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यहां आग की 2100 घटनाओं में 2412 हेक्टेयर जंगल धधके, जानिए

जून माह तक आग की 2100 घटनाओं ने 2412.45 हेक्टेयर जंगल को अपनी चपेट में लिया। यह जानकारी एफआरआइ के निदेशक एएस रावत ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में दी।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 02:11 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 02:11 PM (IST)
यहां आग की 2100 घटनाओं में 2412 हेक्टेयर जंगल धधके, जानिए
यहां आग की 2100 घटनाओं में 2412 हेक्टेयर जंगल धधके, जानिए

देहरादून, जेएनएन। इस साल के अग्निकाल में पिछले कुछ समय की तुलना में जंगल की आग अधिक विकराल नजर आई। जून माह तक आग की 2100 घटनाओं ने 2412.45 हेक्टेयर जंगल को अपनी चपेट में लिया। यह जानकारी वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) के निदेशक एएस रावत ने 'वानिकी, वन्यजीव और आपदा जोखिम में कमी' विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में दी। ईको टास्क फोर्स, आइटीबीपी, सीआइएसएफ, बीएसएफ और वन विशेषज्ञों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में जंगलों की आग में कमी लाने के साथ ही आपदाओं के जोखिम को कम करने की जानकारी दी गई। 

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प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए एफआरआइ निदेशक ने कहा कि वन क्षेत्रों के पास आबादी के विस्तार से जंगल की आग, भूस्खलन, मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसी घटनाएं बढ़ जाती हैं। आग से जंगल की सतह तो नग्न हो ही जाती है, साथ ही वन्यजीव भी मारे जाते हैं। वहीं, नग्न सतह पर बारिश के दौरान मिट्टी का कटान तेज होता है, जिसकी परिणीति भूस्खलन के रूप में भी होती है। लिहाजा, वनों और आबादी के बीच एक अंतर और समन्वय जरूरी है। हालिया घटनाओं के आधार पर भी इस तरह की आपदा पर प्रकाश डाला गया। साथ ही जोर दिया गया कि वन प्रबंधन समुदाय को भी वन-वन्यजीव संरक्षण से जोड़ा जाना चाहिए। 

इसके अलावा प्रशिक्षण में बताया गया कि उत्तराखंड वन विभाग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोर्ट सेंसिंग, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, आइसीएफआरई-एफआरआइ जैसे संस्थान तमाम तकनीकी दक्षताओं के साथ किस तरह ऐसे खतरों को कम कर रहे हैं। निदेशक रावत ने प्रशिक्षार्णियों को वन आपदाओं की रोकथाम के लिए जीआइएस और रिमोट सेंसिंग की तकनीक सीखने की सलाह दी। कार्यक्रम में आपदा प्रबंधन संस्थान के प्रो. एके गुप्ता, एसके थॉमस, डॉ. एडी कौशिक, आरती चौधरी आदि ने भी विचार रखे। 

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