बारिश में कर रहे थे डामरीकरण, ग्रामीणों ने रुकवाया
नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग पर बिना चौड़ीकरण के ही बारिश के दौरान डामरीकरण करने पर गुस्साए स्थानीय निवासियों ने कार्य बंद करा दिया और डामर से भरे ट्रकों को लौटा दिया।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग पर बिना चौड़ीकरण के ही बारिश के दौरान डामरीकरण करने पर गुस्साए स्थानीय निवासियों ने कार्य बंद करा दिया और डामर से भरे ट्रकों को लौटा दिया। इस दौरान स्थानीय जनता व ठेकेदार के बीच बहस भी हुई।
बुधवार को बारिश के दौरान नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग पर थिरपाक के पास डामरीकरण का कार्य शुरू हुआ, तो स्थानीय निवासियों में आक्रोश फैल गया। क्षेत्रवासियों ने मौके पर पहुंचकर डामरीकरण का विरोध करते हुए पहले चौड़ीकरण फिर डामरीकरण की बात कही। इस दौरान कार्य कर रहे ठेकेदार व जनता में नोकझोंक भी हुई। हालांकि जनविरोध के बाद डामरीकरण का कार्य रोक दिया गया। आंदोलनकारियों का नेतृत्व टैक्सी यूनियन नंदप्रयाग के अध्यक्ष प्रेम सिंह राणा, व्यापार संघ घाट के महामंत्री प्रदीप सिंह नेगी, क्षेत्र पंचायत सदस्य दीपक रतूड़ी कर रहे थे। इधर, लोक निर्माण विभाग कर्णप्रयाग के अधिशासी अभियंता अशोक कुमार नैथानी का कहना है कि नंदप्रयाग-घाट सड़क डेढ़ लाइन चौड़ीकरण के मानकों को पूरा नहीं कर पा रही है, जिस कारण चौड़ीकरण कार्य नहीं किया जा सकता है। सड़क का डामरीकरण कार्य शुरू किया गया है। पहले चरण में पांच किलोमीटर तक डामर बिछाया जाएगा।
पांच दिसंबर से करेंगे धरना-प्रदर्शन
नंदप्रयाग घाट के गांवों के निवासियों ने बैठक कर पांच दिसंबर से घाट और नंदप्रयाग में धरना-प्रदर्शन शुरू करने का एलान किया है। कहा गया कि दो मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बावजूद सड़क पर महज डामर बिछाकर खानापूर्ति की जा रही है, जबकि सड़क कई जगहों पर बेहद संकरी और तीखे मोड़ वाली है।
दो-दो सीएम की घोषणा धरातल पर नहीं उतरी
वर्ष 2017 में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गोपेश्वर के पुलिस मैदान में आयोजित जनता दरबार में घाट-नंदप्रयाग सड़क को डेढ़ लाइन तक चौड़ीकरण की घोषणा की थी, जबकि हरीश रावत ने भी मुख्यमंत्री रहते हुए घाट क्षेत्र में भ्रमण के दौरान सड़क के चौड़ीकरण की घोषणा की थी। लेकिन आज तक दोनों मुख्यमंत्रियों की घोषणा धरातल पर नहीं उतर पाई हैं।