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बाणासुर किला उपेक्षा के हमले से लहूलुहान

जागरण संवाददाता, चम्पावत : चम्पावत जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर लोहाघाट के विशुंग क्षेत्र में स्थित

By Edited By: Published: Mon, 19 Dec 2016 01:01 AM (IST)Updated: Mon, 19 Dec 2016 01:01 AM (IST)
बाणासुर किला उपेक्षा के हमले से लहूलुहान

जागरण संवाददाता, चम्पावत : चम्पावत जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर लोहाघाट के विशुंग क्षेत्र में स्थित है बाणासुर का किला। समुद्र तल से 1859 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह किला प्राकृतिक सौंदर्य की मामले में बेहद समृद्ध है। पहाड़ी शैली में निर्मित इस किले में पत्थरों का उपयोग किया गया है और इसकी बनावट प्राकृतिक मीनार की भांति है। यह किला जो पर्यटन स्थल के रूप में उभर सकता है, संरक्षण के अभाव में यह किला अपना अस्तित्व खो रहा है। इससे महाभारत काल व कत्यूरों के समय के कालखंड का इतिहास धूमिल होता जा रहा है। अगर समय रहते इसका संरक्षण नहीं किया गया तो इसकी यादें इतिहास के पन्नों में ही सिमट जाएंगी। वाणासुर किले से लोहाघाट नगर, काली कुमाऊं क्षेत्र का विहंगम दृश्य दिखता है। रक्षाबंधन सहित अन्य लोकपर्वो पर विशुंग क्षेत्र के लोग यहां इकट्ठा होकर त्योहार मनाते हैं।

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किले को लेकर अलग-अलग मत : वाणासुर किले को लेकर भी अलग-अलग मत हैं। कुछ लोग कहते हैं कि यह किला बाणासुर का है, लेकिन प्रमाणिक साक्षों के अनुसार 12वीं शताब्दी में चंद राजाओं ने तब इसका निर्माण कराया, जब उनकी राजधानी चम्पावत के राजबुंगा किले में थी। इतिहासकार बताते हैं कि यह सथान काफी ऊंचाई पर होने के कारण इस स्थान पर किले का निर्माण चंद राजाओं ने अपनी सीमा की निगरानी के लिए किया था। इससे नेपाल व अन्य स्थानों से होने वाले आक्रमणों की सूचना चंद राजाओं को पहले ही मिल जाती थी।

किले से दिखता है हिमालय : इस किले से हिमालय खासकर पंचाचूली चोटी का सुंदर नजारा दिखता है। हिमालय का दीदार करने के लिए लोग यहां पहुंचते हैं। हिमालय पर्वत श्रृंखला का नयनाभिराम दृश्य देखने के बाद लोग इस स्थल के मुरीद हो जाते हैं।

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मूलभूत सुविधाओं का अभाव

चम्पावत : किले में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। पानी और सड़क की व्यवस्था नहीं होने से तमाम पर्यटक यहां तक नहीं पहुंच पाते हैं। प्रशासन और सरकार द्वारा मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराकर इस स्थल का प्रचार-प्रसार किया जाए तो यह पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल बन सकता है।

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नुमाइंदों व सरकार की बेरुखी

चम्पावत : किले पर नुमाइंदों और सरकार की बेरुखी भारी साबित हो रही है। नुमाइंदों के साथ ही प्रशासन और सरकार ने कभी किले को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए ठोस प्रयास नहीं किया। इस कारण किला उपेक्षा का दंश झेल रहा है।

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ऐसे पहुंचे बाणासुर किला

बाणासुर किला चम्पावत जिला मुख्यालय से 20 जबकि लोहाघाट नगर से सात किमी दूर है। यह कर्णकरायत गांव के पास स्थित है जहां से दो किमी सीढि़यों के पैदल मार्ग होते हुए इस तक पहुंचा जा सकता है।

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बाणासुर किले को नया स्वरूप देने की तैयारी चल रही है। किले तक नए रास्ते का रेलिंग के साथ निर्माण किया जाएगा और सोलर लाइटें लगाई जाएंगी। रास्ते पर रेस्ट प्वाइंट बनेंगे और पानी की व्यवस्था होगी। इसके लिए बाह्य सहायतित योजना के तहत प्रस्ताव तैयार किया गया है।

-राजेंद्र सिंह ऐरी, जिला पर्यटन अधिकारी, चम्पावत


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