बोर्ड भंग करने का तीर्थ पुरोहितों ने किया स्वागत
संवाद सहयोगी गोपेश्वर सरकार की ओर से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की घोषणा के बाद हक-
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: सरकार की ओर से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की घोषणा के बाद हक-हकूकधारियों व तीर्थ पुरोहितों ने खुशी जताई। उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड गठन का निर्णय ही गलत था। वहीं विपक्ष ने इसे राजनीतिक फैसला बताते हुए कहा कि सरकार जनता की अदालत में हार चुकी है।
चारधाम तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड का निर्णय ही गलत था। चारों धामों, तीर्थों, मंदिरों की परंपराओं व मान्यताओं के विपरीत सरकार ने एकतरफा निर्णय लेकर देवस्थानम बोर्ड बनाया। कहा कि हम सत्य की लड़ाई लड़ रहे थे और आखिरकार सत्य की जीत हुई। पंडा पंचायत बदरीनाथ के अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड का भंग होना तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों की एकतरफा जीत है। तीर्थ पुरोहित बृजेश सती ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसे उदाहरण बहुत कम मिलेंगे कि जब कोई निर्वाचित सरकार किसी विधेयक को विधानसभा से ध्वनिमत से पारित करे और वही सरकार अपने बनाए हुए अधिनियम को वापस ले। निश्चित रूप से यह एक एतिहासिक घटनाक्रम है और इस साहसिक कदम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जो पहल की है और निश्चित स्वागत योग्य कदम है। ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित संघ के अध्यक्ष उमेश सती ने कहा कि आज का दिन सनातन धर्म के लिए एतिहासिक है। इसलिए चारों धामों के तीर्थ पुरोहित इस दिन को हमेशा के लिए याद रखेंगे। इधर, सरकार की ओर से बोर्ड भंग करने की घोषणा को विपक्ष ने चुनावी शिगूफा बताया। पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि यह तीर्थ पुरोहितों का संघर्ष व कांग्रेस के सहयोग की जीत है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह फैसला राजनीति से प्रेरित है।