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पलायन कर चुके ग्रामीण बोले-गांव तक पहुंचाए सड़क तो वापस आने को तैयार

गांव को आबाद देखना है तो सड़क काट दीजिए सरकार.. यह कहना है खर्राटाक चम्पावत के ग्रामीणों का जो कई वर्ष पूर्व सुविधाओं के अभाव में पलायन कर चुके है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 11:29 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 11:29 PM (IST)
पलायन कर चुके ग्रामीण बोले-गांव तक पहुंचाए सड़क तो वापस आने को तैयार
पलायन कर चुके ग्रामीण बोले-गांव तक पहुंचाए सड़क तो वापस आने को तैयार

विनोद चतुर्वेदी, चम्पावत : गांव को आबाद देखना है तो सड़क काट दीजिए सरकार.. यह कहना है मूलभूत सुविधाओं के अभाव में आज से 20 वर्ष पूर्व खाली हुए नेपाल सीमा से लगा खर्राटाक गांव के लोगों का। यह गांव आबाद हो सकता है, शर्त यह है कि गांव को सड़क सुविधा से जोड़ते हुए वहां बिजली और पानी की सुविधा उपलब्ध करा दी जाए। गांव छोड़कर जा चुके परिवारों ने गांव में मूलभूत सुविधाएं होने पर फिर से गांव लौटने का संकल्प लिया है।

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बता दें कि सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण आज से दो दशक पूर्व यहां के 60 परिवार गांव को तौबा कर टनकपुर या फिर अपने मूल गांव चम्पावत के त्यारकुड़ा चले गए थे। गांव खाली होने के बाद यहां के मकान खंडहर हो गए और उपजाऊ खेत बंजर पड़ गए। सुनसान पड़े इस गांव को नेपाली शिकारियों ने कई वर्षों तक अवैध शिकार का केंद्र बना लिया। गांव की याद आई तो तीन वर्ष पूर्व कुछ ग्रामीणों ने अदरक और हल्दी की खेती शुरू कर दी, लेकिन यहां बसने का साहस फिर भी नहीं जुटा पाए। साधन सहकारी समिति धूरा द्वारा पलायन से खाली हो चुके इस गांव में खेती शुरू कर लोगों को फिर से बसाने के निर्णय के बाद खर्राटाक सुर्खियों में आ गया है। यहां के मूल निवासी तिवारी समुदाय के लोगों ने गांव को सड़क से जोड़कर बिजली और पानी जैसी बुनियादी जरूरत मुहैया करने के बाद गांव में लौटने का निर्णय लिया है। बुधवार को ग्रामीणों ने पूर्णागिरि क्षेत्र में बैठक कर इस बात का एलान कर गेंद सरकार और जनप्रतिनिधियों के पाले में डाल दी है। ग्रामीणों का कहना है कि खर्राटाक के लिए टनकपुर-जौलजीवी मार्ग के चूका सड़क से महज तीन किमी सड़क काटकर गांव को जोड़ा जा सकता है। खर्राटाक गांव जिला मुख्यालय से लगभग 100 किमी और टनकपुर से 40 किमी की दूरी पर है। लोग गांव जाने के लिए चल्थी या फिर ठूलीगाड़ से 25 किमी की पैदल यात्रा करते हैं। ========== छलका ग्रामीणों का दर्द

खर्राटाक गांव के लोग बीस वर्ष पूर्व मूलभूत सुविधाएं न मिलने से गांव छोड़ आए, लेकिन पुरखों की जमीन से नाता तोड़ना काफी तकलीफ देह है। गांव में सड़क बिजली पानी की सुविधा जिस दिन हो जाएगी उसी दिन लोग खर्राटाक में बस जाएंगे। गांव को आबाद देखना हो तो तीन किमी की सड़क काट दीजिए सरकार

- विशन दत्त तिवारी, खर्राटाक गांव छोड़कर आए बुजुर्ग ----------

हमने जरूरी सुविधाएं न मिलने से अपना गांव छोड़ा है और 20 साल तक गांव की माटी से दूर रहे हैं। सरकार को शीघ्र गांव में सड़क पहुंचाकर बिजली और पानी की सुविधा देनी चाहिए। ऐसा हुआ तो पलायन कर गए सभी 60 परिवार फिर से गांव लौट आएंगे।

-किशन तिवारी, पूर्व अध्यक्ष पूर्णागिरि मंदिर समिति -----------

सरकार ने गांव की सुध ली होती तो पलायन की नौबत नहीं आती। पुस्तैनी मकान और सोना उगलने वाली जमीन छोड़ने का शौक न तब था न अब है। सरकार सुविधाएं देकर लोगों को बसाए। हम गांव जाने को तैयार हैं।

-जगदीश तिवारी, पुजारी, पूर्णागिरि मंदिर

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खर्राटाक गांव हमारी जन्म और कर्मभूमि है। गांव छोड़ने की पीड़ा अब भी साल रही है। लेकिन दुख इस बात का अधिक है कि सरकारें गांव की पीड़ा नहीं समझ रही हैं। गांव की पगडंडियां बुला रही हैं लेकिन सड़क और बिजली पानी, स्वास्थ्य की सुविधा हमें दूर जाने को मजबूर कर रही हैं।

-सुरेश तिवारी, पुजारी, पूर्णागिरि मंदिर ========= विधायक बोले-

सरकार पलायन से खाली हो चुके गांवों को फिर से आबाद करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे गांवों की सूची तैयार की जा रही है। इन गांवों को मूलभूत सुविधा से जोड़ा जाएगा। खर्राटाक गांव में सड़क समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

- कैलाश गहतोड़ी, विधायक, चम्पावत


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