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एक हैंडपंप पर निर्भर हैं हरिजन बस्ती के 30 परिवार

चकराता जौनसार के सुदूरवर्ती कोटा-क्वानू पंचायत से जुड़े हरिजन बस्ती में पिछले काफी दिनों से लगभग 30 परिवार महज एक हैंडपंप पर निर्भर हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 01:28 AM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 01:28 AM (IST)
एक हैंडपंप पर निर्भर हैं हरिजन बस्ती के 30 परिवार
एक हैंडपंप पर निर्भर हैं हरिजन बस्ती के 30 परिवार

संवाद सूत्र, चकराता: जौनसार के सुदूरवर्ती कोटा-क्वानू पंचायत से जुड़े हरिजन बस्ती में पिछले कई वर्षों से पेयजल की समस्या बनी है। हालत यह है कि महज एक हैंडपंप के सहारे पूरी बस्ती के लोग को अपनी आवश्यकता पूरी करनी पड़ती है। जौनसार-बावर जनकल्याण दलित समिति ने हरिजन बस्ती को जल जीवन मिशन से जोड़ने की मांग की है।

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चकराता ब्लॉक अंतर्गत कोटा-क्वानू पंचायत से जुड़े हरिजन बस्ती में करीब 30 ग्रामीण परिवार निवास करते हैं। ग्रामीणों की माने तो विभाग ने हरिजन बस्ती के लिए दशकों पहले एक पेयजल लाइन बनाई थी। जिस खड्ड के स्त्रोत से इस पेयजल लाइन को जोड़ा गया उसमें पानी की मात्रा कम होने से वह कुछ समय बाद सूख गया। इसके चलते दशकों पुरानी पेयजल लाइन अब जर्जर हाल में है और बस्ती क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से जलापूर्ति नहीं हो रही। बस्ती से कुछ दूरी पर लगे एक हैंडपंप से करीब दो सौ की आबादी को पीने का पानी मिलता है, जबकि कपड़े धोने और अन्य कार्य के लिए बस्ती वासियों को काफी दूर टोंस नदी में जाना पड़ता है। जौनसार-बावर जनकल्याण दलित समिति के महासचिव भगत सिंह वर्मा, सचिव रमेश सागर, स्थानीय निवासी महेंद्र, वीरेंद्र, कुमिया, गोपाल आदि ने कहा कि हरिजन बस्ती क्षेत्र के लिए अलग से कोई पेयजल लाइन नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बस्ती क्षेत्र से कुछ दूरी पर लगे एकमात्र हैंडपंप से 30 परिवारों को पीने का पानी मिलता है। पेयजल किल्लत के चलते ग्रामीण महिलाएं व बच्चे पानी भरने के लिए हैंडपंप में सुबह से शाम तक कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। ऐसे में ग्रामीण महिलाओं का पूरा दिन पानी ढोने में निकल जाता है। पेयजल समस्या को लेकर ग्रामीणों ने पूर्व में कई बार आवाज उठाई पर कोई सुनवाई नहीं हुई। पिछले कई वर्षो से पेयजल समस्या झेल रहे हरिजन बस्ती के ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से जल जीवन मिशन से नई पेयजल लाइन बनाने की मांग भी की है।


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