पेड़-पौधों पर रक्षासूत्र बांधकर लेते हैं पर्यावरण संरक्षण का संकल्प
धरा का श्रृंगार हरियाली से है। पर्यावरण में प्राण वायु देने वाले जंगल सुरक्षित रहेंगे तो जीवन रहेगा।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर :
धरा का श्रृंगार हरियाली से है। पर्यावरण में प्राण वायु देने वाले जंगल सुरक्षित रहेंगे तो जीवन रहेगा। जंगलों के इसी महत्व को समझते हुए चमोली जिले की धरती पर शुरू हुए चिपको आंदोलन के बाद अब जिले में पेड़-पौधों के संरक्षण के लिए रक्षाबंधन पर नए आंदोलन की शुरूआत हुई है। यहां लोग वनों के संरक्षण के लिए पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधकर इस पर्व को मनाना एक परंपरा बन चुके हैं। जिससे भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक बन चुका है।
जिला मुख्यालय गोपेश्वर में रुद्राक्ष व चंपा का जंगल पर्यावरण संरक्षण का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। संकल्प अभियान के तहत नागरिकों ने पौधों की सुरक्षा के लिए चार वर्ष पूर्व रक्षाबंधन के दिन पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधने की परंपरा की नींव रखी। इसी का नतीजा है कि आज नगर में सड़कों के किनारे रुद्राक्ष, चंपा समेत अन्य प्रजाति के अनेक पेड़ पक्षियों, वन्य जीवों को भोजन, प्राण वायु दे रहे हैं। संकल्प अभियान के संयोजक मनोज तिवारी कहते हैं कि पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधने के बाद नागरिकों ने इन पेड़ों की सुरक्षा का संकल्प लिया तो आज पेड़ सुरक्षित हैं। मुख्यालय के निकट ही पपिड़याणा गांव की महिलाओं द्वारा भी रक्षाबंधन के दिन पेड़ों पर राखी बांधकर इनकी सुरक्षा का संकल्प लिया जाता है। महिलाओं की सजगता का ही नतीजा है कि आज पपड़यिाणा का जंगल भी हरा भरा है। गोपेश्वर गांव की महिलाएं भी प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन के पर्व पर बंच्याणी के जंगलों में पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधती हैं। इसके अलावा भी जिले के कई क्षेत्रों में अब पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधने की परंपरा बन चुकी है। पर्यावरण कार्यकर्ता पपड़यिाणा निवासी मुरारी लाल का कहना है कि जिस प्रकार चिपको आंदोलन के दौरान महिलाओं ने पेड़ों पर चिपककर जंगल बचाए थे, ठीक उसी तरह पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधने की परंपरा भी अब आंदोलन का रूप धारण कर चुकी है। कहा कि इससे पेड़ों व जंगलों की सुरक्षा भी हो रही है। पेड़ों की पूजा कर बांधे रक्षासूत्र
रक्षाबंधन की पूर्व बेला पर रविवार को प्रेरणा संस्था के सदस्यों ने पंडित दीनदयाल पार्क में भूमि पूजन कर पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया गया। संस्था के कार्यकर्ताओं ने किन्नर समाज के लोगों को भी सम्मानित किया। इस अवसर पर भरत सिंह गड़िया, लोकेंद्र रावत, चंदन कुमार मौजूद थे।