हाथियों के नियंत्रण को तिमली जंगल में बनेंगे तालाब
विकासनगर राजाजी नेशनल पार्क के हाथियों को कालसी वन प्रभाग की तिमली रेंज का जंगल खब रास आ रहा है। पार्क से जंगल में पहुंचे हाथियों की संख्या में अब 11 हो गई है जिसके चलते प्रभाग बेहतर प्रबंधन में जुटा है।
संवाद सहयोगी, विकासनगर: राजाजी नेशनल पार्क के हाथियों को कालसी वन प्रभाग की तिमली रेंज का जंगल इतना रास आ रहा है कि अब इनकी संख्या बढ़कर 11 हो गई है। पार्क से जंगल में आ रहे हाथियों की संख्या को देखते हुए तिमली जंगल में पांच नए तालाब बनाने की तैयारी वन प्रभाग कर रहा है। जंगल में बेहतर प्रबंधन कर कालसी वन प्रभाग हाथियों को आबादी के समीप जाने से रोकने की भी कवायद कर रहा है। पहले से मौजूद तालाबों को प्रभाग ने टैंकरों से भरवा दिया है, ताकि हाथी पानी के लिए जंगल से बाहर न जाएं। तीन-चार ग्रुपों में बंटकर हाथी जंगल से सटे गांवों में विचरण कर रहे हैं, इसको देखते हुए रेंज की टीम गांवों में मुनादी भी करा रही है। रेंज टीम ग्रामीणों को सतर्क करने के साथ उनकी फसल बचाने को रात-दिन की गश्त पर है।
कालसी वन प्रभाग की तिमली रेंज में पिछले तीन साल से दो टस्कर घूम रहे थे, जिन्होंने फसलों को भले ही नुकसान पहुंचाया हो, लेकिन कोई जनहानि नहीं हुई। तिमली जंगल में प्राकृतिक प्रबंधन के चलते पर्याप्त संख्या में लैंटाना, बांस, चारापत्ती बाहुल्य पेड़ हैं। अब जब हाथियों की संख्या बढ़ रही है तो प्रभाग तिमली जंगल में पांच नए तालाब बनवाने की तैयारी कर रहा है। जंगल में प्राकृतिक व वन विभाग के माध्यम से निर्मित कुल 30 तालाब हैं, जिनमें पानी की उपलब्धता पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है। कुछ तालाब व पानी की लाइन, नल आदि को हाथियों ने तोड़ दिया था, उन्हें ठीक कराने का काम भी शुरू कर दिया गया है। सभी तालाबों में टैंकरों से पानी भरवा दिया गया है। तिमली रेंजर पूजा रावल ने बताया कि हाथी खाना व पानी के लिए ही जंगल से बाहर की तरफ मूवमेंट करते हैं। तिमली जंगल में हाथियों के खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पत्ते, घास व पानी आदि संसाधन मौजूद है। हाथियों की संख्या को देखते हुए आसपास के ग्रामीणों व वन विभाग के कर्मचारियों की संयुक्त टीम बनाई जा रही है, जो जंगल से सटे गांवों धर्मावाला, तिपरपुर, प्रतीतपुर, जाटोवाला, आदूवाला, शाहपुर कल्याणपुर आदि में हाथियों के आने पर उन्हें जंगल में भगाने का काम करेगी। इसके अलावा मुनादी कराकर ग्रामीणों को रात के समय चौकन्ना रहने, जंगल में नहीं जाने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है।