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इस गांव के ग्रामीण बने मांझी, खुद बना रहे गांव की सड़क

चमोली जिले के गैरसैंण विकासखंड स्थित स्यूणी मल्ली के मांझी बीते छह दिन से श्रमदान कर आगरचट्टी-स्यूणीमल्ली (छह किमी) मोटर मार्ग के निर्माण में जुटे हुए हैं।

By Edited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 08:39 PM (IST)
इस गांव के ग्रामीण बने मांझी, खुद बना रहे गांव की सड़क
इस गांव के ग्रामीण बने मांझी, खुद बना रहे गांव की सड़क

चमोली, जोध सिंह रावत। चमोली जिले के गैरसैंण विकासखंड स्थित स्यूणी मल्ली के मांझी बीते छह दिन से श्रमदान कर आगरचट्टी-स्यूणीमल्ली (छह किमी) मोटर मार्ग के निर्माण में जुटे हुए हैं। अब तक वे सिविल भूमि में 55 मीटर से अधिक सड़क तैयार कर चुके हैं। 

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ग्रामीणों को आशंका है कि सप्ताहभर के भीतर वनभूमि में सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ होने पर वन विभाग इसमें अड़चन डाल सकता है। क्योंकि, वन विभाग ने चेतावनी दी है कि वन क्षेत्र में अतिक्रमण बर्दाश्त नही होगा। हालांकि, ग्रामीणों ने ठान रखी है कि वे किसी भी दशा में निर्माण कार्य नहीं रोकेंगे और सड़क को मुकाम तक पहुंचाकर ही दम लेंगे।

वार्ड सभासद सुनिता नेगी की अगुआई में धर्मा देवी, जय सिंह, नंदी देवी, सोबन सिंह, महेंद्र सिंह, शांता देवी, जमन सिंह, भागा देवी आदि के अलावा गैरसैंण, मेहलचौरी, आगरचट्टी व समीपस्थ नगर व कस्बों में व्यवसाय एवं नौकरी करने वाले ग्रामीण भी श्रमदान करने स्यूणी मल्ली पहुंचे। 

सड़क निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष जमन सिंह व ग्राम प्रधान लीला देवी ने बताया कि क्षेत्र के ग्रामीण बीते 22 साल से आगरचट्टी-स्यूणीमल्ली मोटर मार्ग के निर्माण को संघर्ष कर रहे हैं। 

बीते वर्ष छह जनवरी को जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस सड़क का शिलान्यास तो उम्मीद जगी थी कि जल्द ही स्यूणी मल्ली तक सड़क पहुंच जाएगी। लेकिन, एक साल बीतने के बाद भी इंचभर सड़क नहीं बन पाई। ऐसे में बीती सात जनवरी को ग्रामीण स्वयं गैंती-फावड़े उठाकर सड़क निर्माण में जुट गए। 

हैरत देखिए कि उच्चाधिकारियों की इसकी खबर होने के बावजूद कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि अब तक मौके पर नहीं पहुंचा है। शनिवार को गैरसैंण के राजस्व उपनिरीक्षक ग्रामीणों से वार्ता के लिए जरूर पहुंचे थे, लेकिन वार्ता नहीं हो सकी। 

14 से 16 किमी की दूरी पैदल नापते हैं नौनिहाल 

तहसील मुख्यालय गैरसैंण से पांच किमी और आगरचट्टी से सात किमी की चढ़ाई पर है स्यूणी मल्ली गांव। स्थिति यह है कि मोटर मार्ग न होने के कारण गांव के 50 से अधिक बच्चों को आठवीं से आगे की पढ़ाई के लिए मेहलचौरी व आगरचट्टी की 14 से 16 किमी की दूरी रोजाना पैदल नापनी पड़ती है। 

रास्ते में घना जंगल होने के कारण जंगली जानवरों से खतरा हर वक्त बना रहता है। ऐसे में अभिभावकों की निगाहें बच्चों के घर लौटने तक रास्ते की ओर ही लगी रहती हैं। 

उपचार न मिलने से 28 लोग तोड़ चुके दम 

सड़क न होने का सबसे ज्यादा खामियाजा बीमार लोगों व गर्भवती महिलाओं को भुगतना पड़ता है। ग्राम प्रधान लीला देवी बताती हैं कि बीते एक दशक में 28 ग्रामीण समय पर अस्पताल न पहुंचने के कारण दम तोड़ चुके हैं। इनमें गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और काश्तकारी के दौरान हादसों में चोटिल हुए ग्रामीण शामिल हैं। 

आगरचट्टी-स्यूणी मल्ली सड़क पर एक नजर 

-सबसे पहले वर्ष 1996 में उठी थी सड़क निर्माण की मांग। 

-वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद बलवती हुई सड़क बनने की उम्मीद। 

-2011 में ग्रामीणों ने शुरू किया सड़क निर्माण के लिए आंदोलन। 

-21 दिसंबर 2015 को सैकड़ों ग्रामीणों किया तहसील मुख्यालय पर उग्र प्रदर्शन। 

-6 जनवरी 2016 को ग्रामीणों ने तहसील में प्रदर्शन कर गांव में शुरू की भूख-हड़ताल। 

-8 जनवरी 2016 को तत्कालीन एसडीएम केएस नेगी व पीएमजीएसवाइ के अभियंता सचिन कुमार ने 15 दिन में समरेखण कार्य संपन्न कराने का दिलाया भरोसा। 

-जनवरी 2017 में लोनिवि ने तैयार की दोबारा सर्वे की डीपीआर। 

-27 फरवरी 2017 को भूगर्भीय सर्वे के लिए वैज्ञानिक गांव पहुंचे। 

-13 अप्रैल 2017 को वन विभाग ने संभावित पातन संबंधी पेड़ों की गणना शुरू की। 

-4 जनवरी 2018 को सीएम ने आगरचट्टी-स्यूणीमल्ली मोटर मार्ग का किया शिलान्यास।

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