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जैविक खेती से पैदा कर रहीं मुनाफे की फसल

विनय कुमार शर्मा चम्पावत खेती को आय का जरिया बनाने में जिले की एक महिला काश्तकार ने महार

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 10:01 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 10:01 PM (IST)
जैविक खेती से पैदा कर रहीं मुनाफे की फसल
जैविक खेती से पैदा कर रहीं मुनाफे की फसल

विनय कुमार शर्मा, चम्पावत

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खेती को आय का जरिया बनाने में जिले की एक महिला काश्तकार ने महारत हासिल की है। जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर छीड़ापानी गाव की इस बुजुर्ग महिला का नाम मिल्ड रेड बर्कबेक है। विशुद्ध देसी अंदाज में खेती कर रही इस महिला की किस्मत अब खेतों की मिट्टी ने बदल कर रख दी है। खेती किसानी और डेयरी से वह प्रतिवर्ष लाखों रुपया अर्जित कर रही हैं।

65 वर्षीय मिल्ड रेड बर्कबेक जैविक खेती के साथ डेयरी का काम भी कर रही हैं। सबसे पहले उन्होंने छीड़ापानी गाव में 150 नाली में फैले खेतों को हरा-भरा किया। यह काम कतई आसान नहीं था। इसके लिए शुरुआती नाकामी और नुकसान के बाद बाद भी हौंसला बरकरार रखते हुए उन्होंने आलू, प्याज, बैगन, गोभी, शिमला मिर्च, लहसुन, सरसों, मसूर, मक्का के साथ ही चारे की खेती शुरू कर दी। नजीता यह कि यह बुजुर्ग काश्तकार अब औरों के लिए भी प्रेरणाश्रोत बन चुकी हैं। बर्कबेक का कहना है कि वह बीज से लेकर खाद को घर में ही तैयार कर रही हैं। खाद में मुख्य रूप से गोबर का उपयोग किया जा रहा है। जैविक तरीके से उगाई साक-भाजी की पहाड़ से लेकर मैदान तक खूब माग है, साथ ही दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। खेती से वे सालभर में एक लाख रुपये कमा रही हैं। खेती को मौसम की मार से बचाने के लिए छह पॉलीहाउस भी लगाए गए हैं।

मीना बताती हैं कि रासायनिक खाद्यान्न के उपयोग के नुकसान और इस खेती के दीर्घकाल में होने वाले दुष्परिणामों को देखते हुए उन्होंने 14 साल पूर्व जैविक खेती शुरू की। और अब उनकी कामयाबी की गूंज पूरे जिले में सुनाई दे रही है।

गोबर की खाद के लिए शुरू किया गौ पालन

चम्पावत: गोबर की खाद के लिए मीना ने गायों को पालना शुरू किया। इस वक्त उनकी गोशाला में 14 से अधिक गायें हैं, जिनसे रोजाना औसतन 32 लीटर दूध पैदा हो रहा है। दूध की सही कीमत नहीं मिलने पर पनीर बनाकर बेच रही हैं। जिससे सालभर में करीब सवा लाख रुपये की आय हो जाती है।

श्रेष्ठ कृषक के खिताब से नवाजी जा चुकी हैं बर्कबैक

चम्पावत: मीना बर्कबेक को राज्य सरकार अक्तूबर 2011 में राज्य के सर्वश्रेष्ठ किसान का पुरस्कार दे चुकी है। बतौर उत्साहवर्धन उन्हें 50 हजार रुपये की धनराशि प्रदान की गई थी। वर्ष 2012 में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय ने उन्हें प्रगतिशील कृषक सम्मान दिया। दुग्ध उत्पादन के लिए भी उन्हें जिला स्तर पर डेयरी विभाग 7 हजार रुपये के पुरस्कार से पुरस्कृत कर चुका है।


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