बारिश न होने से खेतीखान क्षेत्र में आलू की खेती चौपट
लंबे समय से जरूरत के मुताबिक बारिश न होने से जिले के कई स्थानों पर आलू की फसल सूखने के कगार पर हैं।
जागरण टीम, चम्पावत/पाटी : लंबे समय से जरूरत के मुताबिक बारिश न होने से जिले के कई स्थानों पर आलू की फसल सूखने के कगार पर पहुंच गई है। आलू की पत्तियां पीली पड़ने के साथ उनकी ग्रोथ रुक गई है। सबसे अधिक नुकसान पाटी के आलू उत्पादक
काश्तकारों को झेलना पड़ा है। शनिवार को जिले के कुछ हिस्सों में हुई बारिश ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई। बारिश से केवल खेतों की धूल बैठी है। जल्द पर्याप्त बारिश न होने आलू की फसल को व्यापक नुकसान हो सकता है।
पाटी क्षेत्र के तपनीपाल ग्राम सभा सहित खेतीखान, मानर, बाजगाव, पोखरी, धूनाघाट आदि स्थानें में पिछले लगभग सात माह से बारिश नहीं हुई है। खेतों की नमी सूखने के बाद मजबूरी से काश्तकारों ने आलू बीज लगाया। जैसे तैसे बीज जम भी गया लेकिन अब ग्रोथ पूरी तरह प्रभावित हो गई है। पत्तियां पीली पड़ने के साथ झुलसने लगी हैं। तपनीपाल के किसान जगत सिंह ने बताया कि उन्होंने 1700 रुपये का आलू बीज का कट्टा खरीद कर लगाया था। जंगली जानवरों से आलू की सुरक्षा के लिए वे खेतों के पास ही झोपड़ी बनाकर रहा रहे हैं, लेकिन बारिश न होने से सारी मेहनत बेकार हो गई है। बताया कि पौधे सूख गए हैं। कलाखर्क गांव के युवा किसान दिनेश चंद्र का कहना है कि आलू का बीज उधार लेकर लगाया लेकिन बारिश न होने की वजह से आलू के पौधे ग्रोथ नहीं कर पा रहे हैं। फसल चौपट होने पर उधारी देना भी मुश्किल हो जाएगा। काश्तकार महेश चंद्र, राजू, प्रयाग दत्त ने बताया कि जंगली जानवरों के भय से तथा मौसम के मिजाज को देखते हुए उन्होंने इस बार कम आलू बीज लगाया, लेकिन वह भी बर्बाद होने की कगार पर आ गया है। इधर शनिवार की शाम जिले में हुई बारिश से फसलों को कोई राहत नहीं मिल पाई है।
========= जंगली जानवरों के आतंक से कम की आलू की खेती
कभी पाटी क्षेत्र के खेतीखान, बांजगांव, पोखरी, धूनाघाट आलू उत्पादन के लिए जिले में प्रसिद्ध थे, लेकिन जंगली जानवरों के आतंक से अब लोग कम मात्रा में आलू लगाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष जुकरिया ने बताया कि आज से चार साल पहले तक यहां का आलू जिले की खपत पूरी करने के साथ बाहरी राज्यों में भी जाता था, लेकिन अब आलू उत्पादन सीमित हो गया है। उन्होंने बताया कि सरकार और जिम्मेदार विभाग काश्तकारों की समस्या को अनदेखा करते आए हैं। ========== जिले में छह माह से पर्याप्त बारिश न होने से आलू समेत अन्य फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है। फरवरी और अप्रैल माह में सिर्फ छह एमएम बारिश हुई है। अच्छी सिंचाई के लिए कम से कम 30 एमएम बारिश की जरूरत है। जल्द बारिश न होने पर आलू उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
-सतीश चंद्र शर्मा, जिला उद्यान अधिकारी, चम्पावत