केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की टीम ने आलवेदर रोड और 111 डंपिंग जोन का किया निरीक्षण
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गठित उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी ने दूसरे दिन भी ऑलवेदर रोड और डंपिंग जोन का निरीक्षण किया।
चम्पावत, जेएनएन : सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गठित उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी ने दूसरे दिन भी ऑलवेदर रोड और डंपिंग जोन का मुआयना किया।
रविार को दूसरे दिन टीम ने टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन बारहमासी सड़क के चौड़ीकरण कार्य का स्थलीय निरीक्षण करने के साथ दर्जनों डंपिंग जोनों की स्थिति देखी। टीम ने दो दिन में 111 डंपिंग जोनों का मुआयना कर चुकी है। कमेटी की ओर से पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर रवि चोपड़ा के नेतृत्व में आई टीम ने पर्यावरण के नुकसान से बचाव के काम का भी निरीक्षण किया। कमेटी पर्यावरण को होने वाली क्षति को और कम करने का सुझाव केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय देगी। वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के जरिए स्लाइड जोन, डंपिंग साइड, संभावित स्लाइड जोन व उनके पर्यावरणीय प्रभाव का प्रदर्शन भी बना मंत्रालय के सामने रखा जाएगा। टीम के मुखिया प्रो. रवि चौपड़ा ने बताया कि डंपिंग जोन की संख्या, डंपिंग जोन की क्षमता, डाल गए मलबे, पर्यावरण पर मलबे के असर के साथ पर्यावरण पर पडऩे वाले असर का आकलन किया गया है। स्वाला के पास करीब 100 मीटर बंद पड़े हिस्से में अवशेष सड़क को बचाते हुए वैज्ञानिक तरीके से कटिंग करने के निर्देश दिए गए हैं। डीएम एसएन पाडे ने काम और आपदा से रोड बंद होने के दौरान यातायात डायवर्ट करने की जानकारी दी। टीम में एसडीएम अनिल गब्र्याल, आरएस राव, डॉ. परमानंद, डॉ. हेमंत ध्यानी, डॉ. अनिल शुक्ला, डॉ. किशोर कुमार, डॉ. पीएस प्रसाद, अश्रय कुमार, सौरभ सिंह और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के मुखिया बीएस खैरा समेत कई अधिकारी मौजूद रहे। ========= इन तथ्यों का किया गहराई से निरीक्षण
चम्पावत : टीम ने पर्यावरण और मानवीय प्रभाव के साथ सड़क चौड़ीकरण से होने वाले प्रभाव, लाभ, मानवीय मूल्यों पर पड़ने वाले सामाजिक प्रभाव के आकलन के साथ चौड़ीकरण से सामाजिक प्रभाव, मानव जीवन में अपेक्षित सुधार, आवागमन में सुविधाएं, सड़क के बंद होने पर वैकल्पिक व्यवस्था आदि का गहराई से अवलोकन किया। इस दौरान भूस्खलन वाले जोनों के अलावा संभावित भूस्खलन वाले क्षेत्रों के वैज्ञानिक ट्रीटमेंट का प्लान पर भी चर्चा की गई। ================ ऑलवेदर रोड कटिंग में रखा जा रहा पर्यावरण सुरक्षा का ध्यान : प्रो. चौपड़ा - उच्चाधिकारी समिति के मुखिया ने की पत्रकारों से वार्ता
संवाद सहयोगी, चम्पावत : निर्माणाधीन ऑलवेदर रोड पर पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने पहुंची टीम के चेयरमैन एवं पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर रवि चौपड़ा ने सड़क चौड़ीकरण में आई तेजी पर संतोष जताया है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय मार्ग में नुकसान की तीव्रता को सुनियोजित निर्माण से कम किया जा सकता है। नुकसान के लिए भूगर्भीय हलचल भी जिम्मेदार रहती है इसलिए यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है कि ऑलवेदर रोड निर्माण से भविष्य में कितनी क्षति होगी।
रविवार को पत्रकारों से वार्ता में उन्होंने बताया कि अधिकांश स्थानों पर डंपिंग जोन में ही मलबे का निस्तारण हुआ है। अधिकांश मामलों में रोड को जल्दी खोलने की दृष्टि से मलबा अन्यत्र स्थानों पर डाला गया है। बताया कि प्रशासन और कार्यदायी संस्था ने पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचे इसका पूरा जतन किया है, लेकिन कई मामलों में सुधार की जरूरत है। बताया कि आकलन का पूरा ब्यौरा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को सौंपे जाने वाली रिपोर्ट में दिया जाएगा।