रोते बिलखते गुजारी शहीद राहुल रंसवाल की मां और पत्नी ने रात
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हुए चम्पावत के राहुल रंसवाल के घर बुधवार को कोहराम मचा रहा।
चम्पावत, जेएनएन : दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हुए चम्पावत के कनलगांव निवासी राहुल रंसवाल की शहादत की सूचना परिजनों को मंगलवार की रात को ही मिल चुकी थी। जैसे ही राहुल के शहीद होने की सूचना मिली घर में कोहराम मच गया। उसकी मां हरू देवी और पत्नी पिंकी परिजन सुध-बुध खो बैंठी। उन्हें जहां राहुल के देश के लिए दिए गए सर्वोच्च बलिदान पर गर्व था वहीं अपने लाडले का हमेशा के लिए दूर होने का रंज भी।
सूचना के बाद आस पास के लोग रात में ही सांत्वना देने शहीद के घर पहुंचने शुरू हो गए। बुधवार की सुबह घर में हुजूम उमड़ पड़ा। जिला मुख्यालय ही नहीं दूर दराज के गांवों से भी लोग शहीद के घर पहुंचे और उनके दुख में शामिल हुए। घर का गमगीन माहौल और शहीद की पत्नी तथा मां की दशा देखकर लोग अपने आंसू नहीं रोक पाए। घर में एक ऐसा व्यक्ति भी था जो दुख के सारे झंझावतों को झेल परिजनों को लगातार साहस और हौसला दे रहा था। वह थे शहीद के पिता और आसाम राइफ्लस से सेवानिवृत्त सैनिक वीरेंद्र सिंह रंसवाल। शहीद के पिता जहां अपनी बहू को लगातार ढांढस दे रहे थे वहीं लगातार रो रही अपनी पत्नी को भी संभाल रहे थे। शहीद की पार्थिव देह पहुंचने से पूर्व प्रशासन की ओर से एसडीएम अनिल गब्र्याल शहीद के घर पहुंचे और उनके पिता से बातचीत की।
स्थानीय जनप्रतिनिधि भी सुबह से ही डटे रहे। शहीद राहुल रंसवाल मूल रूप से नेपाल सीमा से लगे तामली के बमनगांव के रहने वाले थे जो पिछले कई वर्षो से अपने कनलगांव स्थित मकान में माता-पिता और बच्चों के साथ रह रहे थे। 27 वर्षीय राहुल रंसवाल वर्ष 2012 में 50वीं राष्ट्रीय राइफल्स में भर्ती हुए थे। वर्तमान में वह जम्मू कश्मीर के पुलवामा में तैनात थे और मंगलवार को अपने साथी जवानों के साथ आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। ========== वर्ष 2018 में हुई थी राहुल की शादी
चम्पावत : सेना में भर्ती होने के बाद राहुल रंसवाल की शादी 26 अप्रैल 2018 को मेरठ के बरमपुरी नामक गांव से हुई। राहुल की पत्नी पिंकी मूल रूप से चम्पावत के जैनल दूबड़ गांव की रहने वाली हैं। उनकी शादी से पहले ही उनके पिता ने मेरठ के में मकान बना लिया था और तब से वह वहीं रह रही थीं। वर्तमान में उनके ससुराली मेरठ में ही रह रहे हैं। राहुल अपनी पत्नी पिंकी के साथ आठ माह की बेटी सान्वी को भी छोड़ गए हैं। राहुल के पिता वीरेंद्र सिंह रंसवाल ने बताया कि आरआर में उसका टर्नओवर पूरा हो गया था शीघ्र ही वह अपने मूल रेजिमेंट में लौटने वाले थे। ====== सात फरवरी को जेठू की शादी में आने वाले थे मेरठ
चम्पावत : राहुल रंसवाल की जेठू की शादी सात फरवरी को होनी है। राहुल ने शादी में शामिल होने के लिए श्रीनगर से दिल्ली तक फ्लाइट की बुकिंग भी कर ली थी और चम्पावत से पत्नी और बच्ची को बुलाने का इंतजाम भी कर दिया था, लेकिन क्या पता था कि विधि का विधान के आगे उनकी सारी योजना धरी रह जाएगी। ======= देश सेवा में तीसरी पीढ़ी का नेतृत्व कर रहे थे राहुल
चम्पावत : शहीद राहुल रंसवाल देश सेवा में अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी का नेतृत्व कर रहे थे। उनके दादा स्व. शिवराज सिंह कुमाऊं रेजिमेंट और पिता वीरेंद्र सिंह रंसवाल आसाम राइफल्स में रह चुके हैं। वीरेंद्र के बड़े भाई राजेंद्र सिंह रंसवाल इस समय 15 कुमाऊं में तैनात होकर देश सेवा कर रहे हैं। ======== युवाओं द्वारा की जा रही नारेबाजी में शामिल हुए शहीद के पिता
-कहा बेटे की शहादत पर उन्हें नाज है
संवाद सहयोगी, चम्पावत : शहीद राहुल रंसवाल का पूरा परिवार देश सेवा के जज्बे से भरा हुआ है। राहुल के शहीद होने की सूचना के बाद उनके पिता बार-बार घर में रखे तिरंगे को चूमते हुए भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे।
पिता वीरेंद्र सिंह रंसवाल के मन में बेटे की शहादत का गर्व उस समय सार्वजनिक रूप से प्रकट हो गया जब मीडिया कर्मियों ने उनसे राहुल के विषय में जानकारी ली। उन्होंने भारत माता के जयघोष के साथ अपनी बात शुरू की। कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि राहुल ने देश के लिए वह कर दिखाया जो सेना में रहने के दौरान उनके पिता और वह खुद नहीं कर पाए। इतना कहते ही उनका गला भर आया और आस-पास खड़े दर्जनों लोगों ने जोश में आकर भारत माता की जय, भारतीय सेना की जय तथा जब तक सूरज चांद रहेगा राहुल तेरा नाम रहेगा, पाकिस्तान मुर्दाबाद, आतंकवाद मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। शहीद के पिता ने भी लोगों के साथ नारेबाजी शुरू कर दी। इस दृश्य को जिसने भी देखा वह शहीद के पिता और उसके परिवार को सलाम करना नहीं भूला। ======== बेटा तू कब आएगा मेडल लेकर.. संस, चम्पावत : अपने लाडले बेटे की शहादत की खबर सुनकर शहीद राहुल रंसवाल की माता हरू देवी बार-बार रोते हुए कह रही थी- बेटा तू तो कर रहा था मेडल लेकर आऊंगा, अब कब आएगा तू मेडल लेकर.., मां की दर्द भरी इस चीख पर हर कोई आंसू बहा रहा था। आस-पास की महिलाएं और रिश्तेदार अपने आंसू पोछते हुए समझा रहे थे। ढांढस बंधा रहे थे। जन्म मृत्यु के चक्र और विधि के विधान का हवाला दे रहे थे, लेकिन मां कह रही थी मेरा बेटा जरूर आएगा और मेडल लेकर आएगा।
शहीद राहुल बचपन से ही निडर और बहादुर थे। उन्हें सेना में जाने का जज्बा शुरू से ही रहा। उनके पिता ने बताया कि राहुल को सेना में बहादुरी के अब तक कई मेडल मिल चुके हैं, लेकिन राहुल को किसी बड़े मेडल की तलाश थी। पिता ने बताया कि वह जब भी छुट्टी आता अपनी मां से वीरता का मेडल लेकर आने की बात करता था। आस पास के लोगों ने बताया कि राहुल काफी अनुशासन प्रिय था और पड़ोस के बच्चों को भी फौज में जाने के टिप्स देता था। राहुल की शहादत से न केवल परिजनों को सदमा लगा है बल्कि पड़ोस और पैतृक गांव के लोग भी इस घटना से स्तब्ध हैं। राहुल मिलनसार प्रवृत्ति का भी था। जब भी छुट्टी आता अपने रिश्तेदारों और परिचितों से अवश्य मिलता। तीज त्योहार और पर्वो में घर आने पर अपने गांव जरूर जाता था। यही कारण है कि उसकी शहादत पर पूरा जिला शोक की लहर में डूबा हुआ है। ========== युवाओं ने पाकिस्तान के खिलाफ निकाली रैली
चम्पावत : राहुल रंसवाल की शहादत से गुस्साए चम्पावत के युवाओं ने मोटर स्टेशन में पाकिस्तान के खिलाफ रैली निकालकर आतंकवाद के खिलाफ और भरतीय सेना के समर्थन में जमकर नारे लगाए। युवा आतंकवादियों के सफाए और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे थे। हाथ में तिरंगा लेकर शहीद के कनलगांव स्थित आवास से शुरू हुई रैली मुख्य बाजार होते हुए वापस शहीद के घर तक पहुंची। रैली में युवाओं के साथ हर आयु वर्ग के लोग शामिल थे। युवाओं ने जब तक सूरज चांद रहेगा राहुल तेरा नाम रहेगा। इंडियन आर्मी जिंदाबाद, बंदे मातरम और भारत माता की जय के गगनभेदी नारे लगाए। ======== टैक्सी यूनियन आज 12 बजे तक ठप रखेगी वाहनों का संचालन
चम्पावत : टैक्सी यूनियन चम्पावत ने राहुल रंसवाल की शहादत पर शोक स्वरूप गुरुवार को दिन में 12 बजे तक टैक्सियों का संचालन बंद रखने का निर्णय लिया है। कुमाऊं टैक्सी यूनियन महासंघ के उपाध्यक्ष ललित मोहन भट्ट और चम्पावत टैक्सी यूनियन अध्यक्ष गोपाल सिंह भंडारी ने बताया कि 12 बजे तक चम्पावत टैक्सी यूनियन की टैक्सियां नहीं चलेंगी। इस दौरान शहीद के सम्मान में सभी टैक्सी चालक शोक सभा का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।