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दस दिन में 19 मौतें, मंजर देखकर अनदेखी कर रहे जिम्मेदार; बेबस लोग अपनी जान डाल रहे जोखिम में

दो बड़ी सड़क दुर्घटनाओं में 19 बेगुनाहों की जान चली गई। जनजाति क्षेत्र में एक के बाद एक लगातार हो रहे इस मौत के मंजर को देखकर भी जिम्मेदार अनदेखी कर रहे हैं। सड़क हादसे से सरकार पुलिस-प्रशासन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का कोई सरोकार नहीं रह गया है।

By Edited By: Published: Mon, 01 Nov 2021 06:05 AM (IST)Updated: Mon, 01 Nov 2021 01:41 PM (IST)
दस दिन में 19 मौतें, मंजर देखकर अनदेखी कर रहे जिम्मेदार।

चंदराम राजगुरु/ राहुल चौहान, चकराता (देहरादून)। जौनसार-बावर में पिछले दस दिनों के भीतर सामने आई दो बड़ी सड़क दुर्घटनाओं में 19 बेगुनाहों की जान चली गई। जनजाति क्षेत्र में एक के बाद एक लगातार हो रहे इस मौत के मंजर को देखकर भी जिम्मेदार अनदेखी कर रहे हैं। सड़क हादसे से सरकार, पुलिस-प्रशासन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का कोई सरोकार नहीं रह गया है। लाचार-बेबस लोग अपनी जान जोखिम में डालकर प्रतिदिन आवागमन कर रहे हैं।

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राजधानी देहरादून से सटे जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर में कई बड़ी सड़क दुर्घटनाएं सामने आ रही हैं, फिर भी तंत्र इसे रोकने में नाकाम साबित हो रही है। इसमें क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता भी सामने आई है। जिम्मेदारों की अनदेखी और तंत्र की उदासीनता का खामियाजा कई परिवारों को जीवन भर कभी नहीं भूलने के गहरे जख्म दे रहा। दस दिन पहले बीते 21 अक्टूबर को सीमांत त्यूणी तहसील के देवघार खत से जुड़े पंद्राणू-बानपुर मार्ग पर हुए कार हादसे में रिश्तेदार समेत एक ही परिवार के छह लोग अकाल मौत के मुंह में समा गए।

बानपुर सड़क हादसे के बाद रविवार को चकराता तहसील के भरम खत से जुड़े बायला गांव के पास सवारियों से ओवरलोड बोलरो कैंपर यूटिलिटी वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें 13 व्यक्तियों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जिससे समूचा क्षेत्र दहल उठा। वाहन सवार एक छह वर्षीय बच्चा और ग्रामीण समेत दो लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए, जिनका उपचार देहरादून के निजी अस्पताल में चल रहा है। इन दो बड़ी सड़क दुर्घटना में कुल 19 व्यक्तियों की जानें चली गई। वहीं, गंभीर घायल दो लोग जिंदगी-मौत से जुझ रहे हैं।

सही मायने में देखें तो करीब ढाई लाख की आबादी वाले जौनसार-बावर परगने के अधिकांश रूट पर सार्वजनिक परिवहन सेवा की कमी के चलते सैकड़ों लोग रोजाना जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। ऐसे में लोग हादसे का शिकार हो रहे है। क्षेत्र में सड़क दुर्घटना होने पर तंत्र कुछ समय के लिए अपनी सक्रियता दिखाने का प्रयास करता है, लेकिन घटना के कुछ समय बाद हालात वापस पुराने ढर्रे पर लौट जाते हैं।

क्षेत्र में दर्जनों सड़क हादसों में कई परिवारों ने अपनों को हमेशा के लिए खो दिया, कई परिवार उजड़ गए। घटना के समय शोक जताने के लिए सभी जनप्रतिनिधि और सरकारी तंत्र अपनी हाजिरी लगाने पहुंच जाते हैं। मगर, क्षेत्र में लगातार हो रही दुर्घटना पर अकुंश लगाने को अब तक कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। पहाड़ के दुर्गम इलाके में एक के बाद एक हो रहे सड़क हादसे में सामने आई इन मौतों का जिम्मेदार आखिर कौन है और तंत्र क्यों मौन है ये बात हर किसी के जेहन में है।

ढाई लाख की आबादी पर महज आधा दर्जन बसें संचालित

जौनसार-बावर परगने से जुड़े चकराता, त्यूणी और कालसी तीनों तहसील में करीब ढाई लाख की आबादी है। यहां पर सार्वजनिक परिवहन सेवा की बात करें तो रोडवेज की चार बसें संचालित हो रही हैं। इसके अलावा दो से तीन प्राइवेट बसें चल रही है। क्षेत्र के अधिकांश रूटों पर बसों की कमी के चलते सैकड़ों लोग मैक्स, बोलेरो, यूटिलिटी और अन्य लोडर वाहनों में सफर करने को मजबूर हैं। क्षेत्र के लोग लंबे समय से रूटों पर रोडवेज की मिनी बसें संचालित करने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

पांच सवारी व एक टन 35 किलो भार में पास दुर्घटनाग्रस्त वाहन

बायला गांव के पास दुर्घटनाग्रस्त बोलेरो कैंपर यूटिलिटी चालक समेत पांच सवारी व एक टन 35 किलो भार में परिवहन विभाग से पास है। एआरटीओ कार्यालय विकासनगर में पंजीकृत दुर्घटनाग्रस्त वाहन एक साल नौ माह पहले खरीदा गया है। प्रभारी एआरटीओ प्रर्वतन एसके निरंजन ने कहा कि पंजीकृत वाहन के सभी कागजात सही हैं, लेकिन ओवरलोडिंग के चलते वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने की बात सामने आई है। कुल मिलाकर यदि देखा जाए तो अपनी क्षमता से तीन गुना अधिक भार लादकर ऐसे वाहन प्रत्येक दिन इसी मार्ग पर दौड़ रहे हैं।

चीलाखेड़ा में एक साथ जली 11 चिताएं

बायला गांव के पास सड़क हादसे में 11 व्यक्तियों की दर्दनाक मौत से समूचे इलाके में शोक छा गया। रविवार को पीएचसी बुल्हाड़ में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पोस्ट मार्टम कर सभी शव स्वजनों को सौंप दिए। ग्रामीणों ने बायला गांव के पास चीला खेड़ा में एक साथ 11 शवों का सामूहिक रूप से दाह संस्कार किया। दिल को दहलाने वाली इस घटना से सभी की आंखे नम हो गई। घटना से बायला गांव में मातम छा गया। शोक में डूबे पूरे गांव में किसी ने घर का चूल्हा जलाने तक की हिम्मत नहीं जुटाया। अपनों को हमेशा के लिए खोने का दर्द उनके आंखों से छलकता रहा। रोते-बिलखते गमगीन परिजनों को इस घटना से गहरा सदमा लगा है, जिससे उबर पाना उनके लिए मुश्किल होगा।

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