उत्तराखंड में कोरोना से अनु सचिव समेत 15 लोगों की हुई मौत
उत्तराखंड में दिनोंदिन न सिर्फ संक्रमित मरीजों का ग्राफ बढ़ रहा है बल्कि मरीजों की मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। गुरुवार को प्रदेश में 15 और मरीजों की मौत हुई है।
देहरादून, जेएनएन। प्रदेश में दिनोंदिन न सिर्फ संक्रमित मरीजों का ग्राफ बढ़ रहा है, बल्कि मरीजों की मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। गुरुवार को प्रदेश में 15 और मरीजों की मौत हुई है। इनमें आठ मरीजों की मौत एम्स ऋषिकेश, चार की दून मेडिकल कॉलेज, दो की डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय व एक मरीज की मौत श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में हुई है।
एम्स ऋषिकेश में भर्ती सचिवालय के अनु सचिव हरि सिंह ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया है। वह कोरोना संक्रमित थे और बीती नौ सितंबर को अस्पताल में भर्ती हुए थे। इसके अलावा एम्स में सात और भी मरीजों की मौत हुई है। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना संक्रमित चार मरीजों की मौत हुई है। इनमें खुड़बुड़ा निवासी 57 वर्षीय व्यापारी, राजीवनगर कॉलोनी ज्वालापुर निवासी 24 वर्षीय गर्भवती महिला, विकासनगर निवासी 62 वर्षीय व्यक्ति और गुरु कृपा एनक्लेव, आइटीबीपी रोड निवासी 57 वर्षीय महिला शामिल है। इसके अलावा पटलेनगर स्थित श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में एक 39 वर्षीय महिला ने दम तोड़ दिया। उधर, हल्द्वानी स्थित डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में 80 वर्षीय और एक 66 वर्षीय महिला की मौत हुई है।
दून में एक साथ नौ इलाकों का कंटेनमेंट जोन समाप्त: गुरुवार को एक साथ नौ इलाकों की पाबंदी हटा दी गई। अब जिले में कंटेनमेंट जोन की कुल संख्या 32 रह गई है। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव के आदेश के मुताबिक अजबपुर कलां के अशोक विहार स्थित भंडारी वाली गली, हाथीबड़कला स्थित नया गांव, अजबपुर खुर्द, सहस्रधारा रोड पर एमडीडीए कॉलोनी, शास्त्रीनगर की गली नंबर छह, राजपुर रोड पर कंडोली क्षेत्र, ऋषिकेश में आइडीपीएल की कृष्णा नगर कॉलोनी, वीरभद्र अपार्टमेंट का बी-ब्लॉक, विकास नगर में वार्ड-10 की उत्तरांचल कॉलोनी में बने कंटेनमेंट जोन को समाप्त कर दिया गया।
दून अस्पताल में व्यापारी की मौत, लापरवाही का आरोप
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गुरुवार को कोरोना संक्रमित एक व्यापारी की मौत हो गई। खुड़बुड़ा निवासी व्यापारी तीन सितंबर से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी गंभीर स्थिति को चिकित्सकों ने उन्हें आइसीयू में रखा था। वहीं, व्यापारी के स्वजनों व अन्य व्यापारियों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर अस्पताल प्रशासन के सामने अपना विरोध जताया है। उनका कहना था कि डॉक्टरों ने मरीज को प्लाज्मा चढ़ाने की जरूरत बताई थी। अस्पताल में उस वक्त उनके ग्रुप का प्लाज्मा भी था। अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों को बताया गया कि वह अगले दिन उसके बदले प्लाज्मा डोनेट कर देंगे, बावजूद इसके डॉक्टरों ने प्लाज्मा नहीं चढ़ाया। अस्पताल प्रशासन ने किसी तरह व्यापारियों और स्वजनों को समझा-बुझाकर शांत किया। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि मरीज को किडनी में भी दिक्कत थी। इस कारण उनका डायलिसिस करना जरूरी था। बिना डायलिसिस के प्लाज्मा नहीं चढ़ाया जा सकता था। इसे लेकर उनकी जांच पूरी कर ली गई थी, लेकिन इस बीच उन्होंने दम तोड़ दिया।