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स्वतंत्रता के सारथी: यहां पेड़ों पर बांधते हैं रक्षासूत्र, इसके पीछे है एक खास वजह; जानिए

चमोली जिले में रक्षाबंधन को पर्यावरण संरक्षण से जोड़कर भी देखा जाता है। यहां रक्षाबंधन के दिन लोग पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेते हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 03:26 PM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 08:16 PM (IST)
स्वतंत्रता के सारथी: यहां पेड़ों पर बांधते हैं रक्षासूत्र, इसके पीछे है एक खास वजह; जानिए
स्वतंत्रता के सारथी: यहां पेड़ों पर बांधते हैं रक्षासूत्र, इसके पीछे है एक खास वजह; जानिए

गोपेश्वर(चमोली), देवेंद्र रावत। रक्षाबंधन को भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार माना जाता है। इस दिन बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई बहन की रक्षा का संकल्प लेता है। मगर, चमोली जिले में इस त्योहार को पर्यावरण संरक्षण से जोड़कर भी देखा जाता है। यहां रक्षाबंधन के दिन लोग पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेते हैं। इसी का नतीजा है कि आज चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में रुद्राक्ष और चंपा का खूबसूरत जंगल लहलहा रहा है। 

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वैसे तो सीमांत चमोली जिला पर्यावरण संरक्षण के लिए पहले से ही जाना जाता है। वर्ष 1973 में पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाए गए एतिहासिक 'चिपको' आंदोलन की शुरुआत चमोली जिले से ही हुई थी। इसके बाद यह आंदोलन पूरी दुनिया में मशहूर हुआ। आज भी यहां के लोग पूरे मनोयोग से पर्यावरण संरक्षण के कार्य में जुटे हुए हैं। हर साल रक्षाबंधन जैसे विशेष पर्व पर वह पेड़ों को रक्षासूत्र बांधकर अपने पर्यावरण संरक्षक के संकल्प को दोहराते हैं। 

जिला मुख्यालय गोपेश्वर में चार वर्ष पूर्व पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधने के साथ इस 'संकल्प' अभियान की शुरुआत हुई थी। तब अभियान से जुड़े युवाओं ने यहां सड़कों के किनारे रुद्राक्ष और चंपा के पौधे रोपे और इनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी खुद उठाई। हालांकि, रोपे गए पौधों को कुछ अवांछित तत्वों ने नुकसान भी पहुंचाया, लेकिन ये युवा अपने संकल्प पर अडिग रहे। 

रोपे गए पौधों की सुरक्षा के लिए अभियान के संयोजक एवं पेशे से शिक्षक मनोज तिवारी ने इन पौधों पर रक्षासूत्र बांधने की परंपरा शुरू की। इसके लिए रक्षाबंधन का दिन नियत किया गया। इस दिन आस-पास के लोगों के अलावा नगर के गणमान्य लोगों को बुलाकर पौधों पर रक्षासूत्र बांधे गए। इसका परिणाम यह हुआ कि रक्षासूत्र बांधने वाले लोगों ने भी पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले ली। 

आज ये पौधे पेड़ बनकर सड़कों के किनारे रौनक बिखेर रहे हैं। चंपा के फूलों की खुशबू से जहां वातावरण महक रहा है, वहीं रुद्राक्ष के पेड़ भी फल देने लगे हैं। पूरा गोपेश्वर नगर आज इस आंदोलन के चलते हरियाली से आच्छादित हो गया है। संकल्प अभियान के संयोजक मनोज तिवारी बताते हैं कि शुरुआत में कुछ लोगों द्वारा रोपे गए पौधों को नुकसान पहुंचाने से हमारी मेहनत पर पानी फिर रहा था। इसलिए अभियान से जुड़े युवाओं ने इन पौधों पर रक्षासूत्र बांधने की परंपरा शुरू की। बताते हैं कि रक्षाबंधन के दिन जो व्यक्ति पेड़-पौधों पर रक्षासूत्र बांधता है, वह इनकी सुरक्षा का संकल्प भी लेता है। 

'संकल्प' अभियान से जुड़े वयोवृद्ध नागरिक सुरेंद्र सिंह लिंगवाल के अनुसार संकल्प अभियान के सदस्यों और आम नागरिकों की मेहनत का ही नतीजा है कि आज नगर दूसरों को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित कर रहा है। यहां तक कि पर्यटक भी नगर की हरियाली को देखकर स्वयं भी ऐसी पहल शुरू करने का संकल्प लेकर ही वापस लौटते हैं। 

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