण हटाया गया था, उन्हें सड़कों में मिलाकर विकास नहीं किया गया। 

कांवली रोड से ठप हुआ था अभियान

पिछले साल सितंबर में प्रशासन ने जब दोबारा अतिक्रमण के विरुद्ध अभियान शुरू किया तो सबसे बड़ी कार्रवाई प्रेमनगर और कांवली रोड पर की गई थी। कांवली रोड पर 130 से ज्यादा अतिक्रमण ध्वस्त किए गए व इसके बाद अभियान ठप पड़ गया।  आज कांवली रोड की स्थिति पहले जैसी ही है। जहां अतिक्रमण तोड़े गए थे, वहां सड़क निर्माण न होने से दुकानदारों ने फिर कब्जा कर लिया है। 

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मॉडल रोड का ख्वाब भी अधूरा

ढाई साल बाद भी शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की सात किलोमीटर लंबी घंटाघर-आइएसबीटी मॉडल रोड का ख्वाब अधूरा है। जून-2017 में प्रशासन ने सड़क पर अतिक्रमण हटाकर बड़ी कार्रवाई तो की लेकिन अधिकारियों की अनदेखी ने दोबारा पूरे मार्ग को अतिक्रमण की जद में लाकर खड़ा कर दिया।

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