कुत्ते, बिल्ली और बंदर ने काट लिया तो मत जाइए सरकारी अस्पताल, चम्पावत के अस्पतालों में सात माह से नहीं एंटी रैबीज के इंजेक्शन
संवाद सहयोगी चम्पावत अगर आपको कुत्ते बिल्ली व बंदर ने काट लिया हो तो सरकारी अस्पतालों क
संवाद सहयोगी, चम्पावत : अगर आपको कुत्ते, बिल्ली व बंदर ने काट लिया हो तो सरकारी अस्पतालों के मुगालते में मत रहिए। जेब में पैसे हैं तो रैबीज का इंजेक्शन लगाने प्राईवेट क्लीनिकों में जाइए, वरना इसे नियति का खेल मानकर घर बैठ जाइए। ऐसा इसलिए, क्योंकि जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में एंटी रैबीज के इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं।
चम्पावत में आए दिन आवारा कुत्तों, बिल्ली और कटखने बंदरों के काटने की घटनाएं आम होती हैं, लेकिन यहां के अस्पतालों में एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं मिल पा रही है। जिला चिकित्सालय समेत जिले के सभी बड़े अस्पतालों में कहीं सात तो कहीं तीन माह से एंटी रैबीज के इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं। मरीज मजबूरन मेडिकल स्टोरों से 350 रुपये का इंजेक्शन खरीद कर लगवा रहे हैं। इससे गरीब तबके के मरीजों को काफी अधिक परेशानी का सामान करना पड़ रहा है। मेहनत मजदूरी करने वाले कई लोग पैसा न होने से इंजेक्शन नहीं लगवा पा रहे हैं। जिला चिकित्सालय में चार माह पूर्व 60 इंजेक्शन आए थे जो कुछ ही समय में समाप्त हो गए। संयुक्त चिकित्सालय टनकपुर में भी सात माह से डिमांड के अनुरूप एंटी रैबीज वैक्सीन नहीं मिल पा रही है। यहां दो माह पूर्व बमुश्किल 40 इंजेक्शन मिले थे, जो अब खत्म हो गए हैं। जानवरों द्वारा काटे गए लोगों को पांच रैबीज के इंजेक्शन अनिवार्य रूप से लगाने पड़ते हैं। दिहाड़ी मजदूरों और दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करने वाले लोगों के पास महंगे इंजेक्शन लगाने के लिए पैसा नहीं होता जिससे वह इसे नियति का खेल मानकर बिना इंजेक्शन लगाए जिंदगी को भगवान भरोसे छोड़ देते हैं। ========== लोहाघाट अस्पताल प्रशासन बाहर से खरीदकर कर रहा व्यवस्था चम्पावत: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लोहाघाट में मेडिकल स्टारों से प्रति इंजेक्शन 325 रुपये में खरीदकर मरीजों को निश्शुल्क लगाए जा रहे हैं। सीएमएस मंजीत सिंह ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने हाल ही में सरकारी मद से 50 रैबीज के इंजेक्शन खरीदे हैं, जिन्हें मरीजों को फ्री में उपलब्ध कराया जा रहा है। ========= टनकपुर में हर रोज पहुंच रहे औसतन छह मरीज
चम्पावत : टनकपुर अस्पताल में एंटी रैबीज के इंजेक्शन के लिए हर रोज औसतन छह मरीज पहुंच रहे हैं। इन मरीजों को मेडिकल स्टोरों से इंजेक्शन खरीदने को कहा जा रहा है। निर्धन वर्ग के लोग इतना कीमती इंजेक्शन लगाने में समर्थ नहीं हैं। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एचएस ह्यांकी ने बताया कि पहले एक वर्ष में करीब 300 रैबीज के इंजेक्शन प्राप्त हो जाते थे, लेकिन पिछले सात माह से एक भी इंजेक्शन नहीं आ पाया है। ========= देहरादून से नहीं मिल पा रहे हैं इंजेक्शन
चम्पावत: अस्पताल सूत्रों के अनुसार एंटी रैबीज के इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों को देहरादून की एक कंपनी सप्लाई करती है। लंबे समय से यह कंपनी डिमांड के अनुरूप इंजेक्शन तैयार नहीं कर पा रही है जिससे अस्पतालों में इनकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है। बताया जा रहा है कि जिले के सरकारी अस्पतालों ने लखनऊ की कंपनी से रैबीज के इंजेक्शन खरीदने का एग्रीमेंट किया है, लेकिन अभी तक वहां से भी इंजेक्शन नहीं आ पाए हैं। ========== सरकारी अस्पतालों को लंबे समय से एंटी रैबीज के इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं। इस समस्या को निदेशालय स्तर पर रखा गया है। सभी सीएमएस को मेडिकल स्टोरों से इंजेक्शन खरीदकर मरीजों को निश्शुल्क लगाने को कहा गया है। लोहाघाट में इंजेक्शन बाहर से खरीदकर लगाए जा रहे हैं।
- डॉ. आरपी खंडूरी, सीएमओ, चम्पावत