एक दशक बाद भी नहीं बना नंदप्रयाग संगम पुल
संवाद सहयोगी गोपेश्वर पवित्र स्नान के लिए नंदप्रयाग संगम का पुल का एक दशक बाद भी नहीं बना
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर:
पवित्र स्नान के लिए नंदप्रयाग संगम का पुल का एक दशक बाद भी नहीं बना पाया। ऐसे में संगम में पवित्र स्नान के अलावा शवदाह के लिए भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
वर्ष 2008 में नंदप्रयाग संगम तक जाने के लिए बनाया गया पुल नदी के तेज बहाव में बह गया था। क्षेत्र के लोग पुल बनाने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं। नगर पंचायत ने भी इस बारे में शासन को प्रस्ताव भेजा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। नगर पंचायत की ओर से संगम तक पहुंचने के लिए अस्थाई वैकल्पिक आरसीसी पुल भी बनाया गया, लेकिन बरसात के दौरान अस्थाई पुल बहने से फिर से दिक्कत सामने आ रही है। यात्राकाल के दौरान रोजाना सैकड़ों यात्री नंदप्रयाग में ठहरकर संगम स्नान के लिए जाते हैं, लेकिन पुल न होने से उन्हें आवाजाही करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पुल के बहने के बाद यात्रियों को संगम पर स्नान करने के लिए दो किमी लंबा फेरा लगाकर झूलाबगड़ होते हुए आना पड़ रहा है।
नंदप्रयाग संगम पर कर्णप्रयाग, घाट व नारायणबगड़ विकासखंडों के दर्जनभर गांवों का श्मशान घाट भी है। जब पुल था तो ग्रामीण शवों को अंतिम संस्कार के लिए आसानी से संगम तक पहुंचा देते थे। मगर पुल बहने के बाद शवों के अंतिम संस्कार के लिए भी दो किमी अतिरिक्त पैदल सफर तय कर संगम पहुंचना पड़ रहा है। वहीं नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी रघुराय का कहना है कि बरसात में यह पुल बह गया था। नए पुल के निर्माण के लिए कई बार प्रस्ताव शासन को भेजे गए,लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली।