कर्मकांड की नहीं, वैज्ञानिक भाषा है संस्कृत
जागरण संवाददाता, देहरादून : संस्कृत भारती की ओर से संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए 12 दिवसीय आव
जागरण संवाददाता, देहरादून : संस्कृत भारती की ओर से संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए 12 दिवसीय आवासीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया जा रहा है। कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में आयोजित वर्ग का उद्घाटन मुख्य अतिथि पुलिस महानिरीक्षक जीसी पंत, उद्योगपति अशोक विंडलास, गुरुकुल विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. संतोष विद्यालंकार, वर्गाधिकारी स्वामी तूर्यानन्द व प्रान्ताध्यक्ष डॉ. बुद्धदेव शर्मा ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
मुख्य अतिथि ने कहा कि संस्कृत के बिना विश्व की कोई भी भाषा समृद्ध नहीं हो सकती। संस्कृत भारत की आत्मा है, भारत की ज्ञान-विज्ञान परंपरा और जीवन मूल्य संस्कृत में ही निहित है। विंडलास ने कहा कि संस्कृत हमारी संस्कृति और संस्कार की जननी है। यह केवल कर्मकांड की नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक भाषा है। डॉ. बुद्धदेव ने कहा कि संस्कृत को लोग कठिन समझकर डरते हैं, लेकिन यह अत्यंत सरल एवं व्यवहारिक भाषा है। वर्ग में संस्कृत के साथ ही आदर्श दिनचर्या, सामूहिक जीवन एवं व्यवहारिक ज्ञान का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रांत मंत्री ने बताया कि वर्ग में प्रदेश के सभी जनपदों से लगभग 150 प्रतिभागी एवं कार्यकर्ता प्रतिभाग कर रहे हैं। प्रांत सह मंत्री डॉ. हरीश चन्द्र गुरुरानी ने प्रास्ताविक भाषण में वर्ग का उद्देश्य बताते हुए संस्कृत की उपयोगिता बताई।
इससे पूर्व ऋषिकेश के स्वामी नारायण आश्रम वैदिक ऋषिकुल के ब्रह्मचारियों ने वैदिक मंगलाचरण किया। विशाल प्रसाद भंट्ट ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संघचालक गोपाल कृष्ण मित्तल, स्वामी तूर्यानन्द, सुरेन्द्र कुमार मित्तल, मनोवैज्ञानिक डॉ. मुकुल शर्मा, रीता शुक्ला, संस्कृत भारती के प्रांत शिक्षण प्रमुख गिरीश तिवारी, प्रांत महिला प्रमुख जानकी त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे। मंच संचालन प्रांत उपाध्यक्ष डॉ. प्रकाशचन्द्र पंत ने किया।