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ठुलीगाढ़ वन क्षेत्र में जिपं कराएगी पक्का निर्माण

विनय कुमार शर्मा, चम्पावत उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध पूर्णागिरि मेले के लिए अब स्थाई आवास बनाने की

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 10:22 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 10:22 PM (IST)
ठुलीगाढ़ वन क्षेत्र में जिपं कराएगी पक्का निर्माण
ठुलीगाढ़ वन क्षेत्र में जिपं कराएगी पक्का निर्माण

विनय कुमार शर्मा, चम्पावत

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उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध पूर्णागिरि मेले के लिए अब स्थाई आवास बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। जिला पंचायत द्वारा प्रतिवर्ष ठुलीगाढ़ क्षेत्र में अस्थायी आवासों, पार्किंग स्थलों व अन्य कार्यो को तैयार कराने में लाखों रुपया पानी की तरह बहाया जाता है। जिस पर अब लगाम लग सकेगी। इसके लिए वन क्षेत्र की 0.940 हेक्टेयर भूमि को जिला पंचायत को हस्तांतरित करने के लिए प्रस्ताव ऑनलाइन कर दिया गया है। जिस पर वन विभाग नोडल अधिकारी द्वारा संस्तुति मिलने पर जिपं द्वारा निर्माण कार्य प्रारंभ करा दिया जाएगा।

जनपद के टनकपुर क्षेत्र में स्थित उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि धाम में तीन माह का भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु मां के चरणों में शीश झुकाकर मन्नतें मांगते हैं। मेले को आकर्षक व सुंदर बनाने के लिए जिला पंचायत पर लाखों रुपये खर्च कर श्रद्धालुओं की मूलभूत सुविधाओं को पूरा कराया जाता है। जिसमें प्रमुख रूप से जिपं द्वारा प्रतिवर्ष मेले में करीब 25 लाख की लागत से ठुलीगाढ़ वन क्षेत्र में अस्थायी तौर पर रैन बसेरे, पार्किंग स्थल, भंडारा स्थल, अधिकारियों व कर्मचारियों के आवास व गेस्ट हाउस का निर्माण कराया जाता है। वन क्षेत्र होने के कारण जिपं द्वारा आज तक क्षेत्र में पक्का निर्माण नहीं कराया जा सका। वहीं काली मंदिर में भी करीब एक हजार वर्ग फिट क्षेत्र में रैन बसेरे आदि का निर्माण कराया जाता है। जिसमें प्रतिवर्ष लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। जिला पंचायत व जिला पंचायत के अनुरोध पर वन विभाग ने ठुलीगाढ़ व काली मंदिर की करीब 0.940 हेक्टेयर भूमि को जिपं को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है। जिसके बाद जिला पंचायत ने इसका प्रस्ताव बनाकर ऑनलाइन कर दिया है। अब प्रस्ताव को नोडल अधिकारी की संस्तुति मिलने का इंतजार है। करीब 50 लाख में हो जाएगा पक्का निर्माण ठुलीगाढ़ व काली मंदिर क्षेत्र में जिला पंचायत द्वारा करीब 25 से 30 लाख रुपये की लागत से अस्थायी निर्माण होता है। वन अनुमति मिलने के बाद प्रतिवर्ष का यह बजट बच जाएगा और एक बार करीब 50 लाख की लागत से पक्का निर्माण कराने के बाद काफी राहत मिलेगी। वर्जन-

ठुलीगाढ़ वन रेंज की 0.940 हेक्टेयर वन भूमि को जिला पंचायत को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव ऑनलाइन कर दिया गया है। नोडल अधिकारी की संस्तुति का इंतजार है। वन क्षेत्र में अस्थायी निर्माण में करीब 25 से 30 लाख प्रतिवर्ष खर्च होता है। संस्तुति मिलने के बाद यह पैसा बचेगा और इससे पक्का निर्माण कराया जाएगा।

= राजेश कुमार, अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत


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