विदेशी नागरिकों को ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़, प्रॉपर्टी डीलिंग के ऑफिस की आड़ में चल रहा था फर्जी कॉल सेंटर
दून के आइटी पार्क में प्रॉपर्टी डीलिंग के ऑफिस की आड़ में विदेशी नागरिकों से ठगी की जा रही थी। यहां फर्जी कॉल सेंटर चल रहा था। जिससे एचपी डेल कैनन लैक्समार्क जैसी कंप्यूटर और लैपटॉप निर्माता नामी कंपनियों के नाम पर विदेशी नागरिकों को झांसा दिया जाता था।
जागरण संवाददाता, देहरादून: दून के आइटी पार्क में प्रॉपर्टी डीलिंग के ऑफिस की आड़ में विदेशी नागरिकों से ठगी की जा रही थी। यहां फर्जी कॉल सेंटर चल रहा था। जिससे एचपी, डेल, कैनन, लैक्समार्क जैसी कंप्यूटर और लैपटॉप निर्माता नामी कंपनियों के नाम पर विदेशी नागरिकों को फोन कर उनके कंप्यूटर/लैपटॉप में वायरस होने का झांसा दिया जाता था। इसके बाद उनसे वायरस हटाने के नाम पर लाखों रुपये वसूले जाते थे। प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने यहां छापा मारकर मुख्य आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है।
इस मामले में कुल सात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। बाकी छह की तलाश की जा रही है। एसटीएफ दो माह से इस कॉल सेंटर पर नजर रखने के साथ ही गोपनीय ढंग से जांच कर रही थी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि कुछ समय पहले अमेरिका में फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (एफबीआइ) ने निपुन गंधोक नाम के शख्स को गिरफ्तार किया था। वह अमेरिकी नागरिकों को कंप्यूटर और लैपटॉप बनाने वाली नामी कंपनियों के नाम पर फोन कर उनके कंप्यूटर/लैपटॉप में वायरस होने का झांसा देकर ठगता था। निपुन से एफबीआइ को पता चला कि उसके कुछ साथी भारत में भी हैं, जो उत्तराखंड के देहरादून में फर्जी कॉल सेंटर संचालित कर रहे हैं।
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यह जानकारी मिलने के बाद मामले की जांच के लिए सीओ एसटीएफ जवाहर लाल के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। इस टीम को जांच के दौरान पता चला कि उक्त कॉल सेंटर दून के आइटी पार्क में एडी बिल्डर्स के दफ्तर से संचालित किया जा रहा है। बुधवार देर रात दफ्तर में छापेमारी कर आरोपित अर्जुन सिंह निवासी भारापुर भौरी, बहादराबाद, हरिद्वार को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, उसका साथी दिलीप कुमार थुपेला निवासी चंद्रबनी, देहरादून फरार हो गया। मौके से एक लैपटॉप, चार मोबाइल फोन, बैंक की चेक बुक, प्रिंटर, पैन कार्ड, डेबिट व क्रेडिट कार्ड सहित अन्य सामान बरामद हुआ है।
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चार बैंक खातों से करोड़ों का लेनदेन
एसएसपी ने बताया कि अर्जुन के चार बैंक खातों की भी जानकारी मिली हैं, जिनसे वर्ष 2020 में करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ है। जांच में पता चला कि एक खाते से साढ़े नौ लाख, दूसरे से साढ़े चार लाख, तीसरे से ढाई लाख और चौथे से साढ़े तीन करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है। इसके अलावा अर्जुन ने इस अवधि में देहरादून में 52 लाख रुपये की जमीन के साथ एक फ्लैट भी खरीदा। यह भी पता चला है कि अर्जुन और उसके साथियों के 10 से 12 बैंक खाते हैं। इन खातों से वर्ष 2020 में दिल्ली के एक व्यक्ति को 20 लाख रुपये दिए गए। अर्जुन ने अपने साथी दिलीप की मां और बहन के खाते में भी 18 लाख रुपये भेजे। आरोपित से ट्रांजेक्शन संबंधी अन्य जानकारी जुटाई जा रही है।
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निपुन की गिरफ्तारी के बाद अपना गिरोह बना लिया
एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि अर्जुन ने द रीयल पीबीएक्स कंपनी के नाम से एक वर्चुअल नंबर ले रखा था। उसने इस कंपनी को माइक्रोसॉफ्ट की प्रतिनिधि के रूप में दिखाया था। अर्जुन पहले निपुन गंधोक के साथ मिलकर विदेशी नागरिकों से धोखाधड़ी करता था। निपुन की गिरफ्तारी के बाद उसने छह अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर अपना अलग गिरोह बना लिया। गिरोह के सदस्य अर्जुन को विदेशी नागरिकों के नंबर भेजते थे। जिन पर फोन कर अर्जुन विदेशी नागरिकों को वायरस का भय दिखाकर डील करता था। अर्जुन का एक साथी गौरव कोलकाता का रहने वाला है। जो विदेशी नागरिकों से विभिन्न माध्यमों से रुपये लेता था।
ये हैं गिरोह के सदस्य
- अर्जुन सिंह (सरगना)
- दिलीप कुमार थुपेला
- चिराग सलूजा
- सुनील राजवंशी
- नीनचन चक्रवर्ती
- जीशान
- गौरव
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