108 को आखिरकार मिल गई 'संजीवनी'
आपातकालीन सेवा 108 को आखिरकार 'संजीवनी' मिल गई है। गुरुवार को 108 के बेड़े में 16 नई एंबुलेंस जुड़ गईं।
जागरण संवाददाता, देहरादून : आपातकालीन सेवा 108 को आखिरकार 'संजीवनी' मिल गई है। गुरुवार को 108 के बेड़े में 16 नई एंबुलेंस जुड़ गईं। जबकि चार एंबुलेंस इससे पहले मिल चुकी हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से एंबुलेंस को लेकर बकायदा गाइडलाइन जारी की गई है। इसके मुताबिक एंबुलेंस को डेढ़ लाख किलोमीटर या अधिकतम तीन साल तक संचालन में लिया जा सकता है। उत्तराखंड में 108 आपातकालीन सेवा की शुरूआत 15 मई 2008 को दस गाड़ियों से हुई थी। जिनकी संख्या वर्तमान में बढ़कर 139 तक पहुंच चुकी है। हालांकि मानकों केविपरीत चलने से वर्तमान में इनमें से अधिकतर वाहनों की हालात बेहद खराब है। जिस वजह से मरीज को अस्पताल पहुंचाने के दौरान यह वाहन जहा-तहा खड़े हो जाते हैं। जिन्हें किसी तरह जुगाड़ करके संचालित किया जाता है। सूत्रों की मानें तो जहा इन गाड़ियों के बाहरी तौर पर संचालन में परेशानिया आ रही हैं। वहीं दूसरी ओर इनके अंदर लगे चिकित्सा संबंधी उपकरण भी पुराने होने के कारण कई बार खराब हो जाते हैं। इनको भी जैसे-तैसे इस्तेमाल में लाया जा रहा है। हाल में राज्य सरकार ने 61 नई एंबुलेंस खरीदी थी, पर फैब्रिकेशन के अभाव में गाड़ियां कई माह खड़ी रही। अब इन्हें चरणबद्ध ढंग से 108 के बेड़े में शामिल किया जा रहा है। 108 के प्रदेश प्रभारी मनीष टिंकू ने बताया कि इन नए वाहनों को पुरानी गाड़ियों से रिप्लेस कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर कुछ और गाड़ियों की खरीद की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। ऐसे में धीरे-धीरे 108 का पूरा बेड़ा नया हो जाएगा।