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सड़क सुविधा न होने से खाली हो रहा लोहाघाट का टुंडा बिष्ट गांव

आजादी के सात दशक बाद भी नेपाल सीमा से लगे टुंटा बिष्ट गांव में सड़क न होने से गांव खाली हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 09:05 AM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 09:05 AM (IST)
सड़क सुविधा न होने से खाली हो रहा लोहाघाट का टुंडा बिष्ट गांव
सड़क सुविधा न होने से खाली हो रहा लोहाघाट का टुंडा बिष्ट गांव

लोहाघाट, जेएनएन : आजादी के सात दशक बाद भी नेपाल सीमा से लगे टुंटा बिष्ट गांव में सड़क नहीं पहुंच पाई है। सड़क सुविधा के अभाव में गाव से पलायन हो रहा है। बचे परिवार भी पलायन का मन बना चुके हैं। शीघ्र गांव को सड़क से नहीं जोड़ा गया तो अगले कुछ वर्षो में पूरा गांव खाली हो जाएगा।

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20 वर्ष पूर्व तक यहा 25 परिवार निवास करते थे, लेकिन अब यहां सात परिवार रह गए हैं। गाव खाली होने से खेत खलिहान भी बंजर हो गए हैं। लेकिन गाव में अभी भी माल्टा संतरा, गहत, हल्दी, मिर्च, बड़ी इलायची, आवला की खेती लगातार हो रही है। पलायन कर चुके ग्रामीण सीजन में गांव आकर फलों को तोड़ ले जाते हैं। यहां बचे सात परिवारों के लोग लगभग सात किमी पैदल चलकर रोड तक पहुंचते हैं। सबसे बड़ी दिक्कत तब पैदा हो जाती है जब गांव की कोई महिला प्रसव वेदना से परेशान हो जाती है या बुजुर्ग बीमार हो जाते हैं। इनको इलाज के लिए डोली के सहारे सड़क तक पहुंचाया जाता है। ====== प्राथमिक विद्यालय अन्यत्र हुआ शिफ्ट लोहाघाट : टुंटा बिष्ट गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में दो साल पूर्व 23 छात्र छात्राएं अध्ययन करते थे। सड़क के अभाव में लोगों के पलायन करने से छात्र संख्या दहाई से कम हो गई है जिसके कारण विद्यालय को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया है। गांव में पानी की व्यवस्था न होने से ग्रामीणों को प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी लाकर जीवन यापन करना पड़ रहा है। ===== गांव में सड़क नहीं होने से सात किमी पैदल चलकर पहुंचना पड़ता है। कई बार शासन व प्रशासन से सड़क बनाने की गुहार लगा दी है। अभी तक कोई कार्यवाई नहीं हुई।

-चंद्र बल्लभ बिष्ट

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रोड के अभाव में गर्भवती महिलाओं और बीमार व्यक्तियों को डोली के सहारे सात किमी तक पैदल ले जाना पड़ता है। गांव पलायन से खाली हो रहा है।

-राजेश्वरी बिष्ट ..........

सड़क न होने से गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। सड़क की मांग को लेकर जनप्रतिनिधियों और सरकार के नुमाइंदों से मांग की जा चुकी है। इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

-गंगा दत्त बिष्ट ............

गांव के बुजुर्ग लोगों को पेंशन लेने के लिए सात किमी पैदल चलकर सड़क तक पहुंचना होता है। युवा पीढ़ी गांव में नहीं रहना चाहती, सरकारी तंत्र से विश्वास उठ गया है।

-पुष्पा बिष्ट


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