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नेपाल सीमा से लगे चम्पावत के कई गांव स्वास्थ्य सुविधा से महरूम

भारत-नेपाल सीमा पर बसे मडलक और दिगालीचौड़ क्षेत्र के ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा से वंचित हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Jul 2022 09:25 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jul 2022 09:25 PM (IST)
नेपाल सीमा से लगे चम्पावत के कई गांव स्वास्थ्य सुविधा से महरूम
नेपाल सीमा से लगे चम्पावत के कई गांव स्वास्थ्य सुविधा से महरूम

नेपाल सीमा से लगे चम्पावत के कई गांव स्वास्थ्य सुविधा से महरूम

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संवाद सहयोगी, चम्पावत : भारत-नेपाल सीमा पर बसे मडलक और दिगालीचौड़ क्षेत्र के ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा से वंचित हैं। आजादी के 75 वर्ष बाद भी इस क्षेत्र में कोई एलोपैथिक अस्पताल नहीं खुल सका है। जिससे यहां के ग्रामीणों को मामूली रोगों का उपचार के लिए 15 किमी दूर पुल्ला या 30 किमी दूर लोहाघाट अथवा 45 किमी दूर चम्पावत जिला मुख्यालय जाना पड़ रहा है। जनता की मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अक्तूबर 2019 में मडलक क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाइप ए के निर्माण की घोषणा अल्मोड़ा से की थी, लेकिन मानक पूरे न होने के कारण अस्पताल अस्तित्व में नहीं आ पाया है। क्षेत्र की जनता लंबे समय से अस्पताल निर्माण की मांग उठती रही है, लेकिन उन्हें स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। लेटी, सुंगरखाल, जमरसों, बगोटी, सल्टा, मजपीपल, मडलक, जाख जिंडी, सागर, काकड़ी, बुंगा, सुनकुरी, सेल्ला, केलानी, बड़म, कंटुकरा, रजुवा, चामा, गुरेली, रौल धौन, गुड़मागल, दिगालीचौड़, रौंसाल आदि गांवों की हजारों की आबादी को मामूली बीमारी के उपचार के लिए लोहाघाट या फिर चम्पावत की दौड़ लगानी पड़ रही है। स्वास्थ्य सेवा न होने से इनमें से अधिकांश गांवों से पलायन भी होने लगा है। गर्म घाटी होने के कारण डुंगरालेटी, बगोटी, गुरेली, सुनकुरी आदि गांवों में गर्मियों में संक्रामक रोगों का खतरा रहता है। पिछले कई सालों से इन गांवों में गर्मियों के सीजन में डायरिया जैसी जानलेवा बीमारी पांव पसार रही है। समय से उपचार न मिलने के कारण कई की मौत भी हो चुकी है। जाख जिंडी के बीडीसी सदस्य मदन कलौनी, मडलक के ग्राम प्रधान भुवन चंद्र भट्ट, बगौटी के बीडीसी हयात सिंह धौनी, संतोक सिंह रावत, बद्री सिंह सौन, विक्रम सिंह सौन आदि का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधा लोगों का बुनियादी अधिकार है। सरकार को मानकों में छूट देकर भी यहां अस्पताल खोलना चाहिए। मदन कलौनी ने बताया कि एलोपैथिक अस्पताल न होने का सबसे अधिक नुकसान गर्भवती महिलाओं को उठाना पड़ रहा है। विभिन्न ग्रामीण इलाकों से उन्हें 30 से 40 किमी दूर लोहाघाट अस्पताल ले जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। ======= आयुर्वेदिक अस्पताल बना मरीजों का सहारा मडलक में स्थित आयुर्वेदिक एंड वेलनेस सेंटर मरीजों का सबसे बड़ा सहारा बना हुआ है। सुबह से लेकर शाम तक अस्पताल में मरीजों की भीड़ रहती है, लेकिन गंभीर और बड़ी बीमारी से ग्रसित लोगों को फौरी उपचार न मिलने से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्षेत्र निसासी जगदीश पांडेय, त्रिलोक सिंह, उमेद सिंह आदि ने आयुर्वेदिक अस्पताल की व्यवस्थाओं को और अधिक सुदृढ़ करने की मांग की है। ====== वर्ष 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा मडलक में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने की घोषणा की थी, लेकिन मानक पूरे नहीं कर पाने के कारण अस्पताल नहीं खोला जा सका है। लोगों की दिक्कतों को देखते हुए एलोपैथिक अस्पताल के मानकों में शिथिलता के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। - डा. केके अग्रवाल, सीएमओ, चम्पावत


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