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कागजों में प्रतिभा, जमीन को मोहताज

रजत श्रीवास्तव, चम्पावत: चम्पावत की खेल प्रतिभा वजूद तलाश रही है। न तो मैदान नसीब हो रहा न उपकरण्

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 04:19 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 04:19 PM (IST)
कागजों में प्रतिभा, जमीन को मोहताज
कागजों में प्रतिभा, जमीन को मोहताज

रजत श्रीवास्तव, चम्पावत: चम्पावत की खेल प्रतिभा वजूद तलाश रही है। न तो मैदान नसीब हो रहा न उपकरण। पहले कैंप बंद कर टनकपुर में संचालित करने का फैसला ले लिया गया। फासला अधिक होने के कारण खिलाड़ियों के कदम नहीं बढ़ सके। वे प्रेक्टिस करने भर की भूमि को भी तरस रहे हैं। 2012 से अब तक प्रतिभा सिर्फ कागजों में कैद है और खिलाड़ी जमीन को मोहताज हो रहे हैं।

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गुजरते वक्त के साथ चम्पावत के खिलाड़ियों की प्रतिभा भी दम तोड़ती रही। सबसे पहले तो जमीन मुहैया नहीं हो सकी। कई जगह भूमि देखी गई, लेकिन हर जगह कहीं स्थानीय लोग इसके आड़े आते रहे तो कभी जमीन सरकारी नहीं मिल सकी। ऐसे में जो भी अधिकारी आए उन्होंने अपनी तरफ से प्रस्ताव बनाकर भेजे पर उन पर अमल नहीं हो सका। फिर अधिकारियों ने गोरलचौड़ मैदान पर प्रस्ताव बनाया। इसका शासन से करोड़ों का बजट पास हुआ। 35 लाख रुपये की किश्त हाथ आई, लेकिन मैदान सैन्य अधिकार में होने पर बजट अब तक अटका है। कुछ वक्त पहले पूर्व डीएम दीपेंद्र कुमार चौधरी ने पिथौरागढ़ प्रशासनिक अधिकारी ले. कर्नल के नाम पत्र लिखकर गोरलचौड़ मैदान की 84 नाली भूमि खेल विभाग को हस्तांतरित करने और इतनी ही भूमि जूप भूमि को सैन्य अधिकार में हस्तांतरित करने के लिए अनुरोध किया, मगर अब तक इस पर मुहर नहीं लग सकी है। ऐसे में अब तक भूमि हस्तांतरित करने की हामी नहीं भरी जा सकी। जिससे अब तक खेल विभाग भूमि को मोहताज है।

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न संसाधन पर्याप्त, न कोच मिल सके

चम्पावत : चम्पावत की प्रतिभा शिक्षा विभाग की भूमि पर खुद को मांझने का प्रयास कर रही है, लेकिन मौजूदा समय में विभाग में खेल के संसाधन भी पर्याप्त नहीं। खिलाड़ी बताते हैं कि कुछ खेलों के अलावा कोई संसाधन भी मौजूद नही है। वहीं कोच न होने की वजह से खुद ही प्रयास में लगे हैं।

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यह बंद हुए कैंप, खिलाड़ी तलाश रहे वजूद

चम्पावत :---

कैंप खिलाड़ी

फुटबाल - 30

क्रिकेट - 32

हॉकी - 23

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लोहाघाट में शुरू किया कराटे प्रशिक्षण

चम्पावत : लोहाघाट में मौजूदा समय में कराटे शुरू किया गया है। इसमें कोच अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दीपक अधिकारी ने यहां 40 बच्चों को प्रशिक्षण देना शुरू किया है।

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क्या कहते हैं खिलाड़ी

खेलने के लिए मैदान नहीं है और संसाधनों की भी क मी रहती है। शिक्षा विभाग के मैदान पर ही रियाज करते हैं। खास चम्पावत में कम से कम स्टेडियम तो होना ही चाहिए।

=करन सिंह बोरा, खिलाड़ी

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खिलाड़ियों की प्रतिभा को कुचलने का काम किया जा रहा है। एक कोच भी चम्पावत को नहीं मिल सका। टनकपुर में ही चम्पावत को भी जोड़ दिया, लेकिन अब प्रैक्टिस करने के लिए इतनी दूर कैसे जाए।

- मुशाहिद खां, खिलाड़ी

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शिक्षा विभाग का जो मैदान है वह भी अगर बेहतर होता तो प्रैक्टिस करते बनता, लेकिन यहां भी चारों तरफ से गड्ढे हैं ऐसे में किसको अपना दर्द सुनाएं जो खिलाड़ियों की सुने। = मोहित तड़ागी, खिलाड़ी

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बड़े लेवल पर सिलेक्शन भी कैंप से ही होता है। अब कैंप बंद कर दिए गए तो बड़े लेबल पर खेलना का सपना भी अधूरा है और रियाज करने का मकसद भी ठहरा हुआ है।

= सचिन बिष्ट, खिलाड़ी

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जमीन का मामला अभी हस्तांतरण पर अटका हुआ है। अब तक उधर से ही प्रयास नहीं हुआ है। ऐसे में खिलाड़ियों के कैंप 2017 में बंद करने के डायरेक्टर लेवल से आदेश आ गए थे।

= राजेंद्र सिंह धामी, जिला क्रीड़ाधिकारी


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