चम्पावत के चाय बागानों में 400 से अधिक लोगों को मिल रहा रोजगार
जिला मुख्यालय के चाय बागानों में इन दिनों 400 से अधिक लोग रोजाना खर पतवार नियंत्रण का काम कर रोजगार अर्जित कर रहे हैं।
चम्पावत, जेएनएन : जिला मुख्यालय के चाय बागानों में इन दिनों 400 से अधिक लोग रोजाना खर पतवार नियंत्रण का काम कर रोजगार अर्जित कर रहे हैं। इनमें सर्वाधिक रोजगार महिलाओं को दिया जा रहा है। इस दौरान शारीरिक दूरी का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
लटोली स्थित बागान में फील्ड सहायक सुरेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में चल रहे खरपतवार नियंत्रण कार्य में आस-पास की महिलाओं को अच्छा खासा रोजगार मिल रहा है। खरपतवार नियंत्रण कार्य में लगी कलावती देवी, देवकी देवी, गंगा देवी, गीता देवी, मुन्नी देवी, निर्मला देवी, माधुरी देवी आदि ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें अन्य जगह काम नहीं मिल रहा है, लेकिन वे चाय बागान में काम कर अपने परिवार का खर्च निकाल रही हैं। पतवार नियंत्रण के साथ वे चाय पत्ती तोड़ने का काम भी करती हैं। बता दें कि वर्तमान में सिलंगटाक, छीड़ापानी, मुड़ियानी, मौराड़ी, मझेड़ा,चौकी, ज्यूरा खर्क, भगाना भंडारी, नरसिंह डाडा, कालूखाण, गोसनी, फूंगर, लमाई, चौड़ा राजपुर, खेतीगाड़, बलाई आदि ग्राम पंचायतों की 202 हेक्टेयर भूमि पर स्थित चाय बागानों में बड़े पैमाने पर स्थानीय लोग खरपतवार नियंत्रण का काम कर रोजगार अर्जित कर रहे हैं। चम्पावत में दो सौ साल पहले अंग्रेजों ने चाय की खेती शुरू की थी। 1995-96 में टी-बोर्ड के गठन के बाद पर्वतीय क्षेत्रों में चाय विकास योजना को लागू करने के प्रयास शुरू हुए। जनपद की सिलंगटाक ग्राम पंचायत में चाय बागान की शुरुआत की गई। 2004 में इस दिशा में काम और आगे बढ़ा। टी-बोर्ड प्रबंधक डेसमंड ने बताया कि जिले में स्थित चाय बागानों में इन दिनों प्रतिदिन चार सौ से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। यहां की जैविक चाय काफी प्रसिद्ध है। जिसे देश के विभिन्न हिस्सों के साथ विदेशों में भेजा जाता है। पैरामाउंट मार्केटिंग कंपनी इस चाय को जर्मनी इंग्लैंड सहित कई यूरोपीय देशों को निर्यात करती है।