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विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी सैलानियों के लिए बंद, इसबार दीदार को पहुंचे सिर्फ 932 पर्यटक

फूलों की घाटी में आज दोपहर के बाद शीतकाल में पर्यटकों की आवाजाही के लिए बंद हो जाएगी। इस बार शुक्रवार तक 930 पर्यटक फूलों की घाटी के दीदार को पहुंचे हैं जबकि घाटी का दीदार करने सिर्फ पांच विदेशी पर्यटक सिर्फ पहुंचे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 12:09 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 09:25 PM (IST)
विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी सैलानियों के लिए बंद, इसबार दीदार को पहुंचे सिर्फ 932 पर्यटक
फूलों की घाटी में आज दोपहर के बाद शीतकाल में पर्यटकों की आवाजाही के लिए बंद हो जाएगी।

गोपेश्वर (चमोली), देवेंद्र रावत। फूलों की घाटी शीतकाल के लिए बंद कर दी गई है। यहां का दीदार करने वाले पर्यटकों को अब अगले साल का इंतजार करना होगा। आपको बता दें कि इस सीजन के अंतिम दिन दो पर्यटकों ने फूलों की घाटी का दीदार किया। इस बार 932 पर्यटक फूलों की घाटी के अद्भुत सौंदर्य को देखने यहां पहुंचे, जिनमें 11 विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं। कोरोना के चलते इस साल एक अगस्त से ही पर्यटकों की घाटी में आमद हुई। पर्यटकों से राष्ट्रीय पार्क प्रशासन को एक लाख 42 हजार 100 रुपये की आय प्राप्त हुई है।

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संक्रमण के चलते इस बार घाटी में पर्यटकों की संख्या बेहद कम रही। वर्ष 2019 में जहां करीब पंद्रह हजार देशी-विदेशी पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे थे, तब 17424 देशी विदेशी पर्यटक आए थे। 27 लाख से अधिक की आय हुई थी। फूलों की घाटी के रेंजर बृजमोहन भारती ने बताया कि एक जून को फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खुल गई थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण एक अगस्त से पर्यटकों को घाटी में प्रवेश दिया गया। अब शीतकाल के दौरान फूलों की घाटी में नियमित गश्त की जाएगी। घाटी में तस्करों और वन्य जीवों पर नजर रखने के लिए 10 ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं। पर्यटन कारोबार से जुड़े एडवेंचर ट्रैकिंग के संचालक संजय कुंवर का कहना है कि इस साल कोरोना के चलते विदेशी पर्यटकों का टोटा रहा। फिर भी पर्यटन कारोबार उम्मीदों से अधिक आय हुई है।

फूलों की घाटी एक नजर 

विश्व धरोहर फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजाति के रंग बिरंगे फूल खिलते हैं। 87.50 वर्ग फुट में फैली फूलों की घाटी की खोज वर्ष 1932 में ब्रिटिस पर्वतारोही व वनस्पति शास्त्री फ्रैंकस्मित ने की थी। वर्ष 1937 में फ्रैंकस्मित ने वैली आफ फ्लावर नामक पुस्तक लिखकर अपने अनुभवों को देश दुनियां के सामने रखा तो फिर यह अनाम घाटी दुनिया के प्रकृति प्रेमियों की पहली पसंद बन गई।  फूलों की घाटी को वर्ष 2005 में विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त हुआ था। फूलों की घाटी जुलाई से सितंबर माह तक गुलजार रहती है। फूलों की घाटी हर दो सप्ताह में अपना रंग भी बदलती है। कभी लाल तो कभी पीले फूलों के खिलने से घाटी में प्रकृति रंग बदल कर हमेशा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। 

कैसे पहुंचें

ऋषिकेश से 271 किमी बदरीनाथ हाईवे पर गोविंदघाट पहुंचकर यहां से फूलों की घाटी की यात्रा शुरू होती है। फूलों की घाटी जाने के लिए पर्यटकों को घाटी के बेसकैंप घांघरिया तक 14 किमी पैदल दूरी तय करना पड़ता है। घांघरिया से फूलों की घाटी में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पार्क से अनुमति शुल्क जमा कर जाया जाता है। फूलों की घाटी में प्रवेश के लिए दोपहर तक ही पर्यटकों के लिए इजाजत है। फूलों की घाटी में गए पर्यटक को दोपहर बाद वापस बैस कैंप घांघरिया आना आवश्यक है।

पर्यटक कर सकते हैं हेमकुंड की यात्रा 

फूलों की घाटी आए पर्यटक बैस कैंप से पांच किमी पैदल जाकर हेमकुंड व लक्ष्मण लोकपाल मंदिर में भी जा सकते हैं। यह उच्च हिमालय में बेहद खड़ी चढ़ाई का ट्रैकिंग रूट भी है। 


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