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80 वर्षीय रिटायर कर्मी को टहला रहा वन मुख्यालय, पेंशन का पुनरीक्षण अटका

वन विभाग के जिस वैयक्तिक सहायक ने वर्षों तक अधिकारियों के हर हुक्म का पालन किया अब रिटायरमेंट के बाद विभाग ने उन्हें ही बेगाना कर दिया। वर्ष 2000 में रिटायर हुए चंद्र दत्त पांडे की पेंशन का अब तक पुनरीक्षण नहीं हो पाया है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 06:45 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 06:45 AM (IST)
80 वर्षीय रिटायर कर्मी को टहला रहा वन मुख्यालय, पेंशन का पुनरीक्षण अटका
वर्ष 2000 में रिटायर हुए चंद्र दत्त पांडे की पेंशन का अब तक पुनरीक्षण नहीं हो पाया है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: वन विभाग के जिस वैयक्तिक सहायक ने वर्षों तक अधिकारियों के हर हुक्म का पालन किया, अब रिटायरमेंट के बाद विभाग ने उन्हें ही बेगाना कर दिया। वर्ष 2000 में रिटायर हुए चंद्र दत्त पांडे की पेंशन का अब तक पुनरीक्षण नहीं हो पाया है। वह इसलिए कि विभाग में उनकी सेवा पुस्तिका गायब हो गई है और अधिकारी उन्हें यहां से वहां दौड़ा रहे हैं। 80 वर्षीय रिटायर कर्मी की स्थिति को समझते हुए मुख्य सूचना आयुक्त ने दायरे से बाहर जाकर प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) से अपेक्षा की है कि वह सेवा पुस्तिका को बरामद कराकर चंद्र दत्त पांडे कीव मदद करें।

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सेवा पुस्तिका को लेकर चंद्र दत्त पांडे ने हॉफ कार्यालय से आरटीआइ में जानकारी मांगी थी। यहां से उन्हें अपर प्रमुख वन संरक्षक (वन अनुसंधान प्रशिक्षण एवं प्रबंधन) कार्यालय की राह दिखाई गई। जब यहां भी बात नहीं बनी तो रिटायर कर्मी ने मुख्य वन संरक्षक (प्रशासन) की चौखट पर भी एडिय़ां रगड़ी। सभी जगह से दो टूक जवाब मिला कि उनकी सेवा पुस्तिका संबंधित कार्यालयों में उपलब्ध नहीं है।

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थक हारकर चंद्र दत्त पांडे सूचना आयोग पहुंचे। प्रकरण की सुनवाई करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि हॉफ का दायित्व है कि वह पता लगवाएं कि चंद्र दत्त पांडे की सेवा पुस्तिका कहां है। यदि किसी कार्मिक की लापरवाही पाई जाती है तो संबंधित की जिम्मेदारी तय की जाए। यदि कोई अपराधिक मामला बनता है तो एफआइआर दर्ज की जाए। चंद्र दत्त पांडे को पेंशन मिल रही है और यह प्रकरण सिर्फ पेंशन पुनरीक्षण का है। अधिकारियों को रिटायर कर्मी की अवस्था का ध्यान रखते हुए उन्हें राहत प्रदान करनी चाहिए। 

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