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सूचना विलंब से देने पर वापस किए साढ़े 11 हजार, आरटीआइ के तहत मांगी गई थी जानकारी

हरिद्वार वन प्रभाग को सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी समय पर न देने के चलते शुल्क वापस करना पड़ा। सूचना आयोग के आदेश के बाद प्रभाग की लोक सूचना अधिकारी ने करीब साढ़े 11 हजार रुपये का डिमांड ड्राफ शिकायतकर्ता को सौंपा है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 11:20 AM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 11:20 AM (IST)
सूचना विलंब से देने पर वापस किए साढ़े 11 हजार, आरटीआइ के तहत मांगी गई थी जानकारी
सूचना विलंब से देने पर वापस किए साढ़े 11 हजार।

जागरण संवाददाता, देहरादून। हरिद्वार वन प्रभाग को सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी समय पर न देने के चलते शुल्क वापस करना पड़ा। सूचना आयोग के आदेश के बाद प्रभाग की लोक सूचना अधिकारी ने करीब साढ़े 11 हजार रुपये का डिमांड ड्राफ शिकायतकर्ता को सौंपा है।

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दरअसल, ऋषिकेश निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता विनोद जैन ने वर्ष 2019 में हरिद्वार वन प्रभाग की रसियाबड़ रेंज में किए गए कार्यों को लेकर सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। जिसे उपलब्ध कराने में लोक सूचना अधिकारी ने विलंब किया। निर्धारित 30 के बजाय तीन दिन विलंब से जानकारी दी गई। जानकारी के शुल्क के रूप में विनोद जैन ने 11 हजार छह सौ छह रुपये का भुगतान किया, लेकिन सूचना विलंब से मिलने पर विनोद जैन ने उत्तराखंड सूचना आयोग में अपील की। 

आयोग ने मामले की सुनवाई करते हुए हरिद्वार वन प्रभाग के लोक सूचना अधिकारी को पूरा पैसा वापस लौटाने के निर्देश दिए। सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से पता चला था कि रसियाबड़ रेंज में बिना टेंडर और कोटेशन के किए गए 1.59 करोड़ रुपये के कार्यों के नकद भुगतान में घोटाला हुआ है। पाया गया कि भुगतान नियमों को ताक पर रखकर किए गए हैं। 

वर्ष 2015-16 से वर्ष 2017-18 के बीच हरिद्वार वन प्रभाग में एक करोड़ 59 लाख रुपये से अधिक का नकद भुगतान कर दिया गया। इसमें विभिन्न खरीद से लेकर श्रमिकों को किया गया भुगतान तक शामिल है। कैंपा मद में वन्यजीव सुरक्षा के विभिन्न कार्यों के लिए श्रमिकों को 11 लाख 40 हजार रुपये का नकद भुगतान दिखाया गया, जबकि काम के प्रमाणकों पर किसी भी फील्ड अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे।

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