राहत शिविरों में 'खुद्दारी', सहयोग के साथ भागीदारी
चम्पावत के राहत शिविरों में बाहरी जिलों के फंसे श्रमिकों ने कागज की थैलियां बनाकर मिसाल पेश की।
गौरी शंकर पंत, लोहाघाट (चम्पावत) : दिन भर दिहाड़ी करने वाले हाथ भले ही लॉकडाउन में बंधे हैं, लेकिन मजबूर नहीं हैं। सम्मान से जीना आता है। मुफ्त का खाना कत्तई गंवारा नहीं। तभी तो राहत शिविर में भी रहते हुए काम में जुटे हैं।
कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लॉकडाउन किया गया। ऐसे में काम धंधा ठप है। उद्योग भी पूरी तरह से बंद है। इसका सीधा असर मजदूरों पर पड़ा है। घर के चूल्हे करीब ठंडे पड़ने लगे हैं। बाहरी क्षेत्रों के मजदूरों के समक्ष तो और विकट हालात हैं। उन्हें एहतियातन क्वारंटाइन किया गया है। यहां जीजीआइसी में ऐसे ही 36 दिहाड़ीदार मजदूरों को रखा गया है। प्रशासन ने इनके खाने-नाश्ते का मुकम्मल इंतजाम किया है, लेकिन इन्होंने मुफ्त में कुछ भी खाना-पीना मंजूर नहीं किया। पहले पूरे परिसर की सफाई का अभियान चलाया। परिसर को पेंट किया और अब कागज की थैली बनाने का काम शुरू कर दिया है। बुधवार से गुरुवार तक इन्होंने 2500 थैलियों को तैयार कर लिया है।
शिविर समन्वयक विक्रमाजीत सिंह चौहान ने बताया कि कागज की थैलियों की बिक्री की जाएगी। दुकानदारों से बात की गई है। इससे जो धनराशि एकत्रित होगी उसे शिविर में रह रहे लोगों पर खर्च किया जाएगा।
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बहराइच, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी के हैं रहने वाले
जीजीआइसी में बने राहत शिविर में 36 मजदूर रखे गए हैं। इनमें 14 उत्तर प्रदेश के बहराइच के, 09 लखीमपुर खीरी के, 13 पीलीभीत के हैं। बहराइच के योगेश कुमार, रामजीत यादव, अनिल यादव, संतोष कुमार, मनोज कुमार, कृपा राम, रामकरन शुक्ला ने बताया कि शिविर में हमें किसी पर बोझ नहीं बनना। हालात ने हमें मजबूर भले ही किया है, लेकिन खुद्दारी में कोई समझौता नहीं है। अपनी मेहनत की कमाई का आनन्द ही कुछ और है। ========== शिविर में मजदूरों का प्रयास स्वागत योग्य है। इससे मजदूरों का शिविर में मन लग रहा है।
-आरसी गौतम, एसडीएम लोहाघाट