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पांच सौ साल बाद प्रवास पर बाणाधार पहुंचे बाशिक महासू

संवाद सूत्र त्यूणी सदियों बाद बाशिक महासू बुधवार शाम को प्रवास पर बाणाधार खत पहुंचे। सैकड

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 06:28 AM (IST)
पांच सौ साल बाद प्रवास पर बाणाधार पहुंचे बाशिक महासू
पांच सौ साल बाद प्रवास पर बाणाधार पहुंचे बाशिक महासू

संवाद सूत्र, त्यूणी: सदियों बाद बाशिक महासू बुधवार शाम को प्रवास पर बाणाधार खत पहुंचे। सैकड़ों पदयात्रियों के जत्थे सहित गाजे-बाजे के साथ बाणाधार पहुंची देव पालकी का स्थानीय लोगों ने स्वागत किया। लोगों ने देवता के दोष से बचने के लिए गांव में पूजा-अर्चना रखी है। बताया जा रहा है देवता को मनाने के बाद कंडमाण क्षेत्र के चार खतों की सहमति बनने पर बाशिक महासू के कनासर में अगले साल प्रवास पर जाने का कार्यक्रम घोषित होगा।

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बुधवार को बावर क्षेत्र के मैंद्रथ स्थित मंदिर से बाशिक महासू की देव पालकी के साथ प्रवास पर बाणाधार पहुंची। करीब चालीस किमी की लंबी पदयात्रा कर पदयात्रियों के जत्थे सहित प्रवास पर बाणाधार खत पहुंचे बाशिक महासू का लोगों ने परंपरागत तरीके से ढ़ोल-दमोऊ के साथ पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। गांव के बड़े बुर्जुगों की माने तो बाशिक महासू सदियों बाद बाणाधार पहुंचे। मंदिर से जुड़े कारसेवकों का कहना है मान्यतानुसार पांच सौ साल पहले जब बाशिक महासू बावर खत के कूणा मंदिर से जखोली मेले के लिए कंडमाण क्षेत्र के कनासर जा रहे थे। उस वक्त बाणाधार के पास क्यारी नामक जगह पर कुछ लोगों ने पत्थराव कर देवता का रास्ता रोका था। जिससे देवता रुष्ट होकर आधे रास्ते से वापस कूणा मंदिर लौट गए। देवता के कनासर नहीं पहुंचने से क्षेत्रीय लोगों ने बाशिक महासू की आज्ञानुसार कूणा के पास कैमाला जंगल के बुग्याल में जखोली मेला मनाया। बताया जाता है तब से लेकर अब तक हर साल दो से तीन जून को जखोली मेला कैमाला जंगल में लगता है। लोक मान्यतानुसार पत्थराव कर देवता का रास्ता बाधित करने वाले परिवार को बाशिक महासू का दोष झेलना पड़ा। लोगों का कहना है जिस परिवार ने पत्थराव वाली घटना को अंजाम दिया था उसका अस्तित्व ही समाप्त हो गया। देवता के दोष से बचने को और दोबारा से जखोली मेला कनसार में आयोजित करने की जनता की मांग पर बाशिक महासू सदियों बाद प्रवास पर बाणाधार पहुंचे। लोगों ने उस जगह पर देवता की पूजा-अर्चना की जहां सदियों पहले बाशिक महासू का रास्ता पत्थरबाजी से रोका गया था। मंदिर के बजीर दीवान सिंह राणा व कोटी-कनासर के पूर्व प्रधान जगतराम नौटियाल आदि ने कहा लोगों ने देवता का दोष काटने के लिए गांव में पूजा-अर्चना रखी है। बाणाधार में विशेष पूजा-अर्चना के बाद बाशिक महासू की देव पालकी को अगले साल प्रवास पर कनासर ले जाने को कंडमाण क्षेत्र से जुड़े चार खतों के बीच मंथन चल रहा है। चारों खत के लोगों की सहमति बनने के बाद बाशिक महासू के अगले साल कंडमाण क्षेत्र में प्रवास पर जाने का कार्यक्रम घोषित होगा। लोगों में उत्सुकता है कि अगले साल बाशिक महासू के कंडमाण क्षेत्र में प्रवेश करने से कनासर में सदियों बाद फिर से जखोली मेला शुरु होगा। जिसको देखने के लिए लोगों की आंखे तरस गई। बाणाधार में देव दर्शन को पहुंचे कई गांवों के लोगों ने बाशिम महासू से घर-परिवार की खुशहाली का वरदान मांगा। इस मौके पर शांठीबिल के बजीर दीवान सिंह राणा, जगमोहन राणा, स्याणा बॉबी चौहान, रिकू स्याणा, स्याणा हरपाल चौहान, स्याणा पूरण सिंह, फतेह सिंह नदाण, कोटी-कनासर के पूर्व प्रधान जगतराम नौटियाल, स्याणा पूरणचंद, पिताबंरदत्त बिजल्वाण, चतर सिंह व गोविद सिंह आदि मौजूद रहे।


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