माल्टा बेचने की व्यवस्था न होने से किसान मायूस
सरकार से माल्टा का समर्थन मूल्य तो घोषित कर दिया है।
संवाद सूत्र, पोखरी: सरकार से माल्टा का समर्थन मूल्य तो घोषित कर दिया है। परंतु इसके विपणन की कोई व्यवस्था न होने से माल्टे की फसल खेतों में ही बर्बाद हो रही है। अधिकतर फसल जंगली जानवरों के नष्ट करने से किसान मायूस हैं।
विकासखंड पोखरी के अधिकांश गांवों में किसान माल्टा व माल्टा प्रजाति के अन्य फलों का उत्पादन किया जाता है। इस बार गांवों में माल्टा, संतरा, नींबू सहित माल्टा प्रजाति के अन्य फलों की बेहतर पैदावार हुई है। काश्तकारों केा उम्मीद थी कि माल्टा बेचकर उनकी आर्थिकी मजबूत होगी। सरकार ने भी समय पर माल्टा का समर्थन मूल्य घोषित किया। सरकार ने माल्टे का समर्थन मूल्य सात रुपये किलो, नींबू का समर्थन मूल्य चार रुपये प्रति किलो घोषित किया गया है, लेकिन माल्टा खरीद की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। उद्यान विभाग के अनुसार काश्तकारों को स्वयं अपना माल्टा व नींबू फल संरक्षण क्रय केन्द्र कर्णप्रयाग,गैरसैंण व गोपेश्वर ले जाकर बेचने होंगे। स्वाभाविक है कि काश्तकार विभागीय क्रय केंद्रो पर ले जाने के बजाए बिचौलियों को औने-पौने दामों पर अपने फलों को बेचने को मजबूर हैं। बताते चलें पर्वतीय जिलों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में माल्टा, नींबू ,नारंगी की हर वर्ष बंपर पैदावार होती है। गुगली,वल्ली, खन्नी, हरिशंकर, गनियाला, रौता, पोगठा, थालाबैड, बंगथल, भिकोना, तोणजी, नैल, नौली, आली,श्रीगढ, कलसीर, पार्टी, जखमाला सहित तमाम गांवों में माल्टा, नींबू, नारंगी की अच्छी फसल के बाद भी किसान मायूस हैं। मुख्य उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह ने बताया कि माल्टा का समर्थन मूल्य घोषित कर दिया गया है। बताया कि माल्टा विक्रय के लिए विभागीय फल संरक्षण केन्द्रों पर ही किसानों को अपनी फसल लानी होगी।
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कैप्शन। पोखरी में माल्टे से लकदक पेड़। जागरण