राम वनवास के दृश्य को देख दर्शक हुए भावुक
नेपाल सीमा से लगे मडलक में छठे दिन राम को चौदह वर्ष वनवास से दशरथ मरण तक की रामलीला का मंचन किया गया।
लोहाघाट, जेएनएन : नेपाल सीमा से लगे मडलक में छठे दिन राम को चौदह वर्ष वनवास से दशरथ मरण तक की रामलीला का मंचन किया गया। कोविड 19 के नियमों का पालन करने के साथ रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। गुरुवार देर रात रामलीला का शुभारंभ राम, सीता का कौशल्या तथा लक्ष्मण का सुमित्रा से वन जाने की आज्ञा से लेकर सुमंत का अयोध्या वापस आना और दशरथ मरण तक की लीला का मंचन किया गया। राम लक्ष्मण सीता को चौदह वर्ष के लिए वनवास के भावुक दृश्य को देखकर दर्शकों की आंखें नम हो गई। देर रात ठंड की प्रवाह किए बिना दर्शकों ने रामलीला का आनंद उठाया। रामलीला कमेटी अध्यक्ष भुवन चंद्र भट्ट ने अतिथियों का स्वागत किया। इस दौरान हरीश चंद्र पांडेय, सतीश पांडेय, गणेश सिंह, विक्रम सिंह सामंत, हरीश बोहरा, बासुदेव उपाध्याय, अमर नाथ, सोबन सिंह, दिनेश, हयात सिंह आदि मौजूद रहे। =========== राम राज्याभिषेक के साथ रामलीला मंचन संपन्न
मुनस्यारी: पंचाचूली पर्वत श्रृंखला की गोद में बसे ज्येष्ठा बरपटिया बहुल चुलकोट गांव में पंद्रह वर्षों बाद मंचित रामलीला राम राज्याभिषेक के साथ संपन्न हो चुकी है।
सीमांत के दुर्गम गांव चुलकोट में विगत 15 वर्षों से रामलीला का मंचन नहीं हुआ था। इस वर्ष गांव के युवाओं ने रामलीला मंचन का निर्णय लिया। रामलीला के दौरान सामाजिक दूरी, मास्क का प्रयोग अनिवार्य किया। दशकों के बैठने के लिए सामाजिक दूरी के नियम बनाए गए थे। 25 अक्टूबर से रामलीला का मंचन प्रारंभ हुआ। पांच नवंबर को राम राज्याभिषेक के साथ रामलीला मंचन का समापन हुआ।
गांव की रामलीला कमेटी के युवा अध्यक्ष त्रिभुवन सिंह चुलकोटिया ने बताया कि रामलीला मंचन का संचालन गांव के युवाओं के सहयोग से हो सका। उन्होंने कहा कि कोविड 19 के दौर में रामलीला मंचन एक चुनौती थी जिसमें गांव के बाशिंदों ने पूर्ण सहयोग दिया। कमेटी के उपाध्यक्ष नरेंद्र सिंह चुलकोटिया ने रामलीला मंचन के लिए गांव के युवाओं और ग्रामीणों का आभार जताया।