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इरोजन कंट्रोल मैट से ऑलवेदर रोड पर सफर होगा सुरक्षित, अमरू बैंड व धौंन डेंजर जोन बारिश में नहीं करेंगे परेशान

ऑलवेदर रोड पर मानसून में बारिश के कारण स्लाइड होने से खतरनाक हुई पहाड़ियां अब परेशान नहीं करेंगी। इरोजन कंट्रोल मैट के माध्यम से इन्हें बांधा जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 11:10 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 06:11 AM (IST)
इरोजन कंट्रोल मैट से ऑलवेदर रोड पर सफर होगा सुरक्षित, अमरू बैंड व धौंन डेंजर जोन बारिश में नहीं करेंगे परेशान
इरोजन कंट्रोल मैट से ऑलवेदर रोड पर सफर होगा सुरक्षित, अमरू बैंड व धौंन डेंजर जोन बारिश में नहीं करेंगे परेशान

जागरण संवाददाता, चम्पावत : ऑलवेदर रोड पर मानसून में बारिश के कारण स्लाइड होने से खतरनाक हुई पहाड़ियां अब परेशान नहीं करेंगी। इरोजन कंट्रोल मैट के माध्यम से इन्हें बांधा जा रहा है। कई जगह तो मैट पर घास तक उग आई है। ऐसे में हादसे की आशंका काफी हद तक कम हो जाएगी।

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टनकपुर से पिथौरागढ़ के बीच ऑलवेदर रोड निर्माण चल रहा है। पहाड़ कटिंग का काम करीब पूरा हो गया है। रोड की फिनिशिंग हो रही है। इस बीच चट्टानों के खिसकने से हादसे की आशंका बनी हुई है। हालात की गंभीरता को देखते हुए कार्यदायी कंपनी शिवालया व आरजीबी ने इरोजन कंट्रोल मैट तकनीकी अपनानी शुरू की है। इसके तहत करीब एक किलोमीटर पहाड़ी पर जगह-जगह मैट व नेट डालकर खतरे से बचाने की कोशिश शुरू हो गई है। शिवालया कंपनी को अमोड़ी, बेलखेत, धौंन स्कूल, धौंन व स्वाला में नेट व मैट लगाना है।

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क्या है इरोजन कंट्रोल मैट विधि

इस विधि का प्रयोग आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में स्लाइडिंग से बचने के लिए होता है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में इसका प्रयोग पहली बार किया जा रहा है। इस विधि के जरिए स्लाइडिंग व डेंजर जोन की पहाड़ियों को बांधने के लिए आठ से दस मीटर ड्रिल कर पहाड़ी के अंदर सरिया जाम की जाती है। ऊपर कोयर मैट व उसके ऊपर वायर नेट डालकर सरिया को नट बोल्ट से टाइट किया जाता है।

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इरोजन कंट्रोल मैट विधि का प्रयोग दोनों ही कंपनियों ने डेंजर जोन की पहाड़ियों पर करना शुरू कर दिया है। यह कितनी कारगर है, यह देखने वाली बात है। बहरहाल इससे पहाड़ी को काफी मजबूती मिलेगी।

-एलडी मथेला, ईई, एनएच

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पहाड़ी में करीब आठ से दस मीटर ड्रिल कर सरिया के ऊपर कोयर मैट व वायर नेट से बांधा जा रहा है। इसका प्रयोग आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में किया गया है। हम भी प्रयोग कर रहे हैं। यह पहाड़ी को स्लाइड होने से बचाएगा।

-सुरेंद्र राणा, प्रोजेक्ट हेड, शिवालया कंपनी


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