उत्तराखंड में 7675 ऊर्जा कर्मियों को मिल रहा सस्ती बिजली का लाभ, पढ़ें पूरी खबर
7675 कर्मियों और पेंशनर्स को रियायती दरों पर बिजली मुहैया कराई जाती है। इन्हें तकरीबन 2.5 मिलियन यूनिट हर माह दी जाती है।
देहरादून, जेएनएन। ऊर्जा के तीनों निगमों में 7,675 कर्मियों और पेंशनर्स को रियायती दरों पर बिजली मुहैया कराई जाती है। इन्हें तकरीबन 2.5 मिलियन यूनिट हर माह दी जाती है। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में जन हित याचिका दायर हुई। इसमें हाई कोर्ट ने सस्ती बिजली देने पर रोक लगाने के आदेश देते हुए ऊर्जा निगम से जवाब मांगा है। इधर, इस आदेश को लेकर ऊर्जा के तीनों निगम के कर्मचारी संगठनों में जबरदस्त उबाल है।
ऊर्जा के तीनों निगम यूजेवीएन लिमिटेड, पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन उत्तराखंड लिमिटेड, उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में अधिकारियों-कर्मी और पेंशनर्स को रियायती दरों पर बिजली देने की सुविधा है। इसमें चतुर्थ श्रेणी एवं ऑपरेटिंग स्टाफ से 65 रुपये, तृतीय श्रेणी कर्मी से 100 रुपये, जेई और समान संवर्ग से 180 रुपये, सहायक-अधिशासी अभियंता और समान संवर्ग से 250 रुपये, उप महाप्रबंधक और समान संवर्ग से 350 रुपये, महाप्रबंधक और समान संवर्ग से 425 रुपये बिजली उपभोग करने का न्यूनतम शुल्क लिया जाता है।
इनमें एसी उपयोग करने पर 200 रुपये अतिरिक्त शुल्क भी वसूला जाता है। इधर, ऊर्जा निगम के आंकड़ों पर गौर करें तो तीनों निगमों में 7,675 अधिकारी-कर्मी, पेंशनर्स को इन रियायती दरों पर बिजली दी जाती है। इन पर सालाना 30 मिलियन यूनिट बिजली की खपत होती है यानी विभागीय कर्मी हर माह 2.5 मिलियन यूनिट खर्च करते हैं। उधर, कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सभी सरकारी महकमे विभागीय कर्मियों को कुछ सुविधा मुहैया कराते हैं। ऐसे में अगर ऊर्जा निगम के कर्मियों को रियायती दरों पर बिजली मिल रही है तो इसमें गलत क्या है।
पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष जीएन कोठियाल ने बताया कि रेल, एनटीपीसी समेत सभी विभाग अपने कर्मियों को सुविधा देते हैं। ऐसे में ऊर्जा निगम के कर्मचारियों को पूर्व की भांति रियायती दरों पर बिजली मिलनी चाहिए। हां बिजली के उपयोग की सीमा निर्धारित करनी चाहिए।
एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष युद्धवीर सिंह तोमर का कहना है कि ऊर्जा निगम कर्मियों को मुफ्त में बिजली नहीं मिलती है। रियायती दरों पर बिजली दी जाती है। अभियंता संघ ने शुरुआत से प्रबंधन से ऑफिसर्स रैंक का न्यूनतम शुल्क टैरिफ के अनुसार बढ़ाने की मांग की है।
ऊर्जा कामगार संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष राकेश शर्मा ने कहा, ऊर्जा निगम कर्मियों को कभी मुफ्त में बिजली नहीं मिली। जब संसद में रियायती दरों पर कैंटीन आदि की सुविधा है तो ऊर्जा निगम कर्मियों को क्यों नहीं। प्रबंधन की गलत नीति की वजह से ऊर्जा निगम कर्मियों का नुकसान हो रहा है।
विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष विनोद कवि का ने बताया कि ऊर्जा के तीनों निगम के कर्मियों और पेंशनर्स को रियायती दरों पर बिजली मिलनी चाहिए। साथ ही ऊर्जा निगम में काम कर रहे संविदा कर्मियों को रियायती दरों में बिजली मिलनी चाहिए यह उनका हक है।
वहीं, बिजली कर्मचारी संघ के केंद्रीय कानूनी सलाहकार एमएन नौटियाल ने बताया कि हर विभाग अपने कर्मियों को सुविधा देता है। रियायती दरों पर मिलने वाली बिजली की सुविधा खत्म नहीं होनी चाहिए। हां टैरिफ बढ़ा दें और बिजली की सीमा निर्धारित कर दें। यदि सुविधा समाप्त हुई तो उग्र आंदोलन होगा।
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ऊर्जा ऑफिसर्स सुपरवाइजर्स स्टाफ एसोसिएशन के केंद्रीय प्रवक्ता डीके कश्यप ने बताया कि केंद्र और राज्य के सभी विभाग अपने कर्मियों को नियमानुसार सुविधा देते हैं। इसी तरह ऊर्जा निगम कर्मियों को रियायती दरों पर बिजली मिलती है। हां ऊर्जा निगम बिजली के रेट पुनर्निर्धारित कर सकता है।
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