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बर्फ की आगोश में समाया है फूलों का अद्भुत संसार, घाटी खुलने तक हिमखंड काटना बड़ी चुनौती

एक जून से सैलानियों के लिए फूलों की घाटी खोल दी जाएगी लेकिन उससे पहले मार्ग पर पसरे हिमखंडों को काटने की बड़ी चुनौती सामने है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 05:35 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 08:05 PM (IST)
बर्फ की आगोश में समाया है फूलों का अद्भुत संसार, घाटी खुलने तक हिमखंड काटना बड़ी चुनौती
बर्फ की आगोश में समाया है फूलों का अद्भुत संसार, घाटी खुलने तक हिमखंड काटना बड़ी चुनौती

जोशीमठ(चमोली), जेएनएन। उत्तराखंड के चमोली जिले में बसा है फूलों का अद्भुत संसार, जो बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता भागदौड़ भरी जिंदगी को काफी सुकून पहुंचाती है। हालांकि, अभी फूलों का ये अद्भुत संसार बर्फ के आगोश में समाया हुआ है और यहां पैदल मार्ग पर बने हिमखंड किसी चुनौती से कम नहीं है। एक जून से घाटी पर्यटकों के लिए खोली जानी है, लिहाजा वन विभाग की पूरी कोशिश है कि तबतक पैदल मार्ग को पूरी तरह से खोल दिया जाए। 

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विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में बीते साल रेकॉर्ड पर्यटक पहुंचे थे। लिहाजा, इस साल भी पर्यटकों की संख्या अच्छी-खासी होने की उम्मीद है। इससे स्थानीय पर्यटन कारोबारी भी उत्साहित हैं। बता दें कि इस साल भारी से भारी बर्फबारी के चलते घाटी में नौ फीट से अधिक बर्फ जमी है। पूरी फूलों की घाटी बर्फ के आगोश में समाई हुई है। आलम यह है कि यहां पर दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों के लिए शीतकाल में रहने के लिए प्राकृतिक आवास भी बर्फ से लबालब हो गए हैं। जिस तरह यहां बर्फबारी हुई है उससे फूलों के अच्छी तरह से खिलने की उम्मीद भी की जा रही है। फूलों की घाटी के वन क्षेत्राधिकारी बृजमोहन भारती ने बताया कि विश्व धरोहर फूलों की घाटी इस वर्ष एक जून से पर्यटकों के लिए खोल दी जाएंगी।

वैली ऑफ फ्लावर में बर्फबारी के बाद बढी गश्त

फूलों की घाटी में दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास है। यहां भारी बर्फबारी होने के बाद वन्य जीव हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी के बेस कैंप घांघरिया तक पहुंच रहे हैं। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए इन दिनों वन विभाग ने गश्त भी बढ़ा दी है। इस क्षेत्र में दिन के अलावा रात को भी गश्त की जा रही है।

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हिमखंडों को काटने में बहाना होगा पसीना

फूलों की घाटी में जिस तरह बर्फ गिरी है। यहां मार्ग पर 30 से 40 फीट तक ऊंचे हिमखंड पसरे हुए हैं। घांघरिया से फूलों की घाट तक पहुंचने के लिए चार किमी पैदल मार्ग में ये हिमखंड घाटी खुलने से पहले वन विभाग के लिए मुसीबत का कारण भी बन सकते हैं। वन विभाग का भी मानना है कि घाटी का पैदल मार्ग खोलना चुनौती से कम नहीं होगा। वन क्षेत्राधिकारी बृजमोहन भारती ने बताया कि मार्ग पर जिस तरह बड़े हिमखंड पसरे हुए हैं, वह रास्ता खोलने में मुसीबतें बढ़ा सकते हैं। हालांकि, वन विभाग की योजना है कि फूलों की घाटी में एक जून से पहले पैदल मार्ग पूरी तरह से खोल दिया जाएगा।

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